Saturday, November 22, 2025
29 C
Surat

Why Krishna Krishna is not chanted। कृष्ण-कृष्ण क्यों नहीं बोलते


Hindu Chanting Traditiong: नाम जाप को हिंदू धर्म में सबसे आसान और सीधा तरीका माना जाता है जिससे इंसान भगवान से जुड़ सकता है. जब भी किसी के घर पूजा होती है, भजन-कीर्तन होता है या फिर हम मंदिर जाते हैं, वहां सबसे ज़्यादा भगवान के नाम ही सुनाई देते हैं. जब लोग एक-दूसरे से मिलते हैं, तो भी कई जगह “राधे-राधे”, “राम-राम”, “जय श्री कृष्ण” या “हर हर महादेव” बोलकर अभिवादन करते हैं. इन शब्दों में एक अपनापन भी होता है और भक्ति की ऊर्जा भी, लेकिन इसी बीच एक दिलचस्प सवाल उठता है-जब राधे-राधे बोला जाता है, राम-राम बोला जाता है, जय श्री कृष्ण बोला जाता है, हर हर महादेव बोला जाता है, तो फिर कृष्ण-कृष्ण-या शिव-शिव-जैसे अभिवादन क्यों नहीं सुनाई देते? क्या इसके पीछे सिर्फ परंपरा है या कोई गहरी वजह भी छिपी है? वृंदावन के कई संत, पुरानी मान्यताएं और ज्योतिषाचार्यों की बातें इस सवाल का जवाब थोड़ा और दिलचस्प बना देती हैं. खासकर राधा-कृष्ण की दिव्य प्रेम लीला और शिव की अनोखी ऊर्जा के बारे में जो कहा गया है, वो समझने लायक है. तो आइए पूरी साफ भाषा में, बिना भारी शब्दों के समझते हैं कि लोग भक्ति में राधे-राधे या राम-राम तो कहते हैं, लेकिन कृष्ण-कृष्ण या शिव-शिव क्यों नहीं? इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.

Why Krishna Krishna is not chanted
राधे-राधे का महत्व

कृष्ण-कृष्ण क्यों नहीं बोलते?
-राधा के बिना कृष्ण अधूरे माने जाते हैं
मान्यता यह है कि कृष्ण को हमेशा राधा के साथ ही पुकारना चाहिए. खुद भगवान कृष्ण ने राधा से वचन दिया था कि उनका नाम उनके साथ जुड़कर ही लिया जाएगा. इसका मतलब यह नहीं कि कृष्ण-कृष्ण बोलना गलत है, बल्कि लोग ऐसा इसीलिए नहीं बोलते क्योंकि कृष्ण का नाम अकेले लिया ही नहीं जाता, उसे पूरा तभी माना जाता है जब वह राधा के साथ हो – “राधे-कृष्ण”, “राधे-राधे”, “जय श्री राधे”, “जय श्री कृष्ण” आदि.

-राधा की कृपा के बिना कृष्ण की कृपा नहीं मिलती
कई संत कहते हैं कि जिस पर राधा की कृपा होती है, कृष्ण की कृपा अपने आप मिलने लगती है. शास्त्रों में भी लिखा है कि कृष्ण तक पहुंचने के लिए राधा ही मार्ग हैं, इसीलिए राधा का नाम आगे और कृष्ण का नाम बाद में लिया जाता है. इसलिए लोग कृष्ण-कृष्ण बोलने की जगह “राधे-राधे” या “जय श्री कृष्ण” बोलना ज्यादा शुभ मानते हैं.

शिव-शिव क्यों नहीं बोलते?
शिव का मामला कृष्ण से बिल्कुल अलग है. यहां आस्था के साथ-साथ ऊर्जा और अंक ज्योतिष भी शामिल है.
-शिव स्वयं में पूर्ण-उनका स्वरूप बहुत तेज माना जाता है
-भगवान शिव को सीमाओं में बंधा नहीं माना जाता.
-वो बैरागी भी हैं और गृहस्थ भी.
-विनाश भी करते हैं और पालन भी करते हैं.
-उनकी ऊर्जा बहुत प्रचंड और तीव्र मानी जाती है.

इसलिए उनके नाम का सीधा और दोहराया हुआ जाप हर किसी के लिए ठीक नहीं माना गया.

Why Krishna Krishna is not chanted
राधे-राधे का महत्व

-“शिव-शिव” बोलने पर पंच तत्वों की ऊर्जा आकर्षित होती है
अंक ज्योतिष के अनुसार –
-‘श’ अक्षर का अंक है 30
-‘व’ अक्षर का अंक है 29
दोनों को जोड़ें तो होता है 59
फिर जोड़ें: 5 + 9 = 14
फिर जोड़ें: 1 + 4 = 5

और अंक 5 पंच तत्वों-का प्रतीक माना जाता है.

माना जाता है कि शिव-शिव-बोलने पर पंच तत्वों और पंच भूतों की ऊर्जा हमारी ओर खिंचती है.
मनुष्य पंच तत्वों की ऊर्जा तो सह लेता है, लेकिन पंच भूतों की ऊर्जा भारी पड़ सकती है.

इसी वजह से शिव-शिव बोलने की जगह लोग “हर हर महादेव”, “बम भोले” या शिव के पंचाक्षर मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप करते हैं.

लोग ज़्यादातर क्या बोलते हैं और क्यों?
-“राधे-राधे”
क्योंकि राधा कृष्ण की शक्ति हैं और दोनों को अलग नहीं माना जाता.

-“राम-राम”
क्योंकि यह सरल, सकारात्मक और सदियों से लोगों के बीच सम्मान का तरीका रहा है.

-“जय श्री कृष्ण”
यह पूर्ण अभिवादन माना जाता है, जिसमें कृष्ण का नाम आदर के साथ लिया जाता है.

-“हर हर महादेव”
यह शिव की अनंत शक्ति का जयकारा है और ऊर्जा को संतुलित रखता है.

इसलिए कृष्ण-कृष्ण या शिव-शिव का चलन कम और बाकी मंत्रों का चलन अधिक है.

Hot this week

Traditional Thai massage। थाई मसाज सबसे रिलैक्सिंग थेरेपी

Thai Massage Benefits: थाईलैंड, अपने खूबसूरत बीच, नाइट...

Topics

Traditional Thai massage। थाई मसाज सबसे रिलैक्सिंग थेरेपी

Thai Massage Benefits: थाईलैंड, अपने खूबसूरत बीच, नाइट...
spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img