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shukrawar Lakshmi vrat 2025 know mata Lakshmi puja Vidhi laxmi ji aarti or mantra | सर्वार्थ सिद्धि योग में शुक्रवार लक्ष्मी व्रत से मिलेगा सुख-सौभाग्य, जानें महत्व, पूजा विधि, मंत्र और आरती


Shukrawar Lakshmi Vrat 2025: मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को शुक्रवार का दिन है और 21 नवंबर है. शुक्रवार का दिन विष्णु प्रिया माता लक्ष्मी और सुख सुविधा के स्वामी शुक्र ग्रह को समर्पित है. शुक्रवार के दिन व्रत रखकर माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने से हर सुख सुविधा की प्राप्ति होती है और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद भी मिलता है. लक्ष्मीजी की कृपा से शुक्र ग्रह की चमक बढ़ती है, जिससे आकर्षण, तेज और व्यक्तित्व में निखार आता है. शास्त्रों में इसे आभा–वृद्धि कहा गया है. इस बार शुक्रवार को सभी कार्य सिद्ध करने वाला सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है.

शुक्रवार पूजा 2025 पंचांग
द्रिक पंचांग के अनुसार, शुक्रवार को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह 10 बजकर 47 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 7 मिनट तक रहेगा. इस दिन कोई विशेष पर्व नहीं है, लेकिन वार के हिसाब से आप शुक्रवार का व्रत रख सकते हैं. प्रतिपदा तिथि 21 नवंबर दोपहर 2 बजकर 47 मिनट तक रहेगी. इसके बाद द्वितीया तिथि शुरू हो जाएगी. इस दिन सूर्य और चंद्रमा वृश्चिक राशि में रहेंगे. इस बार शुक्रवार को सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है और इस योग में लक्ष्मी पूजन करने से सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है.

शुक्रवार क महत्व
ब्रह्मवैवर्त और मत्स्य पुराण के अनुसार, शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी और शुक्र ग्रह की आराधना करनी चाहिए. इस तिथि पर विधि-विधान से पूजा करने से जातक के जीवन में सुख-समृद्धि, धन-धान्य और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती हैं. यह व्रत शुक्र ग्रह को मजबूत करने और उससे जुड़े दोषों को दूर करने के लिए भी रखा जाता है. इस दिन विधि-विधान से पूजा करने पर माता रानी भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं और सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.

शुक्रवार लक्ष्मी पूजा विधि
अगर कोई भी जातक व्रत शुरू करना चाहता है तो किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले शुक्रवार से कर सकता है. आमतौर पर 16 शुक्रवार तक व्रत रखने के बाद उद्यापन किया जाता है. इस दिन विधि-विधान से पूजा करने के लिए जातक सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें. पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कें. एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछा लें और उस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. दीप जलाएं और फूल, चंदन, अक्षत, कुमकुम और मिठाई का भोग लगाएं. श्री सूक्त और कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें. मंत्र जप करें ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः और विष्णुप्रियाय नमः का जप भी लाभकारी है.

महालक्ष्मी माता की आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥

उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम ही जग माता ।
सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

दुर्गा रुप निरंजनि, सुख-संपत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी, भव निधि की त्राता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद्‍गुण आता ।
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता ।
उँर आंनद समाता, पाप उतर जाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥

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