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आदिवासी खाते बिना तेल-मसाले का अचार, आंवले से ऐसे करते तैयार, डालते बस ये दो चीज, स्वाद के सामने कुछ नहीं टिकता – Jharkhand News


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आपने कई तरह के अचार बनाए और खाए होंगे. लेकिन आज हम आपको बिना तेल-मसाले के तैयार होने वाले अनोखा अचार के बारे में बताने जा रहे हैं. आदिवासी इसे सर्दियों में बनाते हैं. आंवले के इस अचार में केवल नकम और विनेगर का इस्तेमाल होता है. जिससे यह स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहत के लिए भी लाभदायक होता है.

आंवला ।

सर्दियों का मौसम आते ही गांवों में तरह–तरह के पारंपरिक व्यंजन और अचार बनाने की तैयारी शुरू हो जाती है. इनमें सबसे खास है आंवले का अचार. झारखंड के कई गांवों में आज भी आंवले का अचार बिल्कुल देसी तरीके से बनाया जाता है. इसमें तेल और मसाले का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.

आंवला

आंवले का अचार न सिर्फ स्वादिष्ट होता है, बल्कि सेहत के लिए बेहद फायदेमंद भी माना जाता है. हजारीबाग की आदिवासी परिवारों में आज भी पारंपरिक विधि से इसे तैयार किया जाता है. एक बार तैयार करने के बाद इसे सालों भर खाया जा सकता है.

आंवल

आंवले का अचार बनाने की रेसिपी साझा करते हुए आदिवासी महिला रवीना कच्छप बताती हैं कि यह अचार पूरी तरह प्राकृतिक तरीके से तैयार होता है. इसमें किसी प्रकार का तेल, रेडीमेड मसाला या प्रिज़र्वेटिव का उपयोग नहीं किया जाता. यही कारण है कि यह अचार शरीर पर किसी तरह का बोझ नहीं डालता, बल्कि पाचन शक्ति को मजबूत करता है.

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आंवला

उन्होंने आगे बताया कि इसे बनाने के लिए सबसे पहले ताजे, बड़े और हल्के पीले आंवले लिए जाते हैं. इन्हें फिर अच्छी तरह धोकर धूप में थोड़ा सुखाया जाता है, ताकि नमी निकल जाए. इसके बाद आंवलों को पानी में नमक डाल कर हल्का उबाल लिया जाता है. उबालने का मकसद यह रहता है कि आंवला नरम हो जाए और इसके फांक आसानी से अलग हो सकें. साथ ही आचार में नमक चला जाएं. जब आंवले हल्के नरम हो जाएं, तो इन्हें ठंडा कर हाथ से दबाकर फांक निकाल ली जाती है.

आंवला

उन्होंने आगे बताया कि इस अचार की असली खासियत है इसका सबसे सरल मिश्रण में तैयार हो जाना. इसके बाद आंवले की फांकों में सिर्फ हल्का सादा नमक और विनेगर मिलाया जाता है. नमक और विनेगर दोनों चीजें प्राकृतिक रूप से अचार को सुरक्षित रखती हैं. इसमें न नमक ज्यादा होता है, न विनेगर की खटास तेज होती है.

आंवला

उन्होंने आगे बताया कि फिर इस अचार को बड़े कांच के जार में भरकर लगातार 7–10 दिन तक धूप में रखा जाता है. हर दिन जार को खोलकर हल्का हिलाया जाता है, ताकि आंवले की फांकों पर पूरा मिश्रण बराबर लगे. धूप से आंवला न सिर्फ सुरक्षित रहता है, बल्कि उसका प्राकृतिक स्वाद भी और निखरकर आता है.

आंवला

यह आचार एक साल तक सुरक्षित रहता है. तेल और मसाला न होने की वजह से यह अचार हल्का, पाचक और पेट के लिए बिल्कुल सुरक्षित होता है. आंवला विटामिन C का सबसे बड़ा स्रोत है, जो सर्दियों में इम्युनिटी को मजबूत करता है. यह त्वचा को चमकदार बनाता है, बालों को मजबूत करता है और शरीर में सूजन कम करता है. गांवों में इसे रोज खाने की सलाह दी जाती है.

आंवला

आज भी झारखंड के गांवों में लोग यही पारंपरिक तरीका अपनाते हैं, क्योंकि यह स्वाद के साथ साथ सेहत के लिए भी बेहतरीन होता है. बिना तेल और बिना मसाले वाला यह आंवले का अचार सर्दियों में शरीर को तंदुरुस्त रखने का प्राकृतिक उपाय माना जाता है.

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आदिवासी खाते बिना तेल-मसाले का अचार,आंवले से ऐसे करते तैयार,डालते बस ये दो चीज


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