Home Dharma Tulsi Astrological Importance। राहु दोष में तुलसी के उपाय

Tulsi Astrological Importance। राहु दोष में तुलसी के उपाय

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enefits of Tulsi Plant: भारतीय संस्कृति में तुलसी को सबसे पवित्र पौधों में गिना जाता है. यह न केवल एक औषधीय वनस्पति है, बल्कि इसे घर-आंगन की देवी भी कहा गया है. हर सुबह और शाम तुलसी के पौधे के सामने दीपक जलाना, जल अर्पित करना और उसके चारों ओर परिक्रमा करना एक पारंपरिक साधना है. तुलसी के बिना कोई पूजा अधूरी मानी जाती है. अगर हम ज्योतिष की दृष्टि से देखें, तो तुलसी केवल एक पौधा नहीं बल्कि नौ ग्रहों की ऊर्जा को संतुलित करने वाला माध्यम है. इसके पत्ते, सुगंध और वातावरण में फैलने वाली तरंगें हमारे मन, शरीर और विचारों पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं. ज्योतिष शास्त्र कहता है कि तुलसी सूर्य की तेजस्विता, चंद्र की शीतलता और गुरु की पवित्रता का संगम है. यही कारण है कि तुलसी के पौधे के पास बैठकर ध्यान करने से मानसिक शांति, आत्म-विश्वास और आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है. तुलसी को राहु-केतु के नकारात्मक प्रभावों से बचाने वाला पौधा भी माना गया है. आइए अब जानते हैं कि तुलसी का ग्रहों से क्या संबंध है और यह किस तरह हमारे जीवन को संतुलित करती है. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी, वास्तु विशेषज्ञ एवं न्यूमेरोलॉजिस्ट हिमाचल सिंह.

1. तुलसी और ग्रहों का संबंध

ग्रह            तुलसी का प्रभाव                                       दूर होने वाले दोष
1. सूर्य –     शरीर में ऊर्जा और आत्म-बल बढ़ाती है          आलस्य, थकान, आत्मविश्वास की कमी
2. चंद्र –     मन को शांत और स्थिर बनाती है                    बेचैनी, चिंता, भय
3. गुरु –     ज्ञान और विवेक को प्रबल करती है                 भ्रम, निर्णय में त्रुटि
4. शुक्र –    प्रेम और आकर्षण को शुद्ध करती है               वासनात्मक विचार, संबंधों में तनाव
5. बुध –     संवाद और अभिव्यक्ति शक्ति को बढ़ाती है      बोलचाल में कठिनाई, अध्ययन में कमी
6. मंगल –  क्रोध और आवेग को नियंत्रित करती है            रक्त विकार, वैवाहिक तनाव
7. शनि –    नकारात्मक ऊर्जा को घटाती है                     विलंब, उदासी, कर्मजाल
8. राहु –     भय, भ्रम और मोह से मुक्ति दिलाती है           नशे की प्रवृत्ति, मानसिक अस्थिरता
9. केतु –    ध्यान और आत्म-ज्ञान को जागृत करती है        एकांतप्रियता, अस्थिर विचार

1. तुलसी के ऊर्जात्मक और आध्यात्मिक गुण
तुलसी सूर्य की किरणों को खींचकर उन्हें सकारात्मक ऊर्जा में बदल देती है. इसके आस-पास का वातावरण शुद्ध और जीवंत हो जाता है. घर के उत्तर-पूर्व दिशा में तुलसी लगाने से वास्तु दोष और ग्रह दोष दोनों का प्रभाव घटता है.
तुलसी का पौधा हवा में मौजूद हानिकारक तत्वों को सोखकर घर में सुख-शांति फैलाता है. जो लोग ध्यान या साधना करते हैं, उन्हें तुलसी के समीप बैठकर ध्यान करने से गहरी एकाग्रता मिलती है.

राहु और शुक्र दोष निवारण में तुलसी का योगदान

2. राहु दोष में लाभ
राहु व्यक्ति को भ्रम, भय और मोह में डाल देता है. तुलसी इस नकारात्मकता को कम करती है.
प्रतिदिन तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाकर “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करने से राहु के प्रभाव शांत होते हैं.

3. शुक्र दोष में लाभ
शुक्र दोष से प्रेम-जीवन में तनाव और शारीरिक असंतुलन होता है. तुलसी इन प्रभावों को संतुलित करती है.
शुक्रवार को तुलसी पर जल चढ़ाकर “ॐ शुं शुक्राय नमः” मंत्र का जाप करने से मानसिक शुद्धि और दांपत्य सुख बढ़ता है.

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4. तुलसी पूजन के लाभ
1. पुण्य की प्राप्ति – तुलसी पूजन से आत्मिक शुद्धि और मोक्ष मार्ग की ओर प्रवृत्ति बढ़ती है.
2. गृह-कलह का अंत – तुलसी घर की नकारात्मक तरंगों को सोखकर शांति स्थापित करती है.
3. समृद्धि में वृद्धि – तुलसी मां लक्ष्मी का प्रतीक मानी जाती है, जिससे धन-प्रवाह बढ़ता है.
4. स्वास्थ्य लाभ – तुलसी का सेवन शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है.
5. संतान सुख – तुलसी आराधना से संतान-सुख की प्राप्ति मानी गई है.

5. तुलसी का धार्मिक और व्यावहारिक महत्व
तुलसी विवाह, तुलसी पूजन और कार्तिक माह के अनुष्ठान हिंदू परंपरा में विशेष माने जाते हैं. तुलसी को जल अर्पित करने से घर में लक्ष्मी का वास बना रहता है. तुलसी का पत्ता प्रसाद में मिलने से नकारात्मक विचार दूर होते हैं.
आधुनिक समय में वैज्ञानिकों ने भी माना है कि तुलसी हवा में मौजूद जीवाणुओं को नष्ट करती है और वातावरण को शुद्ध रखती है. इस प्रकार यह पौधा केवल आस्था का नहीं बल्कि स्वास्थ्य और संतुलन का प्रतीक है.

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