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Tulsi Vivah Vidhi 2025 Muhurat: तुलसी विवाह कार्तिक शुक्ल एकादशी और द्वादशी तिथि को जब शुभ मुहूर्त होता है तो करते हैं. इस बार कई जगहों पर रविवार को तुलसी विवाह की तैयारी है. रविवार को तुलसी का स्पर्श करना वर्जित है. ऐसे में तुलसी विवाह कैसे होगा? आइए जानते हैं तुलसी विवाह विधि और मुहूर्त.
Tulsi Vivah Vidhi 2025 Muhurat: लोग तुलसी विवाह की तैयारी रविवार के लिए कर रहे हैं. पंचांग के अनुसार, तुलसी विवाह का आयोजन हर साल कार्तिक शुक्ल एकादशी और द्वादशी तिथि को प्रदोष काल में करते हैं. इस बार कई जगहों पर तुलसी विवाह रविवार को है, जबकि रविवार के दिन तुलसी छूना वर्जित है. ऐसे में तुलसी विवाह कैसे होगा? काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट का कहना है कि तुलसी विवाह का दिन मुहूर्त के अनुसार होता है. एकादशी और द्वादशी तिथि निश्चित नहीं होती है. इन दोनों ही दिनों में जब मुहूर्त हो तो कर लेना चाहिए. कुछ लोग एकादशी को करते हैं तो कुछ द्वादशी को ही करते हैं. उनका मनना है कि वे जिस तिथि को करते आ रहे हैं, उस दिन ही करेंगे. ऐसी स्थिति में फिर मुहूर्त और नियम देखने की जरूरत क्या है? आप जिस तिथि को करते हैं, उस तिथि को शाम में तुलसी विवाह कर दीजिए.
रविवार को क्यों नहीं छूते हैं तुलसी?
मान्यताओं के अनुसार, रविवार के दिन तुलसी जी भगवान विष्णु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. यदि रविवार को तुलसी में जल देते हैं या छूते हैं तो उनका व्रत खंडित हो जाएगा. इस वजह से रविवार को तुलसी में जल अर्पित करना और उनको छूना दोनों ही मना है.
एकादशी पर तुलसी विवाह मुहूर्त
द्वादशी पर तुलसी विवाह मुहूर्त
यदि आप हर साल कार्तिक शुक्ल द्वादशी पर तुलसी विवाह करते हैं तो आप 2 नवंबर को सूर्यास्त के बार यानि 05:35 पी एम के बाद तुलसी विवाह कर सकते हैं. उस समय सर्वार्थ सिद्धि योग बना हुआ है.
तुलसी विवाह की विधि
- तुलसी विवाह के शुभ मुहूर्त में 4 गन्ने से विवाह का मंडप तैयार करें. उसे फूल और माला से सजाएं.
- इसके बाद लकड़ी की चौकी पर पीले और लाल कपड़ा बिछाएं. पीले कपड़े पर भगवान शालिग्राम और लाल कपड़े पर तुलसी का पौधा रखें. रविवार को तुलसी विवाह करना है तो तुलसी के पौधे को स्पर्श न करें. तुलसी के पौधे के पास ही विवाह की व्यवस्था करें.
- अब आप चौकी के पास एक कलश स्थापना करें. उसमें सात प्रकार के अनाज, आम के पत्ते, सिक्का आदि डालकर पानी से भर दें.
- इसके बाद माता तुलसी की पूजा सिंदूर, अक्षत्, हल्दी, फूल, माला, फल, धूप, दीप आदि से करें. ॐ तुलस्यै नमः मंत्र का उच्चारण करते रहें.
- तुलसी जी को लाल चुनरी, एक लाल साड़ी, श्रृंगार सामग्री और सुहाग का सामान अर्पित करें. गाय के घी का एक दीप जलाएं.
- इसके बाद भगवान शालिग्राम की पूजा अक्षत्, चंदन, हल्दी, फूल, फल, वस्त्र, मिठाई आदि अर्पित करके करें. उनके लिए भी एक दीप जलाएं. ॐ शालिग्रामाय नमः मंत्र का उच्चारण करें.
- अब आप शालिग्राम जी को अपने हाथ में लेकर तुलसी जी की 7 बार परिक्रमा कराएं. उसके बाद तुलसी चालीसा और तुलसी विवाह की कथा पढ़ें. फिर दोनों की आरती करें.
- पूजा का समापन क्षमा प्रार्थना से करें. गलतियों और कमियों के लिए क्षमा मांगें. फिर उनसे वैवाहिक जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करने की विनती करें. जो लोग जल्द विवाह के लिए पूजा कर रहे हैं, वे उस मनोकामना की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें.
- तुलसी विवाह के अंत में प्रसाद वितरण करें.
कार्तिकेय तिवारी Hindi Bharat.one Digital में Deputy News Editor के पद पर कार्यरत हैं. वर्तमान में धर्म, ज्योतिष, वास्तु और फेंगशुई से जुड़ी खबरों पर काम करते हैं. पत्रकारिता में 12 वर्षों का अनुभव है. डिजिटल पत्रक…और पढ़ें
कार्तिकेय तिवारी Hindi Bharat.one Digital में Deputy News Editor के पद पर कार्यरत हैं. वर्तमान में धर्म, ज्योतिष, वास्तु और फेंगशुई से जुड़ी खबरों पर काम करते हैं. पत्रकारिता में 12 वर्षों का अनुभव है. डिजिटल पत्रक… और पढ़ें







