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Vinayaka Chaturthi 2024: विनायक चतुर्थी आज, इस शुभ मुहूर्त में पूजा करने से होगा लाभ! जानें महत्व और व्रत कथा


Vinayaka Chaturthi Vrat 2024: विनायक चतुर्थी या गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो भगवान गणेश को समर्पित है और गणेश जी को विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता माना जाता है. इस दिन गणेश जी की मूर्ति स्थापित की जाती है और उनकी पूजा की जाती है. गणेश जी को सभी विघ्नों को दूर करने वाले माना जाता है. इसलिए, किसी भी शुभ काम की शुरुआत से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है. गणेश जी को बुद्धि के देवता भी माना जाता है. इसलिए छात्र गणेश जी की पूजा करके बुद्धि और ज्ञान प्राप्त करने की कामना करते हैं. विनायक चतुर्थी को नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है. इस दिन लोग नए काम की शुरुआत करते हैं. विनायक चतुर्थी की व्रत कथा और मुहूर्त के बारे में Bharat.one को बता रहे हैं तीर्थ नगरी सोरों (कासगंज) के ज्योतिषाचार्य गौरव कुमार दीक्षित-

विनायक चतुर्थी पर पूजा का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की 4 नवंबर को रात में 11 बजकर 24 मिनट पर शुरू होगी. इस तिथि का समापन 5 नवंबर को देर रात 12 बजकर 16 मिनट पर होगा. उदयातिथि के आधार पर विनायक चतुर्थी का व्रत 5 नवंबर दिन मंगलवार को रखा जाएगा. जो लोग 5 नवंबर को विनायक चतुर्थी का व्रत रखेंगे, उनको पूजा के लिए 2 घंटे 11 मिनट का शुभ मुहूर्त प्राप्त होगा. उस दिन विनायक चतुर्थी की पूजा का शुभ समय दिन में 10 बजकर 59 मिनट से दोपहर 1 बजकर 10 मिनट तक है. इस समय में ही आपको गणपति बप्पा की पूजा विधि विधान से कर लेना चाहिए.

विनायक चतुर्थी 2024 पर शुभ योग

इस बार की विनायक चतुर्थी पर 2 शुभ योग बन रहे हैं. सुकर्मा योग दिन में 11 बजकर 28 मिनट से बन रहा है, जो पूर्ण रात्रि तक है. वहीं रवि योग सुबह में 6 बजकर 36 मिनट से बनेगा, जो सुबह 9 बजकर 45 मिनट तक रहेगा. उस दिन ज्येष्ठा नक्षत्र प्रात:काल से लेकर सुबह 9 बजकर 45 मिनट तक है. उसके बाद से मूल नक्षत्र है. 5 नवंबर को विनायक चतुर्थी के दिन चंद्रोदय सुबह में 10 बजकर 5 मिनट पर होगा, वहीं चंद्रास्त रात में 8 बजकर 9 मिनट पर होगा. विनायक चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन वर्जित है. चंद्रमा का दर्शन करने से मिथ्या कलंक लगने की आशंका होती है.

विनायक चतुर्थी का महत्व

विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है. गणेश जी को विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता माना जाता है. इस पर्व को भारत के विभिन्न हिस्सों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. भगवान गणेश को सभी विघ्नों को दूर करने वाले देवता माना जाता है. इसलिए, किसी भी शुभ काम की शुरुआत से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है. गणेश जी को बुद्धि के देवता भी माना जाता है. इसलिए, छात्र गणेश जी की पूजा करके बुद्धि और ज्ञान प्राप्त करने की कामना करते हैं. विनायक चतुर्थी को नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है. इस दिन लोग नए काम शुरू करना शुभ माना जाता है.

विनायक चतुर्थी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार माता पार्वती और भगवान महादेव नर्मदा नदी के तट पर चौपड़ खेल रहे थे. खेल में हार जीत का फैसला करने के लिए महादेव ने एक पुतला बना दिया और उसकी प्राण प्रतिष्ठा कर दी. भगवान महादेव ने बालक से कहा कि जीतने पर जीतने पर विजेता का फैसला करे. महादेव और माता पार्वती ने खेलना शुरू किया और तीनों बाद माता पार्वती जीत गईं. खेल समाप्त होने के बाद बालक ने महादेव को विजयी घोषित कर दिया. यह सुनकर माता पार्वती क्रोधित हो गईं और बालक को अपाहिज रहने का शाप दे दिया.

इसके बाद माता पार्वती से बालक ने क्षमा मांगी और कहा कि ऐसा भूलवश हो गया है. जिसके बाद माता पार्वती ने कहा कि शाप तो वापस नहीं लिया जा सकता लेकिन इसका एक उपाय है. माता पार्वती ने बालक को उपाय बताते हुए कहा कि भगवान गणेश की पूजा के लिए नाग कन्याएं आएंगी और तुमको उनके कहे अनुसार व्रत करना होगा, जिससे तुमको शाप से मुक्ति मिल जाएगी. बालक कई सालों तक शाप से जूझता रहा और एक दिन नाग कन्याएं भगवान गणेश की पूजा के लिए आईं. जिनसे बालक ने गणेश व्रत की विधि पूछी. बालक ने सच्चे मन से भगवान गणेश की पूजा की, जिससे प्रसन्न होकर भगवान गणेश ने वरदान मांगने को कहा.

बालक ने भगवान गणेश से प्रार्थना की और कहा कि, हे विनायक, मुझे इतने शक्ति दें कि मैं पैरों से चलकर कैलाश पर्वत पर जा सकूं. भगवान गणेश ने बालक को आशीर्वाद दे दिया और अंतर्ध्यान हो गए. इसके बाद बालक ने कैलाश पर्वत पर भगवान महादेव को शाप मुक्त होने की कथा सुनाई. चौपड़ वाले दिन से माता पार्वती भगवान शिव से रुष्ट हो गई थीं. बालक के बताए अनुसार, भगवान शिव ने भी 21 दिनों का भगवान गणेश का व्रत किया. व्रत के प्रभाव से माता पार्वती के मन से भगवान महादेव के प्रति नाराजगी खत्म हो गई. मान्यता है कि भगवान गणेश की जो सच्चे मन से पूजा अर्चना और आराधना करते हैं, उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं. साथ ही कथा सुनने व पढ़ने मात्र से जीवन में आने वाले सभी विघ्न दूर होते हैं.

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