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Sharad Purnima 2025 Upay Astro remedy on kojagiri purnima | शरद पूर्णिमा के ज्योतिष उपाय, कोजागर व्रत के उपाय


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Kojagiri Purnima 2025 Upay: 6 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा का व्रत किया जाएगा और इस दिन वृद्धि योग समेत कई शुभ योग भी बन रहे हैं. शरद पूर्णिमा के दिन केवल माता लक्ष्मी की पूजा नहीं की जाती बल्कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने महारास भी किया जाता है. आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा का महत्व और इस दिन कौन से कार्य करने चाहिए…

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Sharad And Kojagiri Purnima 2025 Astro Remedy: आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को सोमवार को पड़ रही है और इस दिन शरद पूर्णिमा और कोजागर पूजा का संयोग भी बन रहा है. शरद पूर्णिमा व्रत में माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने का विधान है. यह रात्रि अत्यंत शुभ और आध्यात्मिक दृष्टि से प्रभावशाली मानी जाती है. इस दिन चंद्रमा संपूर्ण कलाओं से पूर्ण रहता है और अमृत वर्षा करता है. ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि इस रात कुछ कार्य ऐसे हैं, जिनको अवश्य करना चाहिए. इन कार्यों के करने से माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है और घर में सुख समृद्धि का वास होता है. आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा की रात को क्या करना चाहिए.

शरद पूर्णिमा 2025 पंचांग
द्रिक पंचांग के अनुसार, सोमवार के दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 45 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 32 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह के 11 बजकर 45 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 32 मिनट तक रहेगा. वहीं, चतुर्दशी का समय 5 अक्टूबर दोपहर 3 बजकर 3 मिनट से शुरू होकर 6 अक्टूबर को 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगा. इसके बाद पूर्णिमा लग जाएगी, जिस हिसाब से शरद पूर्णिमा का व्रत भी रखा जाएगा. शरद पूर्णिमा के दिन वृद्धि योग और ध्रुव योग भी बन रहा है, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है.

16 कलाओं से परिपूर्ण चंद्रमा
शरद पूर्णिमा, हिंदू कैलेंडर की सबसे महत्वपूर्ण पूर्णिमाओं में से एक है. इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है, जो इसे विशेष बनाता है. हिंदू मान्यताओं में भगवान श्रीकृष्ण को सोलह कलाओं और भगवान श्रीराम को बारह कलाओं से युक्त माना जाता है. इस दिन नवविवाहित महिलाएं वर्ष भर की पूर्णिमाओं पर उपवास का संकल्प लेती हैं. गुजरात में इसे शरद पूनम के नाम से जाना जाता है.

शरद पूर्णिमा की रात अवश्य करें ये कार्य
नारद पुराण के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात को माता लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं और घरों में प्रवेश करती हैं. इस दिन सफेद वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए. साथ ही, कनकधारा स्तोत्र के पाठ और ऊं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः मंत्र का 108 बार जाप करने से धन-धान्य में वृद्धि होती है. रात को केसर युक्त खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखना और उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करना स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए लाभकारी माना जाता है.

अगर किसी के दापत्य जीवन में समस्याएं चल रही हैं तो पति-पत्नी चंद्रमा को दूध का अर्घ्य दे सकते हैं, जिससे चंद्र दोष के प्रभाव को कम कर सकते हैं. पीपल की पूजा और माता लक्ष्मी के मंदिर में नारियल, मेवे व लाल चुनरी अर्पित करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

कोजागर व्रत का विशेष महत्व
पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम में कोजागर व्रत का विशेष महत्व है. इसे कोजागरी पूजा, बंगाली लक्ष्मी पूजा और कौमुदी व्रत के नाम से भी जाना जाता है. इस रात माता लक्ष्मी जागते हुए भक्तों को धन-धान्य से समृद्ध करती हैं. स्कन्दपुराण के अनुसार यह व्रत ऐश्वर्य, स्वास्थ्य और सुख प्रदान करता है. भक्त रात्रि जागरण कर माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं और विशेष अनुष्ठान करते हैं. इस दिन का विशेष योग भक्तों के लिए आध्यात्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है. चंद्रमा की पूजा और व्रत से न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि जीवन में सकारात्मक बदलाव भी आते हैं.

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