बलिया: आज हम बात करेंगे एक ऐसे पकवान की जो देखने में तो भले ही आपको थोड़ा विचित्र लगे, लेकिन एक बार इसे चख लेने पर आपका मन खुशी से भर जाएगा. यह पकवान है बड़ी पूड़ी, जो पूरे देश में सिर्फ पूर्वांचल और बिहार के कुछ जिलों में ही मिलता है.
भारत में आयोजन चाहे धार्मिक हो या पारिवारिक, पकवान का महत्व हमेशा से रहा है. प्रसाद हो या भोजन, किसी भी आयोजन में पूड़ी न दिखे, ऐसा शायद ही होता है. लेकिन पूर्वांचल और बिहार में बनने वाली यह बड़ी पूड़ी बेहद खास है. यहां महिलाओं को इस पूड़ी की तैयारी में शामिल नहीं होना पड़ता, बल्कि पुरुष ही इसे बनाते हैं, जिससे महिलाएं भी आयोजन का पूरा आनंद उठा सकें.
बड़ी पूड़ी की परंपरा
प्रख्यात इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय के अनुसार, यह पूड़ी प्राचीन काल से बनती आ रही है. बिना इस पूड़ी के कोई बड़ा कार्यक्रम, जैसे विवाह, मुंडन संस्कार, तिलकोत्सव और ब्रह्म भोज आदि, पूरा नहीं होता. इसका स्वाद लाजवाब होता है और यह काफी दिनों तक खराब नहीं होती.
बड़ी पूड़ी की विधि
बलिया के मशहूर हलवाई के अनुसार, बड़ी पूड़ी का महत्व बहुत बड़ा है और इसे बनाने में काफी मेहनत लगती है…
आटा तैयार करना: इसके आटे को तैयार करने में विशेष ध्यान दिया जाता है. पानी डालकर गुंथे हुए आटे में देसी घी या रिफाइंड ऑयल डालकर उसे देर तक मसलना पड़ता है.
लोई बनाना: गोल आकार में लोई को हाथों से ही काटकर तैयार किया जाता है.
पूड़ी का आकार: बड़े बेलन और चौकी पर तेल या देसी घी डालकर इसे बड़ा गोल आकार दिया जाता है.
तलना: तैयार पूड़ी को उबलते तेल या घी में तला जाता है. इसके बाद इसे पंखे की हवा में ठंडा करके मोड़ कर रख दिया जाता है और फिर खाने के लिए परोसा जाता है.
बड़ी पूड़ी की खासियत
पूर्वांचल और बिहार के कुछ जिलों में आयोजित कार्यक्रमों में बड़ी पूड़ी के बिना बात अधूरी रहती है. इसकी खासियत यह है कि यह कभी खराब नहीं होती. आयोजन के बाद इसे धूप में सुखाकर गुड़ की चाशनी में मिलाकर मीठे पकवान के रूप में भी बनाया जाता है, जो कई दिनों तक बेहतरीन नाश्ता होता है. इस प्रकार बड़ी पूड़ी न केवल स्वादिष्ट होती है, बल्कि इसके पीछे की परंपरा और इसकी विशेष विधि इसे खास बनाती है. इस पकवान को चखना निश्चित ही एक अद्वितीय अनुभव होगा.
FIRST PUBLISHED : August 2, 2024, 10:51 IST
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