सीकर. शरद पूर्णिमा वर्ष में केवल एक ही दिन आती है, यह वह दिन होता है जब चांद अपनी पूर्णता और चमक के चरम पर होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को यह पर्व मनाया जाता है, मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती है, जो पूरे वातावरण को शुद्ध और ऊर्जावान बना देती है. इसीलिए इसे जागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस रात भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रज की गोपियों के साथ महान रासलीला की थी. यह रात्रि प्रेम, भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा का अद्भुत संगम मानी जाती है. वहीं दूसरी ओर, देवी लक्ष्मी की पूजा का भी विशेष महत्व है. कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस रात जागरण कर मां लक्ष्मी की आराधना करता है, उसके घर में धन-समृद्धि और सुख की वृद्धि होती है.
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