रामपुर: यूपी के रामपुर की नवाबी रसोई का नाम सुनते ही शाही ठाट-बाट और लाजवाब स्वाद का ख्याल आता है. यह रसोई सिर्फ व्यंजनों की जगह नहीं थी, बल्कि यहां हर डिश एक कला थी, जिसमें खास मसालों और पारंपरिक सामग्रियों का बखूबी इस्तेमाल होता था. नवाबों के खानदानी शेफ ने हमें उस दौर की रसोई का राज बताया, जो आज भी पुरानी परंपराओं को संजोए हुए है.
बेमिसाल शाही किचन का अनूठा अंदाज
रामपुर के नवाबों की रसोई सिर्फ व्यंजनों के लिए नहीं, बल्कि यहां होने वाले शोध के लिए भी जानी जाती थी. उस समय के राजा-महाराजाओं की शाही रसोई का मकसद केवल स्वादिष्ट खाना बनाना नहीं था, बल्कि नई-नई रेसिपी और मसालों पर रिसर्च करना भी था. यही वजह थी कि नवाबों की रसोई से कई ऐसे खास व्यंजन निकले, जिनका स्वाद आज भी लोगों के दिलों पर राज करता है.
खास व्यंजन और उनके पीछे की कला
नवाबों के खानदानी शेफ ने बताया कि उनके व्यंजनों की असली पहचान उच्च गुणवत्ता वाले मसालों और ताजे सामग्री में छिपी होती थी. मोती के छौंके वाली दाल, बरखे की रोटी, निहारी और काठी रोल जैसे व्यंजन नवाबी खानपान की पहचान बन चुके हैं. इन व्यंजनों को धीमी आंच पर पकाने से उनका स्वाद और भी गहरा हो जाता है. हर व्यंजन की तैयारी में समय और धैर्य का विशेष ध्यान रखा जाता था.
शाही रसोई का अनोखा इतिहास
ऐसा कहा जाता है कि रामपुर के नवाबों ने अपने महल में बड़ी संख्या में रसोई कर्मचारियों को नियुक्त किया था. उनके किचन स्टफ की संख्या और रौनक ऐसी थी कि बड़े से बड़े राजा-महाराजाओं की रसोई में भी वैसी शान देखने को नहीं मिलती थी. नवाब अपने किचन पर इतना खर्चा करते थे कि आज के समय में भी बहुत कम धनी लोग ऐसा कर पाते हैं.
रामपुर के नवाबों की यह रसोई केवल खाना पकाने का स्थान नहीं थी, बल्कि यह नई रेसिपी और नवाबी स्वाद का एक प्रयोगशाला भी थी. यहां की रसोई में बनने वाले हर व्यंजन में एक खास शाही स्वाद और परंपरा का मेल होता था, जो आज भी रामपुर की शान बना हुआ है.
FIRST PUBLISHED : October 11, 2024, 14:13 IST
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