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who is Manglik what is mangal Dosh know their personality, मांगलिक दोष क्या है कुंडली में इसके प्रभाव और उपाय जानें.


ज्योतिष में मंगल ग्रह को ऊर्जा, साहस और क्रोध का कारक माना जाता है. जब किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह कुछ खास भावों में बैठ जाता है, तब उसे मांगलिक कहा जाता है. अक्सर लोग मांगलिक शब्द सुनते ही घबरा जाते हैं, लेकिन सच यह है कि यह एक ज्योतिषीय स्थिति है, जिसका प्रभाव हर व्यक्ति पर अलग-अलग होता है. सही जानकारी और उपाय अपनाने पर यह दोष जीवन को मुश्किल नहीं बनाता, बल्कि कई बार व्यक्ति को बेहद तेज, साहसी और मजबूत भी बनाता है.

जब मंगल कुंडली के 1st, 4th, 7th, 8th या 12th भाव में बैठ जाए, तो इसे मांगलिक दोष कहा जाता है. इन भावों पर मंगल का असर रिश्तों, स्वभाव और शादीशुदा जीवन को प्रभावित करता है. इसी कारण कई लोग शादी के लिए कुंडली मिलान में मंगल दोष देखते हैं. इसे कुंडली में मौजूद एक एनर्जी पैटर्न की तरह समझना चाहिए, जो अच्छे या चुनौतीपूर्ण परिणाम दे सकता है.

मांगलिक लोगों का स्वभाव कैसा होता है? 
मांगलिक लोग सामान्य लोगों से थोड़े अलग और मजबूत व्यक्तित्व वाले माने जाते हैं. उनमें ऊर्जा ज्यादा होती है, जिसके कारण वे अपने काम में तेजी और जोश दिखाते हैं. ऐसे लोग आत्मनिर्भर होते हैं और कुछ भी पाने के लिए मेहनत करने से पीछे नहीं हटते. कई बार इस ऊर्जा का रूप चिड़चिड़ापन, गुस्सा या अधीरता भी बन सकता है. मजबूत इंट्यूशन वाले होते हैं. मेहनती और अपनी बात पर अडिग रहते हैं. प्यार और रिश्तों में ज्यादा डिमांडिंग होते हैं. उन्हें गुस्सा भी बहुत जल्दी आता है. अगर यह ऊर्जा सही दिशा में जाए, तो मांगलिक लोग जीवन में बड़ा नाम और सफलता हासिल कर सकते हैं.

क्या मांगलिक होने से शादी में परेशानी आती है
पुरानी मान्यताओं के अनुसार मांगलिक और नॉन-मांगलिक की शादी से वैवाहिक जीवन में टकराव या असंतुलन बढ़ सकता है. इसी कारण मांगलिक व्यक्ति की शादी ज्यादातर दूसरे मांगलिक से कराने की सलाह दी जाती थी. लेकिन आधुनिक समय में ज्योतिषी मानते हैं कि यह दोष हमेशा नकारात्मक नहीं होता. कई कुंडलियों में ऐसे योग बन जाते हैं जो मंगल दोष को निष्क्रिय या कमजोर कर देते हैं. साथ ही आजकल लोग समझदारी और भावनात्मक परिपक्वता से रिश्तों को संभालते हैं.

मंगल दोष कितने साल में खत्म होता है
ज्योतिष के अनुसार मंगल दोष स्थायी नहीं रहता. जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की दशा और गोचर बदलते हैं. आमतौर पर 28 से 30 साल की उम्र के बाद मंगल दोष का प्रभाव काफी कम हो जाता है. मंगल महादशा या अंतर्दशा के अनुसार भी इसका असर बदलता रहता है. कई बार कुंडली के अन्य ग्रह मंगल के दोष को स्वतः ही संतुलित कर देते हैं. इसलिए शादी के समय केवल मंगल दोष देखकर निर्णय नहीं लेना चाहिए. पूरे चार्ट के आधार पर ही सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है.

मंगल दोष के उपाय
अगर किसी की कुंडली में मंगल अधिक प्रभावी हो, तो इन उपायों से लाभ मिल सकता है.
मंगलवार को हनुमान मंदिर जाकर चोला चढ़ाना.
मसूर दाल और गुड़ का दान करना.
लाल रंग कम पहनना.
हनुमान चालीसा का नियमित पाठ.
योग और मेडिटेशन से ऊर्जा को संतुलित करना.

(Disclaimer: यह खबर सामान्य जानकारी पर आधारित है, Bharat.one Hindi इसकी पुष्टी नहीं करता है.)

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