Sarva Pitru Amavasya 2025 Shraddha Vidhi: पितृ पक्ष की सर्व पितृ अमावस्या और आश्विन अमावस्या 21 सितंबर शनिवार को है. सर्व पितृ अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है. इस दिन सूर्य कन्या राशि में और चंद्रमा दोपहर 3 बजकर 57 मिनट से शुरू होकर 57 मिनट तक सिंह राशि में रहेंगे. इसके बाद वे कन्या राशि में गोचर करेंगे. सर्व पितृ अमावस्या पर साल का अंतिम
सूर्य ग्रहण भी लग रहा है, जो रात में 10 बजकर 59 मिनट पर लगेगा.
सर्व पितृ अमावस्या मुहूर्त
दृक पंचांग के अनुसार, सर्व पितृ अमावस्या का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 50 मिनट से शुरू होकर दोपहर के 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगा. उस दिन का राहुकाल का समय 4 बजकर 48 मिनट से शुरू होकर 6 बजकर 19 मिनट तक रहेगा.
सर्वार्थ सिद्धि योग कब से कब तक
सर्वार्थ सिद्धि ज्योतिष में एक बेहद शुभ योग है, जो किसी विशेष दिन एक विशिष्ट नक्षत्र के मेल से बनता है. मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्य सफल होते हैं और व्यक्ति को सफलता प्राप्त करने में मदद मिलती है. सर्वार्थ सिद्धि योग का समय 21 सितंबर को सुबह 09:32 ए एम से 22 सितंबर को 06:09 ए एम तक है.
सर्व पितृ अमावस्या पर किसका होता है श्राद्ध
गरुड़ पुराण के अनुसार, अमावस्या तिथि श्राद्ध परिवार के उन पूर्वजों के लिए किया जाता है जिनकी मृत्यु अमावस्या, पूर्णिमा और चतुर्दशी तिथि को हुई हो. यदि कोई सभी तिथियों पर श्राद्ध करने में असमर्थ हो तो वह अमावस्या तिथि पर सभी के लिए श्राद्ध कर सकता है, जो परिवार के सभी पूर्वजों की आत्माओं को प्रसन्न करने के लिए पर्याप्त है.
अमावस्या श्राद्ध को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या भी कहते हैं. इस दिन पूर्णिमा तिथि को मृत हुए लोगों का भी महालय श्राद्ध किया जाता है. इस दिन श्राद्ध करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है. इस दिन उन पितरों का भी श्राद्ध करते हैं, जिनकी मृत्यु तिथि पता नहीं होती है.
सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध विधि
1. सर्वपितृ अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान करें या घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं.
2. इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण और पिंडदान करें. गाय, कुत्ते, कौवे, देव, और चींटी के लिए भोजन निकालें.
3. उसके बाद ब्राह्मणों को भोजन करवाकर दान-दक्षिणा दें.
4. पीपल के पेड़ की पूजा करें, जिसमें पितरों का वास माना जाता है, इसकी सात परिक्रमा करें.
5. फिर सरसों के तेल के दीपक में काले तिल डालकर जलाएं. आप मंदिर के बाहर पीपल का पेड़ भी लगा सकते हैं, जिससे आपको शुभ परिणाम मिल सकते हैं और पितरों की कृपा प्राप्त होगी.