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Utpanna Ekadashi 2025: उत्पन्ना एकादशी पर आज करें यह उपाय, सभी दुखों से मिल जाएगी मुक्ति, हरिद्वार के ज्योतिषी से जानें महत्व

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Utpanna Ekadashi 2025: वैदिक पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली उत्पन्ना एकादशी विष्णु भगवान की प्रिय तिथि मानी जाती है. हरिद्वार के पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि इस दिन गंगा स्नान, पूजा और दान करने से रोगों से मुक्ति मिलती है और विष्णु व लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है-

हरिद्वार. एक संवत में कुल 12 मास (महीने) होते हैं और एक मास में दो पक्ष कृष्ण, शुक्ल पक्ष होते है. वैदिक पंचांग के अनुसार एक संवत में 12 मास और 24 पक्षों का आगमन होता है. सभी 24 पक्ष में एकादशी तिथि होती है जो विष्णु भगवान को सबसे अधिक प्रिय बताई गई है. मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष में उत्पन्ना एकादशी का आगमन होता है. गीता के अनुसार विष्णु भगवान और उनके अवतार श्री कृष्णा को मार्गशीर्ष मास (मंगसिर महीना) सबसे अधिक प्रिय है, जिसमें उत्पन्ना एकादशी का आगमन होता है. इस दिन यदि धार्मिक अनुष्ठान आदि किए जाए तो सभी दुख खत्म हो जाते हैं.

इसकी अधिक जानकारी देते हुए हरिद्वार के विद्वान धर्म आचार्य पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि विष्णु भगवान अपने चार महीने की योग निद्रा पूरी करके कार्तिक शुक्ल पक्ष की हरि प्रबोधिनी एकादशी को वापस आते आते हैं. इसके बाद मार्गशीर्ष मास का आगमन होता है, जिसमें कृष्ण पक्ष में उत्पन्ना एकादशी का विशेष पर्व आता है. इस दिन यदि हिंदू तीर्थ नगरी हरिद्वार में गंगा स्नान, पूजा पाठ और दान किया जाए तो सभी रोगों से छुटकारा मिल जाता है और भगवान विष्णु की कृपा सदैव बनी रहती है साथ ही लक्ष्मी माता की कृपा भी सदैव बनी रहती है.

वह बताते हैं कि साल भर में होने वाले सभी 24 एकादशी में मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष में होने वाली उत्पन्ना एकादशी का सबसे अधिक महत्व होता है. इस एकादशी पर धार्मिक अनुष्ठान गंगा स्नान करने से सभी एकादशी का फल प्राप्त होता है. उत्पन्ना एकादशी सभी पापों को का नाश करने वाली और सांसारिक दुखों को खत्म करती है. वह आगे बताते हैं कि उत्पन्ना एकादशी के दिन पवित्र मन से भगवान विष्णु और एकादशी का कार्य विधि विधान से करने पर इस जन्म में सभी सुखों की प्राप्ति होती है और अगले जन्म में मोक्ष मिलता है. 15 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी का व्रत, धार्मिक अनुष्ठान किया जाएगा. यदि आप इसका व्रत नहीं कर सकते तो भगवान विष्णु की पूजा आराधना, गंगा स्नान करने से संपूर्ण फल प्राप्त होगा, लेकिन उत्पन्ना एकादशी के दिन चावल वर्जित होते हैं. यदि गलती से चावलों का सेवन किया जाता है तो उसका पाप कई जन्मों तक नहीं उतरता.

Lalit Bhatt

पिछले एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं. 2010 से अपने पत्रकारिता करियर की शुरुआत की, जिसके बाद यह सफर निरंतर आगे बढ़ता गया. प्रिंट, टीवी और डिजिटल-तीनों ही माध्यमों में रिपोर्टिंग से ल…और पढ़ें

पिछले एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं. 2010 से अपने पत्रकारिता करियर की शुरुआत की, जिसके बाद यह सफर निरंतर आगे बढ़ता गया. प्रिंट, टीवी और डिजिटल-तीनों ही माध्यमों में रिपोर्टिंग से ल… और पढ़ें

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उत्पन्ना एकादशी पर आज करें यह उपाय, सभी दुखों से मिल जाएगी मुक्ति

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