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when is Vijay Dashami festival 2024 Shiv Sati Leela was staged with beginning of Ramlila in buxar


संजय कुमार/बक्सर: जिले के ऐतिहासिक किला मैदान में 21 दिवसीय विजयादशमी महोत्सव 2024 का भव्य शुभारंभ हो गया है. शुभारंभ की शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ गणेश पूजन से हुई. इस दौरान अहिरौली मठ के मठाधीश्वर मधुसूदनाचार्य मौजूद रहे और उनके आशीर्वचन के साथ रामलीला का उद्घाटन किया गया.

रामलीला के शुभारंभ के साथ शिव सती लीला का मंचन किया गया, जिसे देखने के लिए जिले के गणमान्य लोग, महिलाएं और पुरुषों की काफी संख्या में भीड़ देखने को मिली. समिति सचिव बैकुंठ नाथ शर्मा ने Local18 टीम को बताया कि आजादी पूर्व से चली आ रही इस परंपरागत संस्कृति को रामलीला समिति ने निरंतर भव्यता प्रदान करने का प्रयास किया है और आगे भी यह जारी रहेगा. यह महोत्सव पूरे बिहार में प्रसिद्ध है.

वृंदावन की मंडली करती है रामलीला
दशहरा महोत्सव के तहत दिन में रासलीला और रात को रामलीला का मंचन किया जाता है, जिसमें एक तरफ श्रीकृष्ण और दूसरी तरफ मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के चरित्र का साक्षात दर्शन होता है. 21 दिवसीय आयोजन के लिए वृंदावन की सुप्रसिद्ध श्रीराधा माधव रासलीला एवं रामलीला मंडली को बुलाया गया है, जिनके कलाकारों द्वारा रामलीला और रासलीला का मंचन किया जाता है. दरअसल, पहली बार इसकी शुरुआत 109 साल पहले वर्ष 1915 में, शहर के नया चौक स्थित श्रीचंद्र मंदिर में की गई थी. उस वक्त इसका आयोजन छोटे स्तर के स्थानीय कलाकारों के सहयोग से होता था. संसाधन और आधुनिक तकनीक के अभाव में श्रीचंद्र मंदिर के अलावा लीला के अलग-अलग प्रसंगों को शहर के जंगल, नदी और तालाब के समीप प्रदर्शित कर रामायण के कांड के अनुसार दिखाने का प्रयास किया जाता था.

कब होती है रामलीला की शुरुआत
विजयादशमी महोत्सव की शुरुआत हर साल अश्विन कृष्णपक्ष अष्टमी तिथि, यानि जीवित पुत्रिका व्रत की रात से होती है, जिसका समापन दशहरा के तीसरे दिन भरत मिलाप और राम के राज्याभिषेक के साथ होता है. बदलते परिवेश और बढ़ती भीड़ को देखते हुए, साल 1989 में इसका आयोजन श्रीचंद्र मंदिर से किला मैदान में स्थाई रूप से स्थानांतरित कर दिया गया था, जिसके बाद से अब तक इसी जगह पर इसका भव्य रूप से शुभारंभ किया जाता है.

पहले दिन शिव विवाह प्रसंग का मंचन
बता दें कि वृंदावन से पधारे सर्वश्रेष्ठ रामलीला मंडल श्रीराधा माधव रासलीला एवं रामलीला मंडली के स्वामी श्रीसुरेश उपाध्याय “व्यास जी” के सफल निर्देशन में 21 दिवसीय कार्यक्रम के अंतर्गत पहले दिन गणेश पूजन और शिव विवाह प्रसंग का मंचन किया गया. इस दौरान दिखाया गया कि सती और भोलेनाथ ऋषि अगस्त के यहां रामकथा सुनते हैं. सती श्रीराम की परीक्षा लेने जाती हैं, जहां श्रीराम उन्हें पहचान जाते हैं और भोलेनाथ जी का समाचार पूछते हैं, जिसके बाद सती लज्जित होकर अपनी आंखें बंद कर लेती हैं. इस दौरान उन्हें राम, लक्ष्मण और सीता का प्रतिबिंब दिखाई देता है.

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