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Stambheshwar Temple: भगवान शिव अद्भुत मंदिर, दिन में दो बार दिखकर समा जाता है समुद्र की गोद में, जानें इसका रहस्य

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Shree Stambheshwar Mahadev Temple: स्तंभेश्वर महादेव मंदिर अपनी अद्भुत विशेषता के कारण दुनियाभर के पर्यटकों को आकर्षित करता है. यह मंदिर प्रकृति और धर्म का एक अद्भुत संगम है. अगर आप भी किसी अनोखे मंदिर के दर्शन…और पढ़ें

भगवान शिव अद्भुत मंदिर, दिन में दो बार दिखकर समा जाता है समुद्र की गोद में

स्तंभेश्वर महादेव मंदिर

हाइलाइट्स

  • स्तंभेश्वर महादेव मंदिर दिन में दो बार समुद्र में डूबता और उभरता है.
  • यह मंदिर गुजरात के वडोदरा जिले के कवी कम्बोई गांव में स्थित है.
  • मंदिर के दर्शन के लिए ज्वार-भाटा के समय का ध्यान रखना होता है.

Shree Stambheshwar Mahadev Temple: भारत देश अपने प्राचीन मंदिरों और विविधताओं के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है. यहां कई ऐसे मंदिर हैं जो अपनी अद्भुत और रहस्यमयी विशेषताओं के कारण श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. ऐसा ही एक अनोखा मंदिर गुजरात में स्थित है जो दिन में दो बार दिख कर गायब हो जाता है. इस मंदिर का नाम है स्तंभेश्वर महादेव मंदिर।

स्तंभेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास

स्तंभेश्वर महादेव मंदिर गुजरात के वडोदरा जिले के जंबुसर के पास कवी कम्बोई गांव में स्थित है. यह मंदिर अरब सागर के तट पर स्थित है. इस मंदिर का निर्माण लगभग 150 साल पहले हुआ था. इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह दिन में दो बार दिख कर समुद्र में डूब जाता है और फिर थोड़ी देर बाद वापस प्रकट हो जाता है.

क्या है इस मंदिर का रहस्य?

इस मंदिर से जुडी़ कई पौराणिक कथा विद्यमान है. इनमे से एक कथा है ताड़कासुर का अंत और स्तंभेश्वर की स्थापना.

एक समय की बात है ताड़कासुर नाम का एक शक्तिशाली असुर था. उसने अपनी कठोर तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न कर लिया. भगवान शिव ने उससे वरदान मांगने को कहा. ताड़कासुर ने अमर होने का वरदान मांगा लेकिन भगवान शिव ने कहा कि ये संभव नहीं है. तब ताड़कासुर ने वरदान मांगा कि उसे केवल शिव के पुत्र द्वारा ही मारा जा सके और उस पुत्र की आयु भी केवल छह दिन की होनी चाहिए. भगवान शिव ने उसे ये वरदान दे दिया.

वरदान पाकर ताड़कासुर अहंकारी हो गया. उसने देवताओं और ऋषि-मुनियों को परेशान करना शुरू कर दिया. उसके अत्याचारों से त्रस्त होकर सभी भगवान शिव के पास गए और उनसे ताड़कासुर का वध करने की प्रार्थना की. भगवान शिव ने उनकी प्रार्थना सुनी और श्वेत पर्वत कुंड से छह दिन के बालक कार्तिकेय का जन्म हुआ. कार्तिकेय ने ताड़कासुर का वध कर दिया लेकिन जब उन्हें पता चला कि ताड़कासुर शिव का भक्त था तो उन्हें बहुत दुख हुआ.

कार्तिकेय को अपने कृत्य पर पश्चाताप हुआ. उन्होंने भगवान विष्णु से प्रायश्चित का मार्ग पूछा. भगवान विष्णु ने उन्हें सुझाव दिया कि वे उस स्थान पर एक शिवलिंग स्थापित करें जहां उन्होंने ताड़कासुर का वध किया था. कार्तिकेय ने ऐसा ही किया. उन्होंने वहां एक सुंदर शिवलिंग स्थापित किया. यह स्थान बाद में स्तंभेश्वर के नाम से प्रसिद्ध हुआ. माना जाता है कि आज भी कार्तिकेय उस शिवलिंग पर जल अर्पण करने आते हैं.

इस मंदिर के गायब होने के पीछे प्राकृतिक कारण भी है. यह मंदिर एक ऐसे स्थान पर स्थित है जहां ज्वार-भाटा आता है. जब समुद्र में ज्वार आता है तो मंदिर पानी में डूब जाता है. जब भाटा आता है तो पानी कम हो जाता है और मंदिर फिर से दिखाई देने लगता है.

कैसे करें स्तंभेश्वर महादेव के दर्शन?

स्तंभेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन करने के लिए आपको ज्वार-भाटा के समय का ध्यान रखना होगा. मंदिर के पुजारी आपको ज्वार-भाटा का समय बता देंगे ताकि आप मंदिर के प्रकट होने के बाद ही दर्शन कर सकें.

स्तंभेश्वर महादेव मंदिर से जुड़ी मान्यताएं

स्तंभेश्वर महादेव मंदिर के बारे में कई मान्यताएं प्रचलित हैं. कुछ लोगों का मानना है कि इस मंदिर में भगवान शिव स्वयं प्रकट होते हैं. कुछ लोगों का मानना है कि इस मंदिर में मांगी गई मन्नतें पूरी होती हैं.

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