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Shukrawar Mahalaxmi Vrat 2025: शुक्रवार का दिन महालक्ष्मी और शुक्र ग्रह को समर्पित है. इस दिन महालक्ष्मी का व्रत करने से समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है और माता लक्ष्मी की कृपा भी बनी रहती है. अगर आप शुक्रवार का व्रत करना शुरू कर रहे हैं तो 16 शुक्रवार तक व्रत करें. आइए जानते हैं शुक्रवार महालक्ष्मी व्रत का महत्व, पूजा विधि और खास ज्योतिष उपाय…
Shukrawar Mahalaxmi Vrat 2025: मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीय तिथि को शुक्रवार का दिन है. शुक्रवार का दिन माता महालक्ष्मी को समर्पित माना गया है. विष्णु प्रिया माता लक्ष्मी समृद्धि, सौंदर्य, शांति और सौभाग्य की अधिष्ठात्री देवी हैं. शुक्रवार का व्रत रखकर माता लक्ष्मी की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करने पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं होती है. साथ ही कुंडली में भौतिक सुख सुविधा के स्वामी शुक्र ग्रह की स्थिति मजबूत होती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी का व्रत करके अगर कुछ उपाय किए जाएं तो समृद्धि व सौभाग्य की प्राप्ति होती है और हर कार्य संपन्न हो जाता है. आइए जानते हैं शुक्रवार महालक्ष्मी व्रत का महत्व, पूजा विधि और खास ज्योतिष उपाय…

द्रिक पंचांग के अनुसार, शुक्रवार को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह 10 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 5 मिनट तक रहेगा. इस दिन सूर्य राशि में और चंद्रमा वृषभ राशि में रहेंगे. इस तिथि को कोई भी विशेष पर्व नहीं है, लेकिन वार के हिसाब से आप शुक्रवार का व्रत रख सकते हैं. ज्योतिष शास्त्र में यह व्रत शुक्र ग्रह को मजबूत करने और उससे जुड़े दोषों को दूर करने के लिए भी रखा जाता है. शुक्रवार के दिन शिव योग भी बन रहा है, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है.
शुक्रवार लक्ष्मी व्रत का महत्व
ब्रह्मवैवर्त पुराण और मत्स्य पुराण में शुक्रवार व्रत करने का उल्लेख मिलता है, जिसमें बताया गया है कि इस दिन माता लक्ष्मी, संतोषी और शुक्र ग्रह के लिए विधि-विधान से पूजा करने से सुख, समृद्धि, धन-धान्य और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है. इस दिन विधि-विधान से पूजा करने पर सभी कष्ट दूर होते हैं और माता रानी भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं. अगर कोई भी जातक व्रत को शुरू करना चाहता है, तो किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले शुक्रवार से कर सकता है. आमतौर पर 16 शुक्रवार तक व्रत रखने के बाद उद्यापन किया जाता है.
शुक्रवार माता लक्ष्मी पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें. पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कें. लाल कपड़े पर माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. दीप जलाएं और फूल, चंदन, अक्षत, कुमकुम और मिठाई का भोग लगाएं. ‘श्री सूक्त’ और ‘कनकधारा स्तोत्र’ का पाठ करें. साथ ही महालक्ष्मी मंत्र ‘ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः’ का जप करें. ये जाप समृद्धि और सौभाग्य पाने के लिए किया जाता है. विष्णुप्रियाय नमः का जप भी लाभकारी है. पूजा के अंत में कमल पुष्प अर्पित करें, लक्ष्मी चालीसा पढ़ें. प्रसाद में खीर, मिश्री और बर्फी बांटें. इस दिन गरीबों को भोजन, वस्त्र या धन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है.

लाल किताब अनुसार शुक्रवार के विशेष उपाय
- रुपया या चांदी का सिक्का लाल कपड़े में लपेटकर पूजा स्थल में रखें, यह स्थायी लक्ष्मी का प्रतीक है.
- शाम के समय कुमारी कन्या को खीर या मिठाई खिलाएं, ऐसा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और आशीर्वाद देती हैं.
- शुक्रवार के दिन घर की दक्षिण दिशा में सफेद फूल रखें. यह कुंडली में शुक्र ग्रह की स्थिति को मजबूत करता है.
- शुक्रवार को काले वस्त्र, झगड़ा या कर्ज देना टालें. ऐसा करने से धन हानि का योग बनता है.
मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें
मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें







