Monday, September 22, 2025
27 C
Surat

Story Of Mahishasura: क्या आदिवासी या दलित था महिषासुर? क्यों होती है देश के कई हिस्सों में उसकी पूजा 


Last Updated:

Story Of Mahishasura: महिषासुर को झारखंड, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ के आदिवासी और दलित समुदाय अपना पूर्वज मानते हैं और नवरात्र में उसका शहादत दिवस मनाते हैं. कई स्थानों पर शोक भी मनाया जाता है.

क्या आदिवासी या दलित था महिषासुर,क्यों होती है देश के कई हिस्सों में उसकी पूजाझारखंड, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के कुछ आदिवासी इलाकों में महिषासुर को पूजा जाता है.
Story Of Mahishasura: महिषासुर के पिता रंभ असुरों (राक्षसों) के राजा थे. असुरों को देवताओं का शाश्वत शत्रु माना जाता है. ‘महिषासुर’ एक संस्कृत शब्द है जो ‘महिष’ अर्थात भैंस और ‘असुर’ अर्थात दैत्य-देवता से मिलकर बना है. हिंदू माइथोलॉजी के मुताबिक महिषासुर अपनी असीमित शक्तियों के बूते तीनों लोकों में उत्पात मचाने लगा. उसका अंत करने के लिए देवताओं के तेज से मां दुर्गा (Maa Durga) का जन्म हुआ, जिन्होंने महिषासुर का संहार किया. लेकिन यह महिषासुर की कहानी का सिर्फ एक हिस्सा है. देश के कई इलाके ऐसे हैं, जहां महिषासुर की पूजा होती है. कुछ जनजातियां उसे अपना पूर्वज मानती हैं. कुछ इलाकों में महिषासुर को दलित माना जाता है. आखिर महिषासुर में ऐसा क्या खास था कि उसको लेकर इतनी कहानियां प्रचलित हैं?

कौन था महिषासुर?
ऐसा कहा जाता है कि रंभा को एक बार एक महिषी यानी एक भैंस से प्यार हो गया था. भैंस के भेष में एक शापित राजकुमारी थी, जिसका नाम श्यामला था. अंततः महिषासुर का जन्म हुआ और इस अपरंपरागत मिलन के परिणामस्वरूप वह अपनी इच्छा से मानव या भैंस का रूप ले सकता था. जैसे-जैसे किंवदंतियां आगे बढ़ती हैं भैंस राक्षस राजा महिषासुर को जल्द ही अपने छल कौशल और अपार पराक्रम के कारण एक महाशक्ति के रूप में मान्यता प्राप्त हुई. 

ये भी पढ़ें- Explainer: डोनाल्ड ट्रंप ने क्यों भारत को बताया अवैध ड्रग हब, उनके दावे में कितना दम 

ब्रह्मा से मिला अमरता का वरदान
वह भगवान ब्रह्मा का कट्टर उपासक था, जिन्हें हिंदू धर्म में ‘सृजनकर्ता भगवान’ माना जाता है. 10,000 सालों की तपस्या के बाद ब्रह्मा अंततः प्रसन्न हुए और महिषासुर को एक वरदान दिया. अधिक शक्ति, वर्चस्व और प्रभुत्व के भूखे महिषासुर ने अमरता की मांग की. जब ब्रह्मा ने ऐसी असंभव इच्छा को पूरा करने से इनकार कर दिया तो महिषासुर ने बुद्धिमानी से अपनी इच्छा बदल दी. ब्रह्मा ने उसकी इच्छा पूरी की और यह कहते हुए चले गए कि एक स्त्री ही उसका अंत करेगी. इस विश्वास के साथ कि कोई स्त्री उसे मार नहीं पाएगी महिषासुर ने गर्जना की, “एक दुर्बल और दुर्बल स्त्री ऐसा नहीं कर पाएगी.”

ये भी पढ़ें- हिमाचल का अनोखा ‘खंजर विवाह’, इस परंपरा में होती है बिना दूल्हे के शादी

वरदान पाकर हुआ आततायी
ब्रह्मा का वरदान पाकर महिषासुर आततायी हो गया. वो देवलोक में उत्पात मचाने लगा. उसने इंद्रदेव पर विजय पाकर स्वर्ग पर कब्जा जमा लिया. ब्रह्मा, विष्णु, महेश समेत सभी देवतागण परेशान हो उठे. महिषासुर के संहार के लिए सभी देवताओं के तेज से मां दुर्गा ने जन्म लिया. सभी देवताओं ने मां दुर्गा को अपने अस्त्र-शस्त्र दिए. भगवान शिव ने अपना त्रिशूल दिया. भगवान विष्णु ने अपना चक्र दिया. इंद्र ने अपना वज्र और घंटा दिया. इसी तरह से सभी देवताओं के अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित मां दुर्गा शेर पर सवार होकर महिषासुर का संहार करने निकली. महिषासुर और उसकी सेना के साथ देवी दुर्गा का भयंकर युद्ध हुआ. देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध कर देवताओं को उसके अत्याचार से मुक्ति दिलवाई. महिषासुर के वध के कारण ही मां दुर्गा महिषासुर मर्दिनी कहलायीं.

हिंदू माइथोलॉजी के मुताबिक देवी दुर्गा ने महिषासुर के आतंक से देवताओं को मुक्त करने के लिए उसका संहार किया.
ये भी पढ़ें- कैसे ‘ऑपरेशन पोलो’ से हुआ हैदराबाद का भारत में विलय, देखता रह गया पाकिस्तान

आदिवासी क्यों मानते हैं अपना पूर्वज?
महिषासुर को कुछ आदिवासी और दलित इलाकों में भगवान माना जाता है. इन इलाकों के आदिवासी और दलित इसे अपना पूर्वज मानते हैं. झारखंड, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के कुछ आदिवासी इलाकों में महिषासुर को पूजा जाता है. इनका कहना है कि देवी दुर्गा ने छल से उसका वध किया था. महिषासुर उनके पूर्वज थे और देवताओं ने असुरों का नहीं बल्कि उनके पूर्वजों का संहार किया था. झारखंड के गुमला में असुर नाम की एक जनजाति रहती है. ये लोग महिषासुर को अपना पूर्वज मानते हैं. झारखंड के सिंहभूम इलाके की कुछ जनजाति भी महिषासुर को अपना पूर्वज मानती है. इन इलाकों में नवरात्रों के दौरान महिषासुर का शहादत दिवस मनाया जाता है. बंगाल के काशीपुर इलाके में भी आदिवासी समुदाय के लोग महिषासुर के शहादत दिवस को धूमधाम से मनाते हैं.

ये भी पढ़ें- भारत-पाकिस्तान के बीच बासमती चावल ही नहीं बल्कि पश्मीना से लेकर आम के जीआई टैग को भी लेकर रहता है टकराव 

एक जनजाति मनाती है शोक
कई जगहों पर महिषासुर को राजा भी माना जाता है. असुर जनजाति के लोग नवरात्रों के दौरान दस दिनों तक शोक मनाते हैं. इस दौरान किसी भी तरह के रीति रिवाज या परंपरा का पालन नहीं होता है. आदिवासी समुदाय के लोग बताते हैं कि उस रात विशेष एहतियात बरती जाती है, जिस रात महिषासुर का वध हुआ था. कुछ आदिवासी मानते हैं कि महिषासुर का असली नाम हुडुर दुर्गा था. वो एक वीर योद्धा था. महिषासुर महिलाओं पर हथियार नहीं उठाता था. इसलिए देवी दुर्गा को आगे कर उनकी छल से हत्या कर दी गई. आदिवासी आज भी महिषासुर के किस्सों को अपने बच्चों को सुनाते हैं.

ये भी पढ़ें- जानें दुनिया के सबसे पुराने उस शाही महल का गौरवशाली इतिहास, जो करेगा ट्रंप-मेलानिया की मेजबानी 

आदिवासी मिथकों में क्या है कहानी
महिषासुर को आदिवासी या दलित बताने वाले समुदाय के मुताबिक ये आर्यों और अनार्यों के बीच की लड़ाई की कहानी है. इस कहानी के मुताबिक करीब तीन हजार साल पहले महिषासुर अनार्यों का राजा था. उस दौर में अनार्य भैंसों की पूजा करते थे. महिषासुर के पास असीमित शक्ति थी. उसने अपनी ताकत के बल पर कई आर्य राजाओं को शिकस्त दी थी. उत्तरी आर्यावर्त में महिषासुर की ख्याति थी. उसी दौर में उत्तरी आर्यावर्त के एक हिस्से में एक रानी ने शासन संभाला. वो आर्य राजा जो महिषासुर से हार चुके थे, सबने मिलकर उस रानी से महिषासुर के खिलाफ युद्ध लड़ने की प्रार्थना की. 

ये भी पढ़ें- पाकिस्तान बना रहा सिंधु नदी पर बड़ा बांध, क्यों झेलना पड़ रहा अपने लोगों का विरोध? 

शेर ने किया महिषासुर का खात्मा
रानी ने युद्ध के लिए विभिन्न अस्त्र-शस्त्रों से लैस शक्तिशाली सेना बनायी. जबकि महिषासुर के पास सेना कम पड़ गयी. महिषासुर को लगता था कि वो एक रानी से नहीं हार सकता. फिर भी उसने रानी के पास बातचीत के लिए अपने दूत भेजे. रानी ने दूत को बिना बातचीत के वापस लौटा दिया. लेकिन महिषासुर बार-बार बातचीत का न्योता देने के लिए अपने दूत भेजता रहा. तब तक रानी ने अपनी विशालकाय सेना के साथ महिषासुर पर आक्रमण कर दिया. महिषासुर के पास भी शक्तिशाली सेना थी. महिषासुर को लग रहा था कि वो जीत जाएगा. लेकिन रानी ने महिषासुर के सीने को अपने त्रिशूल से छलनी कर दिया. रानी के पालतू शेर ने महिषासुर को खत्म कर दिया.

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
homeknowledge

क्या आदिवासी या दलित था महिषासुर,क्यों होती है देश के कई हिस्सों में उसकी पूजा

Hot this week

Topics

Sharadiya Navratra special importance of Maharatri Nisha Puja

Last Updated:September 22, 2025, 21:39 ISTMaharatri Nisha Puja...

Easy dal recipe। आसान दाल रेसिपी

Last Updated:September 22, 2025, 21:19 ISTQuick Dal Recipe:...
spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img