कोजागरी पूर्णिमा, जिसे शरद पूर्णिमा भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को आती है. यह रात्रि वर्ष की सबसे पवित्र, उज्जवल और मां लक्ष्मी के जागरण की रात्रि मानी जाती है. यह केवल चंद्र दर्शन का पर्व नहीं, बल्कि भक्ति, समृद्धि, और मानसिक शांति का दिव्य संगम है. इस दिन मां महालक्ष्मी के मंत्र जीवन में धन, सौभाग्य, शांति और आध्यात्मिक समृद्धि प्रदान करते हैं. मां लक्ष्मी के मंत्र जप करने से ना केवल माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है बल्कि घर में हमेशा हमेशा के लिए मां लक्ष्मी निवास भी करती हैं. मां महालक्ष्मी मंत्र जप के फायदे केवल धन-संपत्ति तक सीमित नहीं हैं. मंत्र-जप उसी भक्ति और ऊर्जा को जाग्रत करने का माध्यम है. यहां पढ़ें मां लक्ष्मी के मंत्र…

सर्वसिद्धिदायक मूल बीज मंत्र
॥ ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नमः ॥
जप संख्या: 108 या 1008 बार (शुक्रवार, दीपावली या शरद पूर्णिमा की रात को सर्वोत्तम). फल – मां लक्ष्मी की कृपा से घर में धन और वैभव की वृद्धि होगी. दरिद्रता, आर्थिक रुकावटों और मानसिक तनाव का नाश होगा.
वैदिक महालक्ष्मी मंत्र (ऋग्वेदोक्त)
ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे, विष्णुपत्नी च धीमहि।
तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्॥
फल – यह मंत्र ज्ञान, सौंदर्य, और सात्त्विक धन का संचार करता है. जो व्यक्ति प्रतिदिन इसका जप करता है, उसे देवी लक्ष्मी का आध्यात्मिक आशीर्वाद प्राप्त होता है.
धन प्राप्ति हेतु लक्ष्मी मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नमः॥ या ॐ श्रीं नमः॥
फल – शुक्रवार या पूर्णिमा को कमल पुष्प या श्वेत पुष्प से पूजा करते हुए जप करें. व्यापार, करियर, और वित्तीय समृद्धि के लिए अत्यंत प्रभावी है.
दरिद्रता निवारण मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः॥
फल – इस मंत्र का जप दीपक के सामने बैठकर शरद पूर्णिमा या शुक्रवार को करें. घर-परिवार की आर्थिक अड़चनें, ऋण या अभाव का नाश करता है.
अष्टलक्ष्मी आराधना मंत्र
मां लक्ष्मी की आठ शक्तियों — आदि लक्ष्मी, धन लक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी, गज लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, विजय लक्ष्मी, विद्या लक्ष्मी, धैर्य लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए
ॐ अष्टलक्ष्म्यै नमः॥
फल – संपूर्ण जीवन के आठों क्षेत्रों में समृद्धि और उन्नति का आशीर्वाद मिलता है. शरद पूर्णिमा या दीपावली की रात्रि में अष्ट दीप जलाकर जप करने से विशेष फल मिलता है.

रात्रि जागरण या ध्यान मंत्र (शरद पूर्णिमा हेतु विशेष)
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री लक्ष्म्यै नमः।
जय जय महालक्ष्मि मां, अमृत किरणों में वास करूं॥
फल – मन में शांति, नींद की शुद्धि और मानसिक संतुलन प्राप्त होता है. चांदनी में बैठकर जप करने से चंद्र और शुक्र ग्रह की शांति होती है.