Animals Crying At Night: रात का माहौल हमेशा शांत और रहस्यमय होता है. जब पूरा इलाका सोने लगता है, तब कई बार अचानक कुत्तों या बिल्लियों के रोने की आवाजें सुनाई देने लगती हैं. यह आवाजें सामान्य होते हुए भी लोगों के मन में कई सवाल खड़े कर देती हैं. भारत में पुरानी मान्यताओं और लोककथाओं में जानवरों को विशेष संवेदनाओं से भरा माना गया है. कहा जाता है कि वे इंसानों से पहले कई चीजों को महसूस कर लेते हैं-चाहे वह खतरा हो, मौसम में बदलाव हो या किसी तरह की हलचल. यही वजह है कि उनका अचानक व्यवहार बदलना कई बार लोगों को सोचने पर मजबूर कर देता है. कई परिवारों में लगातार यह चर्चा सुनने को मिलती है कि रात में जानवरों की बेचैनी किसी संभावित घटना का संकेत देती है. खासकर कुत्ते और बिल्लियां, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे अपने आसपास के माहौल में होने वाले परिवर्तन को तुरंत पहचान लेते हैं. कई बार कुत्तों का अचानक रोना, चिल्लाना या बिल्लियों का दरवाजे पर बैठकर रोना लोगों को असहज कर देता है. कुछ लोग इसे अशुभ संकेत मानते हैं, जबकि कुछ इसे सिर्फ संयोग कहते हैं. लेकिन लोकमान्यताओं के अनुसार, इसमें कई तरह के संदेश छिपे होते हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.
इस आर्टिकल में हम समझेंगे भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से कि रात में कुत्तों, बिल्लियों और यहां तक कि गाय के अचानक रोने या बोलने को लोकधाराओं में कैसे देखा जाता है, इसके पीछे क्या संकेत माने जाते हैं और लोग इसे किस तरह समझते आए हैं.
रात में कुत्ते का रोना-क्या माना जाता है संकेत?
कुत्तों को बेहद संवेदनशील माना जाता है. कहा जाता है कि वे आसपास होने वाली किसी हलचल को पहले ही पहचान लेते हैं. लोकविश्वास के अनुसार, अगर कोई कुत्ता रात में अचानक रोने लगे तो इसे शुभ नहीं माना जाता. ऐसा मानना है कि यह किसी दुखद घटना की आहट हो सकती है. कई बार लोगों ने अनुभव साझा किया है कि रात में कुत्ते का लगातार रोना, अगले दिन किसी खराब समाचार का संकेत बन जाता है.
कुछ मान्यताओं में यह भी कहा जाता है कि जब किसी क्षेत्र में प्राकृतिक बदलाव होने वाला हो-जैसे तेज तूफान, भूकंप या मौसम में अचानक परिवर्तन-तो कुत्ते बेचैन होने लगते हैं और उनका व्यवहार बदल जाता है. वे या तो तेज आवाज में भौंकते हैं या रोने जैसा सुर निकालते हैं. हालांकि इसका वैज्ञानिक आधार स्पष्ट नहीं है, लेकिन लोकविश्वास में इसे एक संकेत की तरह देखा जाता है.

रात में बिल्ली का रोना-कैसा माना जाता है?
बिल्लियों को रहस्यमय जानवर माना गया है और कई मान्यताएँ उनसे जुड़ी हुई हैं. अगर रात में कोई बिल्ली किसी घर के दरवाजे पर बैठकर रोने लगे तो इसे अच्छा नहीं माना जाता. माना जाता है कि यह किसी परेशानी या संकट की आहट हो सकती है, जो परिवार के किसी सदस्य को प्रभावित कर सकती है.
इसी तरह, अगर कोई सोती हुई बिल्ली रात में अचानक जागकर बेचैन दिखे या तेज आवाज करे, तो कुछ लोग इसे छोटे-मोटे स्वास्थ्य संबंधी संकेत के रूप में भी जोड़ते हैं. हालांकि यह भी मानना है कि ठंड के मौसम में या जब जानवरों को शारीरिक तकलीफ होती है, तो वे दर्द के कारण भी रो सकते हैं. यानी हर संकेत हमेशा नकारात्मक ही हो, यह जरूरी नहीं है.

रात में गाय का बोलना-क्या छिपा है संदेश?
गाय को शांत स्वभाव का जानवर माना जाता है. वह आमतौर पर सुबह या दिन में ही आवाज करती है. इसलिए जब कोई गाय रात के समय अचानक बोलने लगे तो इसे सामान्य नहीं माना जाता. कई क्षेत्रों में माना जाता है कि यह किसी परेशानी या असामान्य स्थिति का संकेत है. लोग कहते हैं कि यह आसपास होने वाली किसी समस्या की आहट हो सकती है, जैसे किसी मुसीबत, विवाद या इलाके में तनाव का माहौल बनने की संभावना.
गाय का यह व्यवहार काफी दुर्लभ माना जाता है, इसलिए लोग इसे हल्के में नहीं लेते. हालांकि कुछ बार ये आवाजें सिर्फ भूख, मौसम या किसी बाहरी हलचल के कारण भी हो सकती हैं, इसलिए हर घटना को सीधा मान्यता से जोड़ना जरूरी नहीं है.

क्या हर बार ये संकेत सही होते हैं?
कहने को तो इन सब बातों का आधार लोकविश्वास है. कई लोग इन्हें अनुभव से जोड़ते हैं, तो कई इसे सिर्फ संयोग बताते हैं. जानवरों की रोने या बेचैनी की आवाजें कभी-कभी उनके दर्द, भूख, ठंड या डर के कारण भी होती हैं. इसलिए हर घटना को अशुभ मान लेना सही नहीं है. लेकिन लोककथाएँ आज भी लोगों के मन में अपनी जगह बनाए हुए हैं.







