खंडवा: यूं तो बंगाल का रसगुल्ला पूरे देश में मशहूर है, लेकिन मध्य प्रदेश के खंडवा का रसगुल्ला यकीनन उस पर भारी पड़ेगा. क्योंकि, खंडवा में बनने वाला ये रसगुल्ला 10 रसगुल्ले के बराबर है. इसे खाने के शौकीनों की संख्या इतनी ज्यादा रहती है कि दुकान पर भीड़ कभी खत्म ही नहीं होती. इस रसगुल्ले को खासतौर पर देसी गाय के दूध से बनाया जाता है. इसे उपवास में भी खा सकते हैं.
खंडवा के प्रसिद्ध रसगुल्ले की दुकान रेलवे स्टेशन की गली में है. यहां पीस रसगुल्ला 200 ग्राम का है और कीमत ₹25 रुपये है. दुकान के भागचंद अग्रवाल का कहना है कि भैंस के दूध द्वारा तैयार किए गए रसगुल्ले भी लोग पसंद करते हैं. लेकिन, गाय के दूध से बने रसगुल्लों की डिमांड काफी है. गाय के दूध से बने रसगुल्ले काफी हल्के व खाने में बहुत टेस्टी होते हैं. जब शक्कर नहीं थी तो हमारे दादाजी गुड़ से शक्कर बनाकर मिठाई बनाते थे.
कई जिलों में डिलीवरी
आज हमारे पास कई गाय हैं, जिनके दूध से रसगुल्ले बनाते हैं. इसका आकार बड़ा होने के साथ-साथ स्वाद भी लाजवाब होता है. आगे बताया कि यहां का रसगुल्ला अकोला, अमरावती, औरंगाबाद, मुंबई, दिल्ली सेंधुआ सहित कई जिलों में भी जाता है. यही ब्रांच हमारे द्वारा हरदा में भी खोली गई है, जहां रसगुल्ले की अच्छी खासी डिमांड है. यह रसगुल्ला छोटे रसगुल्ले से 8 गुना बड़ा रहता है.
पता है रसगुल्ले का इतिहास?
रसगुल्ले के इतिहास की बात करें तो कुछ लोगों का मानना है कि रसगुल्ले की खोज ओडिशा में हुई थी. ओडिशा के इतिहासकारों के मुताबिक, पुरी के जगन्नाथ मंदिर में खीर मोहन के रूप में रसगुल्ले की उत्पत्ति हुई थी. इसे पारंपरिक रूप से जगन्नाथ मंदिर में देवी लक्ष्मी को भोग के रूप में चढ़ाया जाता है. वहीं, कुछ लोगों का यह भी मानना है कि रसगुल्ले की शुरुआत कोलकाता से हुई थी. कोलकाता के हलवाई नवीन चंद्र दास ने साल 1868 में सुतानुती (बागबाज़ार) में अपनी मिठाई की दुकान खोली थी और वहीं उन्होंने रसगुल्ला बनाना शुरू किया था.
FIRST PUBLISHED : September 30, 2024, 17:52 IST
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