बलिया: आज के समय में जहां फास्ट फूड और पैकेज्ड खाद्य पदार्थों का बोलबाला है, वहीं कुछ देसी व्यंजन आज भी लोगों के दिलों में राज करते हैं. बलिया जिले का पनपियाव ऐसा ही एक व्यंजन है जिसका स्वाद आज भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है.
पनपियाव मकई के आटे, घी और गुड़ से बना एक पोषक तत्वों से भरपूर नाश्ता है. यह बलिया जिले के द्वाबा क्षेत्र में खासतौर पर लोकप्रिय है. इस क्षेत्र में मक्के की खेती बहुतायत में होती है, इसलिए मक्के के आटे से बने व्यंजन यहां के लोगों का मुख्य भोजन हैं.
पनपियाव का इतिहास
इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय के अनुसार, पनपियाव जैसे देसी व्यंजन पोषण से भरपूर होते हैं और इनका स्वाद किसी भी महंगे रेस्टोरेंट के खाने से कम नहीं है. उन्होंने बताया कि 12 अक्टूबर 1945 को जब पंडित जवाहरलाल नेहरू बलिया आए थे, तो तत्कालीन कांग्रेस के नेता पंडित तारकेश्वर पाण्डेय ने उन्हें पनपियाव खिलाया था. नेहरू जी ने इस व्यंजन को बहुत पसंद किया था और उन्होंने कहा था कि यह देश का सबसे समृद्ध इलाका है जहां के लोग इतना पोषक तत्वों से भरपूर नाश्ता करते हैं.
क्यों है पनपियाव खास
पोषण से भरपूर: पनपियाव में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और विटामिन भरपूर मात्रा में होते हैं जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं.
आसानी से तैयार: पनपियाव को बनाना बहुत आसान है. इसे घर पर ही आसानी से तैयार किया जा सकता है.
स्वादिष्ट: पनपियाव का स्वाद बहुत ही लाजवाब होता है. यह गरमागरम खाने में और भी स्वादिष्ट लगता है.
सस्ता: पनपियाव बनाने में बहुत कम खर्च आता है. यह एक किफायती और स्वादिष्ट नाश्ता है.
निष्कर्ष
बलिया का पनपियाव न केवल एक स्वादिष्ट व्यंजन है बल्कि यह हमारी संस्कृति और परंपरा का भी एक हिस्सा है. हमें ऐसे देसी व्यंजनों को संरक्षित करना चाहिए और आने वाली पीढ़ियों को भी इनका स्वाद चखने का मौका देना चाहिए.
FIRST PUBLISHED : November 4, 2024, 16:55 IST
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
https://hindi.news18.com/news/lifestyle/recipe-even-nehru-ji-was-crazy-about-the-taste-of-this-local-dish-of-ballia-know-the-interesting-story-local18-8813051.html