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एक ऐसी लजीज मिठाई…जिसका महात्मा गांधी ने भी चखा था स्वाद, आप नहीं जानते होंगे नाम


हजारीबागः झारखंड अपने स्वादिष्ट मिठाइयों के लिए दुनिया भर में मशहूर है. चाहे वह पलामू का ‘लकठो’ मिठाई हो या हजारीबाग का ‘खीर मोहन’ हो. यहां हजारीबाग जिले के चौपारण का ‘खीर मोहन’ की पहचान तो देश विदेश तक है. यहां की मिठाई का स्वाद भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी चखा था. इसके साथ ही उन्होंने अपने साथ के सभी स्वतंत्र सेनानियों को भी खिलाया था. यह मिठाई की दुकान लोगों को 1932 से मिठास का स्वाद दे रही है.

खीर मोहन मिठाई
चौपारण का ‘खीर मोहन’ मिठाई की पहचान देश विदेश में आज भी है. ऐसे में अगर आप शेरशाह सूरी द्वारा बनाई गई जीटी रोड (ग्रांड ट्रंक रोड) से गुजर रहे हैं और हजारीबाग जिले के चौपारण में पहुंचे हैं, तो आपको यहां की मिठाई का स्वाद जरूर लेना चाहिए. यहां दुकान पर ‘खीर मोहन’ खरीदने के लिए गाड़ियों की सड़क पर कतारें लगी रहती हैं. यहां की मिठाई खाने के लिए बड़ी-बड़ी कंपनियों के साथ ही अधिकारी और नेता भी यहां मीटिंग आयोजित करते हैं. जहां वह ‘खीर मोहन’ का स्वाद जरूर लेते हैं. मिठाई का स्वाद लेने के बाद लोग यहां दोबारा आने का बहाना ढूंढते हैं.

सालों पुरानी है दुकान
1932 के दौर में यहां एकमात्र दुकान थी, जहां दुकान पर खीर मोहन बेची जाती थी. जानकारी के अनुसार भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी चौपारण से गुजर रहे थे. उस समय उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों के साथ ‘खीर मोहन’ का स्वाद लिया था. बता दें कि उस समय भारतीयों के पास पैसा कम हुआ करता था. इस वजह से दुकान पर अंग्रेज ही ‘खीर मोहन’ को अधिक खाया करते थे. धीरे-धीरे यह मिठाई भारतीयों के साथ विदेश तक पहुंच गई. जिसके बाद ‘खीर मोहन’ मशहूर हो गई.

‘खीर मोहन’मिठाई का इतिहास
हजारीबाग के चौपारण में ‘खीर मोहन’ की सबसे पुरानी दुकान विष्णु ‘खीर मोहन’ की मानी जाती है . चौपारण निवासी विष्णु ने 1932 से ‘खीर मोहन’ मिठाई बनाकर बेचना शुरू किया था. अब तक उनकी तीन पीढ़ियां ‘खीर मोहन’ मिठाई बनाकर बेच रही है. वहीं, जीटी रोड पर होने के कारण यह दुकान और मशहूर हो गई है. दुकान को लेकर बताया जाता है कि कोरोना काल के बाद से यहां ‘खीर मोहन’ की दुकानों की संख्या बढ़ गई. मौजूदा समय में यहां पर ‘खीर मोहन’ की सैकड़ों अधिक दुकानें हैं.

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खीर मोहन बनाने की रेसिपी
चौपराण का ‘खीर मोहन’ बनाने की एक प्रक्रिया है. मिठाई को बेहतरीन स्वादिष्ट और लजीज बनाने के लिए दूध के छेने का प्रयोग किया जाता है. जहां ‘खीर मोहन’ को 2 तरह से तैयार किया जाता है. एक ‘खीर मोहन’ चीनी की चाशनी में तो दूसरा खीर मोहन गुड़ की चाशनी में तैयार किया जाता है. ‘खीर मोहन’ देखने में भी रसगुल्ले और गुलाब जामुन की तरह ही होता है. ‘खीर मोहन’ की कीमत लगभग 250 रुपए से लेकर 400 रुपए किलो तक है. एक किलो में लगभग 30 पीस चढ़ता है.

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