Kaliyug kab Shuru Hua: देशभर के प्रसिद्ध कथावाचकों में इंद्रेश उपाध्याय का भी नाम शामिल है. कुछ ही दिन पहले उन्होंने हरियाणा की शिप्रा से शादी की है. वे वृंदावन के युवा और लोकप्रिय कथावाचक हैं, जिन्होंने अपने ज्ञान, अपनी मधुर आवाज़, भजन और कथावाचन से लोगों को दिलों में जगह बनाई है. उनकी विनम्रता और ज्ञान ने न सिर्फ मथुरा को गौरवान्वित किया, बल्कि दुनियाभर में सम्मान मिला. उन्होंने अपनी कथाओं के जरिए लोगों को अनेकों धार्मिक जानकारियां दी हैं. इसी क्रम में एक पॉडकास्ट के दौरान उनसे पूछा गया कि, कलियुग की शुरुआत कब हुई थी? हम कैसे जानें कि कलियुग चल रहा है? कलियुग का प्रभाव क्या हैं? जानिए इस बारे में उन्होंने क्या कहा-
कलियुग की शुरुआत कब हुई थी?
कलियुग की शुरुआत पर कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय बताते हैं कि, भगवान कृष्ण जिस दिन धरा-धाम छोड़कर गए, कलियुग उसी दिन प्रारंभ हो गया था. इसका विवरण भागवत पुराण में आता है. वे कहते हैं कि, एक बार राजा परीक्षित कहीं जा रहे थे. उसी समय उन्हें पहली बार कलियुग मिला. राजा ने परिचय पूछा उसने कहा मैं कलियुग हूं. इस राजा चौंक कर बोले- तुम कब आए? मुझे तो लग रहा था कि अभी द्वापर ही चल रहा है. तब उसने कहा कि, जब श्रीकृष्ण अपना मानव शरीर छोड़कर पृथ्वी लोक से वैकुंठ गए थे, तब कलियुग का आरंभ हो चुका था.
क्या कलियुग में जल्दी मान जाते हैं भगवान
इस सवाल का जबाव देते हुए कथावाचक कहते हैं कि, जी कलियुग में ठाकुर जी को हम सभी भक्तों पर दया का भाव ज्यादा होता है. प्रभुजी मानते हैं कि, ये विचारे जीव हैं. इनका जीवन भी छोटा है. दरअसल, इंसान को 100 साल मिले हैं, लेकिन आजकल के खानपान के चलते इस आंकड़े को बहुत कम लोग छू पाते हैं. इंसान को इन सौ सालों में ही शिक्षा, विवाह और बच्चे भी करने हैं. इसलिए इस युग में अगर कोई महापापी भी है और एक बार ठाकुर जी का नाम ले लेता है उद्धार हो जाता है.
इन 5 स्थानों पर रहता है कलियुग
इस सवाल को उन्होंने एक श्लोक “द्यूतं पानं स्त्रियः सूना, द्यूतं पानं स्त्रियः सूना यत्राधर्मश्चतुर्विधः· पुनश्च याचमानाय जातरूपमदात्प्रभुः।।” के जरिए समझाया. वे कहते हैं कि, भागवत महापुराण में कलियुग के पांच स्थान बताए गए हैं. बता दें कि, ये स्थान भी कलियुग को राजा परीक्षित जी ने ही दिए थे. एक बार की बात है कि, राजा परीक्षित जी कलियुग को पिटाई कर रहे थे, तब उसने उनके चरण पकड़ लिए. इस पर राजा परीक्षित ने उसको रहने के 5 स्थान बताए थे. वे 5 स्थान हैं- जुआ, मदिरा पान या दूषित भोजन, परस्त्री या परपुरुष संग, हिंसा या क्लेश और बिना मेहनत कमाया गया धन.
कलियुग का प्रभाव क्या हैं?
माता-पिता अनादर करना.
संबंधों को दूषित कर देना. चाहे वो भाई-भाई हो, पति-पत्नी हो या फिर माता पिता हों.
किसी के भाव के भाव को दूषित करके दूसरों को बताना.
धन को अपनी दासी समझना यानी अपने भोग के लिए प्रयोग करना.
मद्यपान और दूषित भोजन करना
परस्त्री या परपुरुष संग करने में लज्जा न होना
लड़ाई-झगड़ों को बढ़ावा देना.






