पहले के लोग क्यों रहते थे स्वस्थ?
डॉ. श्वेता गुप्ता के अनुसार, पुराने समय में किसान और आम लोग अपने भोजन में मोटे अनाज का नियमित सेवन करते थे. इनमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो पाचन तंत्र को मजबूत बनाती है और पेट संबंधी बीमारियों से बचाती है. मोटे अनाज धीरे-धीरे पचते हैं, जिससे ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है और डायबिटीज जैसी बीमारी से बचाव होता है. यही कारण है कि हमारे दादा-दादी और परदादा की पीढ़ी 90-100 साल तक तंदुरुस्त रहती थी.
आज की पीढ़ी का खानपान पूरी तरह बदल गया है. पिज्जा, बर्गर, नूडल्स, पैकेज्ड स्नैक्स और सोडा जैसे फास्ट फूड शरीर को खाली कैलोरी देते हैं, लेकिन उनमें पोषक तत्वों की भारी कमी होती है. डॉ. श्वेता का कहना है कि ये आदतें केवल मोटापा ही नहीं बढ़ातीं, बल्कि हृदय रोग, कैंसर और किडनी की समस्याओं का भी कारण बन रही हैं. खासकर बच्चों और युवाओं में यह प्रवृत्ति खतरनाक होती जा रही है.
मोटे अनाज कैसे करें भोजन में शामिल?
विशेषज्ञों के अनुसार, मोटे अनाज को अपने दैनिक भोजन में शामिल करना मुश्किल नहीं है. गेहूं और चावल की जगह सप्ताह में 3-4 दिन रोटियां या खिचड़ी मोटे अनाज से बनाई जा सकती हैं. नाश्ते में रागी का दलिया, सामा की खीर या बाजरे की रोटी बेहद लाभकारी मानी जाती है. साथ ही, मोटे अनाज का उपयोग सलाद और सूप के साथ भी किया जा सकता है.
पाचन तंत्र मजबूत करता है – फाइबर से भरपूर होने के कारण कब्ज और पेट की समस्याओं से बचाव.
ब्लड शुगर नियंत्रित रखता है – डायबिटीज रोगियों के लिए वरदान.
हृदय को सुरक्षित करता है – कोलेस्ट्रॉल कम करने में सहायक.
वजन नियंत्रित करता है – लंबे समय तक भूख नहीं लगने देता.
प्रतिरक्षा तंत्र को बढ़ाता है – शरीर को बीमारियों से लड़ने की शक्ति मिलती है.
लोगों से अपील
डॉ. श्वेता गुप्ता ने कहा कि अगर आज की पीढ़ी सचमुच लंबा और स्वस्थ जीवन जीना चाहती है तो उन्हें तुरंत फास्ट फूड और जंक फूड से दूरी बनानी होगी. बच्चों को शुरुआत से ही मोटे अनाज का स्वाद और आदत डालना बेहद जरूरी है. सरकार भी मोटे अनाज को ‘श्री अन्न’ घोषित कर इसके फायदे बता रही है. ऐसे में हर परिवार को अपनी थाली में मोटे अनाज शामिल करना चाहिए.
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