जमशेदपुर. क्या आपने फुटकुन का नाम सुना है? झारखंड के जमशेदपुर में ये सब्जी सिर्फ बरसात के सीजन में मिलती है. बरसात शुरू होने के बाद ये सब्जी शहर से लेकर गांव के बाजार में बिकना शुरू हो जाती है. स्थानीय लोगों के बीच यह काफी लोकप्रिय है. फुटकुन का नाम गांवों में रुगड़ा, बाटा और छाता छत्तू भी है. लोग बरसात के दो महीने में इस सब्जी का जमकर स्वाद लेते हैं.
ऐसे बनती है सब्जी
फुटकुन को तैयार करने की प्रक्रिया काफी दिलचस्प है. सबसे पहले इसे अच्छी तरह धोकर सारी मिट्टी हटाई जाती है. इसके बाद इसे बीच से काट कर गरम तेल में प्याज और मसाले के साथ भूना जाता है. इस दौरान चिकन मसाला डाला जाता है, जो फुटकुन को लाजवाब स्वाद प्रदान करता है. इस सब्जी को खाने का आनंद कुछ खास ही है. यही वजह है कि लोग इसका बेसब्री से इंतजार करते हैं.
मटन से भी महंगा
सड़क किनारे फुटकुन बेचने वाले लोग ज्यादातर जमशेदपुर के आसपास के गांवों से आते हैं, जैसे हाता, हल्दीपोखर, सिनी और गम्हरिया. ये लोग गांवों से लोकर फुटकुन को बेचते हैं, जिससे यह सब्जी शहर के कोने-कोने में पहुंच जाती है. फुटकुन की कीमत प्रति किलो 300 रुपये है, जबकि साफ किया फुटकुन लगभग 800 रुपये प्रति किलो में बिकता है. अमूमन फुटकुन 600 से 700 रुपये किलो के बीच होती है.
फुटकुन परंपरा का हिस्सा
फुटकुन सिर्फ एक सब्जी नहीं है, बल्कि यह स्थानीय परंपराओं का हिस्सा भी है. मेघा बोस जैसे स्थानीय लोग इसे विशेष परंपरागत व्यंजन मानते हैं, जिसका स्वाद और खुशबू बरसात के मौसम का खास अनुभव बनाती है. फुटकुन की उपलब्धता की प्रतीक्षा लोगों के लिए एक वार्षिक घटना बन गई है और यही इसकी खासियत है.
FIRST PUBLISHED : August 6, 2024, 19:24 IST
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