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Shani Sade Sati: 2737 दिनों की शनि की साढ़ेसाती मुंह से पैर तक करती है असर, आप भी जानें इसका असर


शनि की साढ़ेसाती:  ये नाम सुनते ही लोग अक्सर डर जाते हैं. शनि देव एक राशि में 2.5 साल रहते हैं. जिस राशि में शनिदेव गोचर कर रहे होते हैं, उससे एक राशि पहले और एक राशि बाद वाले जातकों पर शनिदेव की साढ़ेसाती का प्रभाव शुरू हो जाता है. जैसे अभी शनि देव का गोचर कुंभ राशि में चल रहा है तो शनि देव की साढ़ेसाती का प्रभाव इस समय कुंभ के साथ मकर और मीन राशि पर भी है. 17 जनवरी 2023 को शनि मकर राशि से निकल कर अपनी दूसरी राशि कुंभ में प्रवेश कर गये, तब से अभी इसी राशि में हैं. इसके बाद शनि का राशि परिवर्तन 29 मार्च 2025 को होगा. जब शनि मीन राशि में गोचर करेंगे और करीब ढाई वर्षों तक इसी राशि में विराजमान रहेंगे.

कब खत्म होगी साढ़ेसाती:
मकर राशि पर साढ़ेसाती का आखिरी चरण चल रहा है. मकर राशि पर साढ़ेसाती 26 जनवरी 2017 से शुरू हो गई थी जो अब 29 मार्च 2025 पर खत्म होगी. कुंभ राशि पर साढ़ेसाती का दूसरा चरण चल रहा है. 23 फरवरी 2028 तक इस राशि के जातकों को साढ़ेसाती से छुटकारा मिलेगा. मीन राशि पर साढ़ेसाती का पहला चरण चल रहा है, इस राशि पर शनि की साढ़ेसाती 7 अप्रैल 2030 तक रहेगी.

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इतने दिन तक रहता है साढ़ेसाती का प्रभाव
2737 दिनों तक रहता है एक राशि पर साढ़ेसाती का प्रभाव. 2737 दिनों में जातक के शरीर पर 8 चरणों में साढ़ेसाती अपना प्रभाव इस प्रकार छोड़ती है.

1- 1 से 100 दिन में उसका केंद्र मुँह होता है और व्यक्ति को धनहानि होती है और शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है.

2- 101 से 500 दिन में उसका केंद्र दायीं भुजा होती है और व्यक्ति को व्यवसाय में परिवर्तन के साथ बीमारी एवं कुछ मामलों में सफलता दिलाती है.

3- 501 से 912 दिन में उसका केंद्र चरण (पैर) होते हैं और व्यक्ति को यात्राएं करनी पड़ती हैं, साथ ही ग्रहकलेश, शत्रुओं से भय, धन हानि एवं अथक प्रयास के बाद भाग्योदय होता है.

4- 913 से 1600 दिन में उसका केंद्र उदर होता है और व्यक्ति को घर बदलना पड़ सकता है, उसका समाज में अपमान होता है एवं उसे शत्रुओं से भय रहता है.

5- 1601 से 1825 दिन में उसका केंद्र बायीं भुजा होता है, इसमें व्यक्ति को अपमान, कष्ट, भाग्यहीनता, व्यापार में परिवर्तन, रोग के साथ धन हानि मिलती है.

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6- 1826 से 2300 दिन में उसका केंद्र मस्तिष्क होता है, इसमें व्यक्ति को लाभ की प्राप्ति तो होती पर उसका दाम्पत्य जीवन कलेशमय होता है. पिता एवं संतान को भी कष्ट होता है.

7- 2301 से 2500 दिन में उसका केंद्र नेत्र में होता है. यह साढ़ेसाती का सबसे अच्छा कालखंड होता है. इसमें उन्नति, सौभाग्य की प्राप्ति होती है. उसके कार्यों में स्थिरता आती है. साथ ही अपनी दूरदृष्टि से बहुत ही विवेकशील निर्णय भी लेता है.

8- 2501 से 2737 दिन में उसका केंद्र गुदा होती है. इसमें उस व्यक्ति को शरीरिक पीड़ा, कष्ट, रोग, कलेश, धन हानि के साथ व्यक्ति को अकेलापन मिलता है. इस प्रकार एक व्यक्ति के साढ़ेसाती के 2737 दिनों के तीनों चरण पूर्ण होते हैं.

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