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कभी चखी इस 100 साल पुरानी दुकान की जलेबी? अंदर कुरकुरी जाली, जाली में चाशनी, हर बाइट में मिठास का धमाका


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Indore Ki Jalebi: जलेबी तो आपने बहुत खाई होगी. लेकिन, इंदौर की जलेबी शायद ही चखी हो. अगर आप इंदौर आएं तो छावनी जरूर जाएं. यहां 100 साल पुरानी दुकान पर सिर्फ जलेबी मिलती है. इसके बनाने का तरीका गजब है. खाने में तो ये उससे भी ज्यादा जबरदस्त. जानें सब…

Indore Ki Jalebi: सर्दियां जोरों पर हैं. बाजार में गरम-गरम जलेबी की महक से सुबह हो रही है. इंदौर में जब भी जलेबी की बात हो तो केवल एक ही नाम सुनाई देता है छावनी. इंदौर के छावनी की जलेबी कोई आम जलेबी नहीं, बल्कि कह सकते हैं कि यहीं आपको इस शहर की असली मिठास का अहसास होगा. आज से करीब 110 साल पहले गिरिराज मंगल नाम के शख्स ने यहां पर जलेबी की दुकान चालू की थी, तब से उनकी चौथी पीढ़ी है, जो यहां जलेबी बना रही है.

भारत मंगल ने बताया, यहां की जलेबी गैस पर नहीं बल्कि सिंगड़ी पर तली जाती है. इससे वह धीमी-धीमी और एक जैसी आंच में बेहद कुरकुरी बन जाती है. इसके लिए वह गर्म पानी में खासतौर पर 12 से 14 घंटे इसका खमीर लगाते हैं. छावनी में दशकों से मिल रही इस जलेबी की प्रसिद्धी का अंदाज इस बात से भी लगा सकते हैं कि यहां 1 दिन में करीब 40 किलो जलेबी बिक जाती है. भारत बताते हैं कि वह जलेबी का स्वाद बरकरार रखना चाहते थे, इसलिए उन्होंने आज तक जलेबी के अलावा यहां पर कोई दूसरी मिठाई नहीं बेची.

इन गलियों से गुजरे तो…
छावनी इलाके में कई ऐसी पुरानी छोटी-छोटी दुकानें हैं जो अपनी कुरकुरी, रसीली जलेबी के लिए जानी जाती हैं. जैसे ही आप छावनी की गलियों से गुजरेंगे आपको देसी घी में तलती जलेबी की खुशबू खींच लेगी. पहले यहां शुद्ध देसी घी की जलेबियों की खास पहचान थी. अब वनस्पति घी का काफी इस्तेमाल होने लगा है.

ये है सबसे बड़ी खास बात
भरत के अनुसार, जलेबी के जादुई स्वाद के पीछे इसका खमीर है. जलेबी बनाने के लिए मैदे को रात भर करीब 15 घंटे के लिए खमीर उठाने के लिए छोड़ दिया जाता है. सही मात्रा में खमीर उठने से ही जलेबी के अंदर वो जाली बनती है, जो चाशनी को अपने अंदर खींच लेती है. उसके बाद मध्यम आंच पर सिंगड़ी पर लकड़ियों से इसे सुनहरा होने तक तला जाता है. जैसे ही जलेबी कढ़ाई से निकलकर हल्की गर्म चाशनी में डुबोई जाती है, उसका कुरकुरापन बरकरार रहता है, लेकिन वो अंदर तक मीठी चाशनी से भर जाती है.

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Rishi mishra

एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय. प्रिंट मीडिया से शुरुआत. साल 2023 से न्यूज 18 हिंदी के साथ डिजिटल सफर की शुरुआत. न्यूज 18 के पहले दैनिक जागरण, अमर उजाला में रिपोर्टिंग और डेस्क पर कार्य का अनुभव. म…और पढ़ें

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कभी चखी इस 100 साल पुरानी दुकान की जलेबी? अंदर कुरकुरी जाली, जाली में चाशनी


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