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पाली शहर से करीब 73 किलोमीटर दूर है सादड़ी शहर. इस क्षेत्र के अरावली की पहाड़ियों और जंगल से घिरे गांव घाणेराव से 6 किलोमीटर दूर पूर्व दिशा में सूकी नदी के किनारे यह पुराना चमत्कारी मंदिर बना हुआ है.

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भगवान

भगवान महावीर मंदिर

हाइलाइट्स

  • पाली के घाणेराव में मूंछ वाले भगवान महावीर का मंदिर है.
  • मंदिर का निर्माण 10वीं-11वीं सदी में हुआ था.
  • महाराणा कुंभा ने मूंछों के चमत्कार को देखा और नतमस्तक हुए.

पाली:- भारत में ऐसे कई मंदिर हैं, जो अपने चमत्कार और अलग-अलग मान्यताओं के लिए अपनी पहचान रखते हैं. ऐसे में हम आपको भारत के ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां भगवान महावीर की प्रतिमा पर आपको मूंछ नजर आएगी और भारत का एक मात्र ऐसा मंदिर है, जो पाली जिले के घाणेराव में स्थित है. इस मंदिर का नाम मुछाला महावीर तीर्थ है, जो अपने आप में काफी खास है.

खास इसलिए है, क्योंकि यहां भगवान महावीर की प्रतिमा पर मूंछ नजर आती है. भारत में इसके अलावा कहीं भी भगवान महावीर की प्रतिमा में मूंछ नहीं मिलती. पाली शहर से करीब 73 किलोमीटर दूर है सादड़ी शहर. इस क्षेत्र के अरावली की पहाड़ियों और जंगल से घिरे गांव घाणेराव से 6 किलोमीटर दूर पूर्व दिशा में सूकी नदी के किनारे यह पुराना चमत्कारी मंदिर बना हुआ है, जिसको सभी मुछाला महावीर तीर्थ के नाम से जानते हैं.

मंदिर में नृत्य करती देवी-देवताओं की प्रतिमाएं
मंदिर का मुख्य द्वार उत्तर दिशा में है. दोनों ओर पत्थर के हाथी बने हुए हैं. मंदिर में प्रवेश करने पर खंभों पर टिका विशाल खुला मंडप मिलता है. मंदिर का गगनचुंबी शिखर और बड़ा रंगमंडप, फेरी के झरोखों की बारीक नक्काशी दार जालियां बेहतरीन स्थापत्य कला का नमूना पेश करती हैं. मंदिर में नृत्य करती देवी देवताओं की प्रतिमाएं मन-मोहक हैं. मंदिर में चारों ओर कतारबद्ध देहरियां हैं. मंदिर के गर्भगृह में भगवान विराजमान हैं और चारों तरफ परिक्रमा मार्ग है.

मंदिर के निर्माण की यह कहानी
ईश्वर के भव्य विमान के जैसे इस चौबीस जिनालय वाले भव्य मंदिर का निर्माण कब और किसने कराया, इसके पुख्ता सबूत नहीं मिलते. फिर भी पुरावेत्ताओं और स्थापत्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह मंदिर 10वीं-11वीं सदी में निर्मित हो सकता है. ऐसा भी कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण भगवान महावीर के बड़े भाई नंदीवर्द्धन के परिवार से संबधित सोहन सिंह ने करवाया था. यह उल्लेख यहां प्राचीन लिपि में एक शिलालेख पर भी मिलता है.

मंदिर से जुड़ी अनोखी दंतकथा
पाषाण की प्रतिमा के मुख पर मूंछें निकल आने को लेकर इस मंदिर से जुड़ी एक दंतकथा प्रचलित है. कहते हैं कि एक बार मेवाड़ के महाराणा कुंभा अपने सामन्तों के साथ यहां दर्शन करने आए. मंदिर के पुजारी अक्षयचक्र ने भगवान की प्रतिमा को नहलाया जल अर्पित कर आदर किया, तो जल में एक बाल नजर आया. एक सामंत ने इस पर कटाक्ष किया, तो पुजारी अक्षयचक्र ने जवाब में कहा कि भगवान समय-समय पर अपनी इच्छा के अनुसार अनेक रूप धारण करते रहते हैं.

पुजारी को मिला 3 दिन का समय
इस पर हठीले महाराणा कुंभा ने इस बात को साबित करने का आदेश दे दिया. पुजारी को 3 दिन का समय दिया गया. कहते हैं कि पुजारी अक्षयचक्र ने तीन दिन तक अखंड व्रत किया. जब उन्होंने मंदिर के गेट खोले, तो सच में महावीर स्वामी की प्रतिमा के मुख पर मूंछें निकल आई थी. इस पर महाराणा कुंभा को यकीन नहीं हुआ. वे प्रतिमा के नजदीक गए और मूंछ का एक बाल खींचा.

कुंभा ने जैसे ही ऐसा किया, तोड़े गए बाल की जगह से दूध की धारा फूट पड़ी. महाराणा कुंभा यह देख प्रतिमा के सामने नतमस्तक हो गए. कहते हैं कि आज भी यहां भगवान महावीर की प्रतिमा का मुख-मंडल सुबह और शाम अलग-अलग मुद्राओं में नजर आता है. हालांकि अब मूल नायक की प्रतिमा पर मूंछें नहीं हैं.

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देश ही नहीं.. दुनिया का है ये एकलौता मंदिर! जहां हैं मूछों वाले भगवान महावीर

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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