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नवाबों के शहर तक है सोनभद्र के इस खास चावल की डिमांड, जानें इसकी खासियत


रिपोर्ट- अरविंद दुबे

सोनभद्र: ऐसे तो यूपी में पूर्वांचल के कई जिले चावल अर्थात धान की खेती के लिए जाने जाते हैं जिसमें कि चंदौली को धान का कटोरा भी कहा जाता है. यूपी के सोनभद्र जिले की बात करें तो यहां के जीरा 32 चावल की अलग पहचान है. पूरे यूपी अन्य राज्यों में भी इसकी डिमांड है. इस चावल को खाने के लिए सबसे बेहतर माना जाता है. रोजाना खाए जाने वाले चावल में ज्यादातर लोग इसे पसंद करते हैं. इसके पीछे की बड़ी वजह है इसका अत्यंत स्वादिष्ट होना.

इनके अलावा इस चावल में कई अन्य खूबियां है. वैसे तो यह चावल वाराणसी समेत कई अन्य जिलों में भी होता है लेकिन सोनभद्र के जीरा 32 को ज्यादा पसंद किया जाता है. इसकी बड़ी वजह है कि यहां उसके अनुकूल जलवायु है. यही कारण है कि सोनांचाल में उगने वाले जीरा 32 को नवाबों के शहर यानी उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी अलग पहचान मिली है. लगातार सोनभद्र के जीरा 32 की बढ़ती डिमांड के कारण यहां पर अब किसान इसे अधिक उपज करने के लिए भी प्रयास कर रहे हैं.

जानें इसकी अन्य खासियत
जीरा 32- जेआर 32 चावल को आम तौर पर जीरा 32 चावल कहा जाता है. जीरा 32 को इसकी खुशबूदार, हल्की, मुलायम और स्वादिष्ट विशेषताओं के कारण चावल की रानी के रूप में भी जाना जाता है. यह उत्तर प्रदेश के चंदौली और वाराणसी जिले में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है लेकिन सोनभद्र का जीरा 32 अधिक पसंद किया जाता है. जीरा 32 गैर-बासमती श्रेणी में बहुत दुर्लभ और सबसे अच्छा चावल है. बेहद पतले चावल यानी की महीन चावल में भी इसे गिना जाता है.

Bharat.one से खास बातचीत में प्रदेश के जाने-माने किसान और सोनभद्र के लिए कृषि वैज्ञानिक के रूप में पहचान पाने वाले बाबूलाल मौर्य ने बताया की किसी भी फसल का जो उत्पादन होता है तो हर जगह के उत्पादन के कोई न कोई मायने जरूर होते हैं. हमारे जनपद का टमाटर और मिर्च विदेश तक जा रहा है. उन्होंने एक और उदाहरण दिया कि जैसे हम लोग यहां संतरा लगाते हैं तो जो संतरे यहां पैदा हुए उनमें खट्टापन ज्यादा है. वहीं नागपुर के संतरे कम खट्टे होते हैं क्योंकि वहां का क्लाइमेट उस तरह का है. इसी तरह हर क्षेत्र में हर जलवायु का कुछ ना कुछ खास होता है. आपको बता दें कि इसी तरह राजस्थान के एक इलाके में मिलने वाली मिठाई है जिसका बेहतरीन स्वाद वहीं के लोकल दूध और पानी से आता है. क्योंकि उसी दुकान में काम करने वाले हलवाई अलग इलाकों पर जाकर उसी तरह की मिठाई बनाने का प्रयास किए तो वो स्वाद नहीं आ पाया.

यहां जनपद सोनभद्र का जीरा 32 चावल यहां के क्लाइमेट के हिसाब का है और यहां मिट्टी में इस तरह के कुछ तत्व हैं जिस कारण यहां के चावल को लखनऊ में भी पसंद किया जाता है. यही वजह है कि वहां रहने वाले लोग भी सोनभद्र के जीरा 32 चावल की करते हैं मांग.


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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/recipe-there-is-a-demand-for-jeera-32-rice-of-sonbhadra-even-in-the-city-of-nawabs-know-what-is-special-local18-8688088.html

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