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Sharad Purnima 2025: आचार्य डॉ. रामलाल त्रिपाठी ने Bharat.one से बताया कि शरद पूर्णिमा और भद्रा का कोई प्रभाव पड़ने वाला नहीं है. पौराणिक मान्यता है कि उस दिन चांदनी में अमृतत्व की प्राप्ति होती है. इसलिए खीर, मलाई, मक्खन और चुरा को चंद्रमा की रोशनी में रखते हैं और उसे खाकर हम स्वस्थ्य व प्रसन्न रहे. इस दिन भगवान इंद्र, लक्ष्मी व कुबेर का पूजन करना चाहिए.
शरद पूर्णिमा पर घरों की छत पर या आंगन में खीर, मलाई या मक्खन रखने का विधान है. चंद्रमा की रोशनी जहां तक जाती है, वहां पर इनको रखा जाता है. हालांकि, आपको मालूम है कि ऐसा क्यों किया जाता है और इसके पीछे का क्या पौराणिक मान्यता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चंद्रमा की रोशनी में इन सामानों को रखने के बाद सुबह खाने से शरीर निरोग होता है. भगवान का आशीर्वाद भी भक्तों को प्राप्त होता है और सुख व समृद्धि की प्राप्ति भी होती है.
आचार्य डॉ. रामलाल त्रिपाठी ने Bharat.one से कहा कि शरद पूर्णिमा और भद्रा का कोई प्रभाव पड़ने वाला नहीं है. पौराणिक मान्यता है कि उस दिन चांदनी में अमृतत्व की प्राप्ति होती है. इसलिए खीर, मलाई, मक्खन और चुरा को चंद्रमा की रोशनी में रखते हैं और उसे खाकर हम स्वस्थ्य व प्रसन्न रहे. इस दिन भगवान इंद्र, लक्ष्मी व कुबेर का पूजन करना चाहिए. आज के दिन विधिवत पूजन व अर्चन करने से लक्ष्मी की वर्षा होती है. इस पूजन को करने से सुख और समृद्धि में भी वृद्धि होती है. रात्रि में 9.24 तक ही पूर्णिमा है. अपनी रुचि के अनुसार इंद्र, लक्ष्मी व कुबेर की अलग-अलग आराधना कर सकते हैं या एक साथ भी कर सकते हैं.
क्या है मान्यता
आचार्य पं. रामलाल त्रिपाठी ने बताया कि शरद पूर्णिमा पर व्रत जरूर रहना चाहिए. व्रत रखने पर भी फायदा होता है. शरीर निरोग रहता है. इस बार उदयकाल में ही पूर्णिमा है. पूर्णिमा का व्रत चन्द्रोदय के उदय के वक्त ही होता है. उस समय ही इसकी मान्यता अधिक है. मंगलवार को चंद्रमा के उदय के वक्त शरद पूर्णिमा खत्म हो जाएगा, इसलिए उसका भी कोई मान्यता नहीं है. मीरा, परासर व वाल्मीकि की भी जयंती आ रही है. उनकी भी जयंती मना सकते हैं. शरद पूर्णिमा के बाद इनकी जयंती मनाने से हमें इनका आशीर्वाद व ज्ञान प्राप्त होता है.