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Haridwar News: एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु की आराधना सहस्त्रनाम का पाठ और विष्णु स्तोत्र आदि का पाठ विधि अनुसार किया जाए, तो एकादशी का संपूर्ण फल प्राप्त होता है. एकादशी एक देवी है जो विष्णु भगवान के शरीर से मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को उत्पन्न हुई थी.
हरिद्वार: एक संवत में 24 एकादशियों का आगमन मानव कल्याण के लिए होता है. 12 मास और सभी मास के दोनों पक्षों में होने वाली एकादशी विष्णु भगवान को समर्पित होती है. इस दिन विष्णु भगवान की पूजा अर्चना, आराधना, मंत्रों का जाप आदि धार्मिक अनुष्ठान करने से मोक्ष की प्राप्ति होने की धार्मिक मान्यता है. एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और सभी सांसारिक दुखों से छुटकारा पाने के लिए सबसे सरल उपाय है जिसे विधि विधान से किया जाता है. एकादशी को लेकर अक्सर लोगों के मन में यही सवाल सबसे पहले आता है कि भगवान विष्णु को एकादशी क्यों प्रिय है और इसके पीछे की क्या कहानी है. चलिए विस्तार से जानते हैं…
क्या है एकादशी का महत्व
क्या है पौराणिक मान्यताएं
वह बताते हैं कि एकादशी देवी हैं जो विष्णु भगवान का ही अंश है. पौराणिक कथाओं के अनुसार मुर नामक राक्षस विष्णु भगवान से युद्ध करके उन्हें करने के लिए बैकुंठ धाम आया था. उस समय विष्णु भगवान योग निद्रा में थे. वह राक्षस विष्णु भगवान को करने के लिए आगे बढ़ा तो उनके शरीर से देवी उत्पन्ना की उत्पत्ति हुई थी. देवी उत्पन्ना ने मुर राक्षस से युद्ध करके उसका वध कर दिया और विष्णु भगवान पर आने वाला संकट खत्म हो गया. इस तरह देवी उत्पन्ना ने विष्णु भगवान की रक्षा की.
एकादशी के दिन करें विधि विधान से पूजा
यह पूरा घटनाक्रम मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को हुआ था. तभी से विष्णु भगवान को एकादशी तिथि सबसे अधिक प्रिय है. यदि उत्पन्ना एकादशी या अन्य एकादशी तिथि पर विष्णु भगवान की पूजा अर्चना, पूजा पाठ, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ विधि अनुसार किया जाए तो जीवन में सभी समस्याओं का नाश हो जाता है और भौतिक सुखों धन, वाहन आदि सभी की प्राप्ति हो जाती है.







