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Surya Grahan Daan: पितृ अमावस्या पर पितरों की पूजा-अर्चना करने का विधान है. यह तिथि पितरों के निमित्त तर्पण करने के लिए उत्तम मानी जाती है. इस बार सर्वपितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण लगेगा. इस दिन दान का महत्व बेहद बढ़ जाएगा.
पितृ अमावस्या पर पितरों को विदाई दी जाती है. उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण, ब्राह्मण भोज, दान-पुण्य आदि कार्य किए जाते हैं. इसी दिन सूर्य ग्रहण लगने से दान-पुण्य का महत्व कई गुना बढ़ जाता है. उज्जैन के ज्योतिषाचार्य आनंद भारद्वाज ने बताया कि पितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण पुण्य कमाने के लिए बढ़िया संयोग है. इस दिन विशेष चीजों का दान करना शुभ रहेगा. इससे पितृ भी प्रसन्न होंगे.
साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण 21 सितंबर को लगने जा रहा है. यह आंशिक ग्रहण होगा. भारतीय समय के अनुसार 21 सितंबर को रात में 10:59 बजे ग्रहण शुरू होकर देर रात 03:23 बजे के लगभग तक चलेगा. हालांकि, ये सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा. इस कारण सूतक काल के नियम भी भारत में लागू नहीं होंगे.
ग्रहण के बाद दान करने का महत्व
- इस दिन दान का विशेष महत्व होता है. सूर्य ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान कर पूजा-अर्चना करें और श्रद्धा के अनुसार गरीबों को चना, गेहूं, गुड़, और दाल का दान करें. मान्यता है कि ऐसा करने से सभी कार्यों में सफलता मिलती है और ग्रहण के प्रभाव से बचाव होता है.
- केले, बेसन के लड्डू और पेड़े का दान भी शुभ माना जाता है, जिससे सभी तरह के दुख और दर्द दूर होते हैं और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है.
- जो लोग अपने पद और प्रतिष्ठा में वृद्धि चाहते हैं, वे इस दिन लाल रंग के वस्त्र, दूध, और चावल का दान कर सकते हैं, जिससे पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.