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अटक से लेकर कटक तक मशहूर है ‘रस रोज’ मिठाई…लेकिन भारत में बनती है सिर्फ दो जगह, जानें सीक्रेट रेसिपी


भारत विविधतापूर्ण मिठाइयों के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन कुछ मिठाइयाँ ऐसी होती हैं, जिनका स्वाद और पहचान सीमित क्षेत्रों में ही पाई जाती है. ऐसी ही एक खास मिठाई है ‘रस रोज’, जो केवल दो शहरों — कटक (उड़ीसा) और खंडवा (मध्य प्रदेश) — में ही बनाई जाती है. इस मिठाई का स्वाद इतना लाजवाब है कि देशभर से लोग इसे चखने के लिए खंडवा और कटक का रुख करते हैं. इसके प्रशंसक दिल्ली, मुंबई, और अमृतसर जैसे बड़े शहरों तक फैले हुए हैं, जहाँ यह मिठाई खास तौर पर भेजी जाती है.

खंडवा का मशहूर अग्रवाल मिष्ठान भंडार
खंडवा के अग्रवाल मिष्ठान भंडार के मालिक भागचंद अग्रवाल बताते हैं कि उनकी दुकान पर पहले से ही रसमलाई और रबड़ी की काफी बिक्री होती थी, लेकिन उनके कारीगर प्रहलाद सिंह चौहान ने एक नई मिठाई का आविष्कार किया. प्रहलाद सिंह, जो उड़ीसा के कटक शहर से ताल्लुक रखते हैं, ने रसमलाई, रबड़ी और आइसक्रीम को मिलाकर ‘रस रोज’ नाम की मिठाई बनाई. यह मिठाई खंडवा की पहचान बन चुकी है, और इसे खाने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं.

मिठाई की शुरुआत और संघर्ष
भागचंद अग्रवाल बताते हैं कि जब उनके कारीगर प्रहलाद सिंह ने ‘रस रोज’ का आइडिया दिया, तो इसे बनाने में शुरुआत में काफी चुनौतियाँ आईं. 35 से 40 लीटर दूध कई बार खराब हो गया, और बार-बार एक्सपेरिमेंट करने के दौरान काफी नुकसान हुआ. लेकिन कारीगर की मेहनत रंग लाई और अंततः एक बेहतरीन मिठाई का निर्माण हुआ. रस रोज की तैयारी में विशेष तौर पर खौलते हुए दूध को 100 डिग्री पर उबालकर पीवर केसर मिलाया जाता है. इसके बाद ठंडी अवस्था में वैनिला आइसक्रीम और ड्राई फ्रूट्स डाले जाते हैं, जिससे इस मिठाई को अनूठा स्वाद मिलता है.

देश में सिर्फ दो जगह बनती है रस रोज मिठाई
सिर्फ खंडवा और कटक में ही बनने वाली इस मिठाई का स्वाद इतना खास है कि लोग इसे देश के विभिन्न हिस्सों में भेजते हैं. खंडवा के पॉवर प्लांट के एक अधिकारी तो 100 से 200 डिब्बे एक बार में खरीदते हैं और इसे दिल्ली ले जाते हैं, जहाँ से उनके रिश्तेदार इसे पंजाब, हरियाणा और लुधियाना जैसे शहरों में भेजते हैं. दिल्ली के लोग अक्सर शिकायत करते हैं कि मिठाइयों की राजधानी होने के बावजूद वहाँ ‘रस रोज’ क्यों नहीं मिलती. इस मिठाई की खासियत और बनाने की प्रक्रिया इतनी खास है कि इसे कहीं और नकल कर पाना लगभग असंभव है.

स्वाद और अनोखा अनुभव
अग्रवाल मिष्ठान भंडार के कर्ता-धर्ता भागचंद अग्रवाल के छोटे बेटे सार्थक अग्रवाल बताते हैं कि उनके ग्राहक पहले रसमलाई और रबड़ी का लुत्फ उठाते थे, लेकिन वे कुछ नया चाहते थे. इस आवश्यकता को समझते हुए, उन्होंने अपने कारीगर से कुछ नया बनाने का आग्रह किया. इसी सोच से ‘रस रोज’ का निर्माण हुआ, जो मिठाई प्रेमियों के लिए एक नई सौगात साबित हुई.

आज ‘रस रोज’ की लोकप्रियता दिल्ली, मुंबई और अमृतसर जैसे शहरों तक फैल चुकी है. हालांकि, इसका असली स्वाद खंडवा और कटक में ही मिलता है. इन दोनों शहरों के बाहर इसे नकल करने की कई कोशिशें हुईं, लेकिन कोई भी मिठाई वैसा लाजवाब स्वाद नहीं दे पाई, जैसा कि खंडवा के अग्रवाल मिष्ठान भंडार में मिलता है.


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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/recipe-ras-roj-sweet-of-india-is-only-made-in-two-cities-cuttack-and-khandwa-know-about-secret-recipe-local18-8787165.html

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