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अलीगढ़ शहर के रेलवे रोड पर गणपत वालों की देसी घी की आलू टिक्की सिर्फ एक स्नैक नहीं है, बल्कि एक नाम है जो 1950 से लोगों की ज़ुबान पर स्वाद का नशा बनकर छाया हुआ है. यहां एक प्लेट टिक्की मात्र 160 रुपये में मिलती है

अलीगढ़ शहर के रेलवे रोड पर गणपत वालों की देसी घी की आलू टिक्की सिर्फ एक स्नैक नहीं, बल्कि एक नाम है जो 1950 से लोगों की ज़ुबान पर स्वाद का नशा बनकर छाया हुआ है. जैसे ही आप दुकान के पास पहुंचते हैं, देसी घी की खुशबू हवा में घुलकर भूख को दोगुना कर देती है. सुनहरी कुरकुरी टिक्कियां जब बड़े तवे पर सिकती हैं तो देखने वाले रुककर ज़रूर देखते हैं. अलीगढ़ की इस मशहूर टिक्की का स्वाद ऐसा है कि एक बार जिसने चख ली.वो इसे बार-बार खाने ज़रूर आता है.

गणपत वालों की टिक्की खास इसलिए है क्योंकि यह पूरी तरह शुद्ध देसी घी में तली जाती है. जो इसे बाकी टिक्कियों से अलग बनाता है. यहाँ की आलू टिक्की बाहर से कुरकुरी और अंदर से मुलायम होती है. आलू में मिला हुआ हरा धनिया, हरी मिर्च, अदरक और हल्का गरम मसाला, हर बाइट में देसी स्वाद का अहसास कराता है. इस पर डाली जाने वाली खट्टी-मीठी इमली की चटनी और तीखी हरी चटनी स्वाद को दोगुना कर देती है.

इसे बनाने के लिए उबले हुए आलू में बारीक कटा प्याज, हरी मिर्च, धनिया, लाल मिर्च पाउडर, जीरा पाउडर और थोड़ा-सा बेसन मिलाकर गोले बनाए जाते हैं. फिर इन्हें देसी घी में हल्की आंच पर सुनहरा होने तक तला जाता है. ऊपर से दही, इमली और हरी चटनी डालकर चाट मसाला छिड़कते ही तैयार हो जाती है वो मशहूर गणपत आलू टिक्की जिसका हर कौर मुंह में स्वाद का धमाका कर देता है.

गणपत वालों का अंदाज़ भी निराला है. दुकान पर हमेशा भीड़ लगी रहती है. लेकिन काम इतनी सफाई और तेजी से होता है कि इंतज़ार ज्यादा नहीं करना पड़ता. शाम के वक्त यहां पर कॉलेज स्टूडेंट्स से लेकर परिवार तक के लोग जुटे दिखाई देते हैं. कई बार तो बाहर खड़े होकर ही लोग टिक्की खाते हैं ताकि गर्मागरम स्वाद का मज़ा ठंडा न हो जाए.

कीमत की बात करें तो यह टिक्की मात्र ₹160 की प्लेट में मिलती है. जिसमें दो बड़ी-बड़ी टिक्कियाँ, ऊपर से दही, चटनी और सेव डाली जाती है. अगर आप बिना दही वाली स्पेशल मसाला टिक्की चाहते हैं तो उसका रेट ₹140 है. इतने कम दाम में इतना लाजवाब स्वाद शायद ही कहीं और मिले. यही वजह है कि रेलवे रोड पर से गुजरने वाला हर शख्स इस टिक्की के तवे के पास एक बार जरूर रुकता है.

आज गणपत वालों की टिक्की सिर्फ अलीगढ़ नहीं, बल्कि आस-पास के जिलों में भी मशहूर है.कई लोग इसे खास तौर पर पैक कराकर घर ले जाते हैं या सफर में दोस्तों को खिलाते हैं. देसी घी की खुशबू, कुरकुरी टिक्की और परंपरा. यही तीन चीज़ें हैं जो “गणपत आलू टिक्की” को अलीगढ़ की एक पहचान और विरासत बना चुकी हैं. अगर आपने अब तक नहीं चखी, तो अगली बार रेलवे रोड से गुज़रते वक्त इस स्वाद के ठिकाने पर ज़रूर रुकिए.
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