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Surya Arghya after sunrise। सूर्य देव को अर्घ्य देने की विधि


Jal Chadane Ke Niyam: सुबह का समय दिन की शुरुआत का सबसे पवित्र और ऊर्जावान समय माना जाता है. इसी वक्त जब उगता हुआ सूरज अपनी सुनहरी किरणों से आसमान को जगमगाने लगता है, तब बहुत से लोग श्रद्धा से उसे जल अर्पित करते हैं यानी “सूर्य को अर्घ्य” देते हैं. हिंदू धर्म में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. कहा जाता है कि सूर्य देव न सिर्फ हमारे जीवन को रोशनी देते हैं, बल्कि हमें आत्मविश्वास, ऊर्जा और सेहत का वरदान भी देते हैं. कई लोग रोजाना अर्घ्य देते हैं, लेकिन ज्यादातर को यह नहीं पता होता कि जल अर्पित करने के बाद क्या करना चाहिए. आम तौर पर लोग अर्घ्य देकर सीधे अपने कामों में लग जाते हैं, जबकि शास्त्रों में अर्घ्य देने के बाद एक बेहद खास क्रिया बताई गई है जो जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाती है, और घर में सुख-समृद्धि का मार्ग खोलती है. वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स बताते हैं कि अगर कोई व्यक्ति हर सुबह सूर्य को अर्घ्य देने के बाद सिर्फ एक काम कर ले, तो सूर्य देव की कृपा लगातार उस पर बनी रहती है. आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से आखिर वह काम क्या है और क्यों जरूरी माना गया है.

सूर्य को अर्घ्य देने के बाद क्या करें?
जब आप उगते हुए सूर्य को जल अर्पित करते हैं, तो वह पानी धरती पर गिरता है और उसकी हर बूंद सूर्य की किरणों से मिलकर एक तरह से ऊर्जा का रूप ले लेती है. यही कारण है कि शास्त्रों में कहा गया है कि अर्घ्य देने के बाद उस गिरे हुए जल को व्यर्थ न जाने दें. आपको सबसे पहले उस जल को हल्के से अपने हाथों से छूना चाहिए और थोड़ा-सा पानी अपने माथे, छाती या बाहों पर लगाना चाहिए. ऐसा करने से उस पवित्र जल में मौजूद सूर्य की ऊर्जा आपके शरीर में समा जाती है.

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यह केवल धार्मिक मान्यता नहीं, बल्कि एक तरह की प्राकृतिक प्रक्रिया है. जब सूरज की किरणों से स्पर्श हुआ जल आपके शरीर से मिलता है, तो इससे आपकी त्वचा को हल्की गर्माहट और ऊर्जा महसूस होती है. ऐसा माना जाता है कि इससे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है और मन में स्थिरता आती है.

क्यों जरूरी है यह छोटा-सा कदम?
सूर्य ऊर्जा, शक्ति और आत्मविश्वास का प्रतीक है. जब आप जल अर्पण करते हैं, तो आप सीधे उस ऊर्जा से जुड़ते हैं, लेकिन अगर आप अर्घ्य देने के बाद तुरंत वहाँ से हट जाते हैं, तो उस पल की ऊर्जा अधूरी रह जाती है.
जब आप उस गिरे हुए जल को अपने शरीर पर लगाते हैं, तो वह सूर्य की ऊर्जा को आत्मसात करने जैसा होता है. यह माना जाता है कि इससे शरीर में तेज आता है, चेहरा निखरता है और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है.

ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि यह क्रिया हमारे अंदर के दोषों को भी शांत करती है. यदि किसी की कुंडली में सूर्य कमजोर है या आत्मविश्वास की कमी रहती है, तो रोजाना अर्घ्य देने के बाद यह क्रिया करने से धीरे-धीरे सुधार महसूस होता है.

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मानसिक और आध्यात्मिक लाभ
अर्घ्य के बाद जल को शरीर पर लगाने से न केवल शारीरिक ऊर्जा मिलती है बल्कि मानसिक शांति भी मिलती है. यह माना जाता है कि इससे मन में सकारात्मकता बढ़ती है, चिंता और तनाव कम होते हैं, और पूरे दिन का माहौल अच्छा बना रहता है, अगर आप ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे कि जो लोग रोजाना श्रद्धा से यह काम करते हैं, उनके चेहरे पर हमेशा एक अलग-सी चमक और आत्मविश्वास झलकता है. यह केवल धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि एक तरह की ‘एनर्जी थेरेपी’ है जो बिना किसी खर्च के आपको मानसिक और शारीरिक रूप से सशक्त बनाती है.

न करें ये गलती
कई लोग सूर्य को अर्घ्य देने के तुरंत बाद पीछे मुड़ जाते हैं या सीधे घर के अंदर चले जाते हैं. ऐसा नहीं करना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार अर्घ्य देने के बाद कुछ क्षण वहीं खड़े रहना चाहिए, सूर्य देव को प्रणाम कर आशीर्वाद लेना चाहिए, फिर उस जल को अपने माथे पर लगाकर दिन की शुरुआत करनी चाहिए. ऐसा करने से दिनभर के कार्यों में सफलता, आत्मविश्वास और सकारात्मकता बनी रहती है.

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