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Teacher’s Day Special: टीचर्स डे पर मिलिए उन 7 महान गुरु से, जो आज भी हैं पूजनीय, हमेशा किए जाएंगे याद


हाइलाइट्स

त्रेतायुग के महान संत और ऋषि थे वशिष्ठ मुनि.जो अयोध्या के राजा दशरथ के भी गुरु रहे और इन्होंने ही भगवान राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न को शिक्षा दी थी.

Teacher’s Day Special: 5 सितंबर, जिसे भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. ये दिवस अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. भारत की धरा ने हमें एक से बढ़कर एक महान गुरु दिए हैं, जिन्हें आज भी याद किया जाता है और इनकी महानता के चलते इन्हें हमेशा याद किया जाएगा. कौनसे हैं वे गुरु? आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.

1. वशिष्ठ मुनि
त्रेतायुग के महान संत और ऋषि थे वशिष्ठ मुनि. जो अयोध्या के राजा दशरथ के भी गुरु रहे और इन्होंने ही भगवान राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न को शिक्षा दी थी. इन्होंने भगवान राम को राजधर्म, योग, शस्त्र विद्या का ज्ञान प्रदान कर मर्यादा पुरुषोत्तम बनाया. इनसे ज्ञान प्राप्ति के बाद भगवान राम ने रावण को पराजित किया और धरती पर रामराज्य की स्थापना करने में सफलता प्राप्त की. गुरु वशिष्ट ने भगवान राम का राज्याभिषेक किया. इसके अलावा समय-समय पर उनका मार्गदर्शन भी किया.

2. भगवान परशुराम
भगवान परशुराम विष्णु के छठे अवतार के रूप में पूजे जाते हैं. उनके गुरु खुद भगवान शिव और भगवान दत्तात्रेय थे. भगवान शिव से उन्हें परशु की प्राप्ति हुई थी, जिसके कारण उनका नाम परशुराम हुआ. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार परशुराम जी ने कई बार क्षत्रियों का नाश कर दिया था. ऐसा इसलिए क्योंकि वे क्षत्रियों के अंहकार को खत्म करना चाहते थे. पितामह भीष्म, गुरु द्रोणाचार्य और दानवीर कर्ण उनके प्रमुख शिष्यों में गिने जाते हैं. भगवान परशुराम ने अपने शिष्यों को भी अपनी तरह शक्तिशाली बनाया.

3. महर्षि वेदव्यास
शिक्षक दिवस के उपलक्ष में महर्षि वेदव्यास को भी याद किया जाता है. महर्षि कृष्णद्वैपायन वेदव्यास महाभारत ग्रंथ और 18 पुराणों के रचयिता माने जाते हैं. इन्होंने ना केवल महाभारत की रचना की, बल्कि उन घटनाओं के भी साक्षी भी रहे, जिनका वर्णन उन्होंने पुराणों में किया है. महर्षि वेदव्यास ने ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद को अपने शिष्यों को सौंप दिए थे.

4. गुरु द्रोणाचार्य
द्वापर युग के महान गुरुओं में महर्षि भारद्वाज के पुत्र द्रोणाचार्य का नाम लिया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि वे देवगुरु बृहस्पति के अंशावतार थे. गुरु द्रोणाचार्य ने कौरव और पांडव सहित इस कुल के सभी राजकुमारों को दीक्षा और अस्त्र-शस्त्र की विद्या प्रदान की थी. गुरु द्रोणाचार्य के सबसे महान शूरवीर शिष्यों में से एक अर्जुन थे और महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन से ही वीरगति प्राप्त हुई थी. धार्मिक ग्रंथों में वर्णन मिलता है कि एकलव्य ने द्रोणाचार्य को मानस गुरु मानकर उनसे शिक्षा प्राप्त की थी.

5. महर्षि विश्वामित्र
महर्षि विश्वामित्र भी भगवान राम के गुरु थे. इनसे ही भगवान राम को धनुर्विद्या का ज्ञान अर्जित किया था. महर्षि विश्वामित्र ने भगवान ब्रह्मा की कठोर तपस्या करके अपने क्रोध पर विजय प्राप्त की थी और ब्रह्मर्षि का पद प्राप्त किया था. महर्षि विश्वामित्र ने भगवान राम और लक्ष्मण को अपने यज्ञ पूरा करने के लिए ले गए थे. यहां तक कि भगवान राम और माता सीता का विवाह भी उन्होंने ही करवाया था.

6. ऋषि सांदीपनि
संदीपनी का अर्थ है, देवताओं के ऋषि. भगवान कृष्ण, बलराम और सुदामा के गुरु थे सांदीपनि ऋषि. आज भी उज्जैन में उनका आश्रम मौजूद है. ऋषि सांदीपनि ने ही भगवान कृष्ण को 64 दिन में चौंसठ कलाओं में निपुण बनाया था. इसके साथ ही वेद-पुराण का अध्ययन भी कराया था.

7. आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य को कौन नहीं जानता. आचार्य चाणक्य के गुरु उनके पिता चणक थे और वह महान सम्राट चंद्रगुप्त के गुरु थे. आचार्य चाणक्य का मूल नाम विष्णुगुप्त था, इन्हें कौटिल्य के नाम से भी जाना जाता था. उन्होंने मानव कल्याण के लिए कई नीतियां बनाई हैं, जिन्हें आज भी पढ़ा और माना जाता है. आचार्य चाणक्य ने अपनी कूटनीति के बल पर अखंड भारत का निर्माण किया था. तक्षशिला में ही आचार्य चाणक्य ने शिक्षा प्राप्त कर वहीं आचार्य बनकर छात्रों को ज्ञान दिया था.

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