शरद पूर्णिमा पर भद्रा का साया
शरद पूर्णिमा के दिन भद्रा का साया है. उस दिन भद्रा का प्रारंभ दोपहर में 12 बजकर 23 मिनट से हो रहा है. यह भद्रा रात में 10 बजकर 53 मिनट तक रहेगी. यदि शरद पूर्णिमा के दिन आपको कोई शुभ कार्य करना है तो भद्रा के प्रारंभ होने से पहले कर लें, लेकिन इसमें भी राहुकाल का ध्यान रखना होगा.
शरद पूर्णिमा के दिन राहुकाल सुबह में 07 बजकर 45 मिनट से सुबह 09 बजकर 13 मिनट तक है. राहुकाल को भी अशुभ फलदायी माना जाता है. हालांकि इस समय में कालसर्प दोष के उपाय करते हैं. इस दिन वृद्धि योग दोपहर में 01 बजकर 14 मिनट तक है. इस योग में आप जो भी शुभ कार्य करेंगे, उसके फल में बढ़ोत्तरी होगी.
भद्रा की वजह से कैसे रखें शरद पूर्णिमा की खीर?
ज्योतिषाचार्य डॉ. तिवारी का कहना है कि भद्रा में शुभ कार्य करने वर्जित हैं क्योंकि वह अशुभ फल देते हैं. शरद पूर्णिमा की रात भद्रा के समय में आप खीर न रखें. भद्रा का समापन रात में 10:53 बजे हो जा रहा है. ऐसे में आप भद्रा के खत्म होने के बाद शरद पूर्णिमा की खीर को बाहर रख दें. लेकिन उस खीर को खाने के लिए आपको रात में काफी देर तक जागना होगा.
हालांकि इसमें आप ये कर सकते हैं कि शरद पूर्णिमा की चांदनी में पूरी रात खीर को सुरक्षित रख दें और सुबह में उसका सेवन करें. उस खीर को ऐसे रखना है कि उसमें चंद्रमा की किरणें पड़ती रहें. साथ ही इसका भी ध्यान रखें कि उसमें कोई कीड़ा, कीट आदि न पड़ें और बिल्ली से भी वह सुरक्षित हो.
शरद पूर्णिमा की खीर का महत्व
शरद पूर्णिमा की खीर को सेहत के लिए लाभदायक मानते हैं. इसको खाने से स्वास्थ्य लाभ होता है. ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों से अमृत वर्षा होती है. जब वह किरणें खीर में पड़ती हैं तो खीर औषधीय गुणों वाला हो जाता है.