Thursday, December 11, 2025
24 C
Surat

Sri Varaha Lakshmi Narasimha Swamy Devastanam Know why statue is covered in Chandan lep | यहां दो स्वरूपों में विराजमान हैं भगवान विष्णु के उग्र रूप, जानें क्यों साल भर लगा रहता है चंदन का लेप?


Last Updated:

वैसे तो आपने भगवान विष्णु के कई मंदिरों के दर्शन किए होंगे लेकिन आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में भगवान विष्णु का एक ऐसा मंदिर हैं, जहां दो स्वरूपों की पूजा एक साथ की जाती है. साथ ही इन दोनों प्रतिमाओं पर चंदन का लेप लगाया जाता है. मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने मात्र से सभी इच्छाएं पूरी हो जाती है. आइए जानते हैं भगवान विष्णु के इस मंदिर के बारे में…

ख़बरें फटाफट

यहां दो स्वरूपों में विराजमान हैं भगवान विष्णु, साल भर लगा रहता है चंदन का लेप

Sri Varaha Lakshmi Narasimha Swamy Devastanam: भगवान विष्णु ने समय-समय पर पृथ्वी को बचाने और राक्षसों का संहार करने के लिए अलग-अलग अवतार लिए हैं. आइए भगवान विष्णु के वराह और नरसिंह अवतार के बारे में जानते हैं. दोनों रूपों में भगवान विष्णु के अलग-अलग मंदिर भारत के अलग-अलग कोनों में मौजूद हैं, लेकिन विशाखापत्तनम में एक ऐसा मंदिर है, जहां भगवान विष्णु के संयुक्त रूप की पूजा होती है. यहां भगवान विष्णु के उग्र स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है और इस उग्र स्वरूप को शांत रखने के लिए प्रतीमा पर चंदन का लेप लगाया जाता है. मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने मात्र से सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं और सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. आइए जानते हैं भगवान विष्णु के इस मंदिर के बारे में…

वराह और नरसिंह अवतार की संयुक्त रूप से पूजा
श्री वराह लक्ष्मी नरसिम्हा मंदिर आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में सिम्हाचलम पहाड़ी पर समुद्र तल से 800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, जिनके यहां वराह और नरसिंह अवतार की संयुक्त रूप से पूजा की जाती है. मंदिर में प्रतिमा को साल भर चंदन के लेप से ढका जाता है और सिर्फ अक्षय तृतीया के दिन ही उनका पूरा रूप देखने को मिलता है.

प्रतिमा पर लगाया जाता है चंदन का लेप
साल के बाकी दिन चंदन के लेप से ढके होने की वजह से प्रतिमा शिवलिंग के समान दिखती है. भगवान के बिना चंदन के रूप को ‘निजरूप दर्शन’ कहा जाता है, जिसके दर्शन साल में सिर्फ एक बार हो पाते हैं. प्रतिमा को चंदन के लेप से इसलिए ढका जाता है, क्योंकि भगवान का वराह और नरसिंह अवतार उग्र और भयंकर ऊर्जा से भरा है. उनकी ऊर्जा को संतुलित करने के लिए प्रतिमा पर रोजाना चंदन का लेप लगाया जाता है, जिससे भगवान को शीतलता मिले और वे शांत रूप में भक्तों को दर्शन दे सकें. प्रतिमा पर चंदन लगाने की प्रथा काफी सालों से चली आ रही है.

दोनों ही रूपों की अलग-अलग पौराणिक कथा
भगवान विष्णु के इन दोनों ही रूपों की अलग-अलग पौराणिक कथा मौजूद हैं. भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए नरसिम्हा का अवतार लेकर राक्षस हिरण्यकशिपु का वध किया था, जबकि वराह अवतार लेकर भगवान विष्णु ने राक्षस हिरण्याक्ष को मारा था और मां पृथ्वी को बचाया था.

11वीं सदी में करवाया था मंदिर का निर्माण
मंदिर के निर्माण को लेकर कई तरह की बातें की जाती हैं. माना जाता है कि 11वीं सदी में राजा श्री कृष्णदेवराय ने मंदिर का निर्माण करवाया था, लेकिन मंदिर के इतिहास में 13वीं सदी में पूर्वी गंग वंश के नरसिंह प्रथम का योगदान भी देखने को मिलता है. मंदिर की नक्काशी और गोपुरम दोनों सदी की शैली को दिखाते हैं. बढ़ते समय के साथ मंदिर अलग-अलग राज्यों के संरक्षण में रहा और धीरे-धीरे मंदिर का निर्माण बढ़ता गया.

मंदिर पर्यटन की दृष्टि से खास
मंदिर में जयस्तंभ भी स्थापित है, जिसे कलिंग के राजा कृष्णदेवराय ने युद्ध के दौरान बनवाया था. मंदिर आध्यात्मिकता के साथ-साथ सांस्कृतिक शैली और अलग-अलग युगों के संरक्षण का प्रमाण देता है. यह मंदिर पर्यटन की दृष्टि से भी खास है. भक्त भगवान के अद्भुत दो रूपों को देखने के लिए आते हैं.

homedharm

यहां दो स्वरूपों में विराजमान हैं भगवान विष्णु, साल भर लगा रहता है चंदन का लेप

Hot this week

tarot card horoscope today 12 december 2025 | friday tarot zodiac predictions aries to pisces money wealth career and health | आज का टैरो...

Aaj Ka Tarot Rashifal: टैरो राशिफल सभी राशियों...

Topics

spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img