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जहानाबाद में कायम है 100 साल पुरानी चाट दुकान का जादू, घंटे भर में 200 प्लेट से अधिक बिक्री, स्वाद के हो जाएंगे फैन

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जहानाबाद में सटी मोड़ के पास एक ऐसा चटपटी का ठेला लगता है, जिसका स्वाद 100 साल से लोगों के दिलों में राज कर रहा है. जितनी भीड़ शुरुआत के समय में रहती थी, उसी तरह की भीड़ आज भी यहां लगती है. रोज करीब 200 लोग खाने आते हैं. 

जहानाबाद. बिहार के जहानाबाद में सटी मोड़ के पास एक ऐसा चटपटी का ठेला लगता है, जिसका स्वाद सौ साल से लोगों के दिलों में राज कर रहा है. जितनी भीड़ शुरुआत समय में रहती थी, उसी तरह की भीड़ आज भी यहां लगती है. यह 100 साल पुरानी चटपटी की दुकान है. इसकी पहचान केवल स्वाद से ही नहीं, बल्कि दुकानदार की सादगी और निरंतरता से बनी हुई है. अब यही सादगी और निरंतरता की जिम्मेदारी तीसरी पीढ़ी के रूप में रामानंद प्रसाद निभा रहे हैं, जो चटपटी के स्वाद की परंपरा को आगे ले जा रहे हैं.

100 साल से सज रहा ठेला 
चटपटी का ठेला रोजाना सुबह साढ़े 7 बजे से लेकर 10 बजे तक सजता है. देखने में आपको भले छोटा हो, लेकिन इसकी लोकप्रियता इतनी बड़ी है कि रोज भीड़ लगी रहती है. रामानंद प्रसाद का कहना है कि 10 बजे से पहले करीब 200 ग्राहक यहां की चटपटी खा लेते हैं. कई लोग तो सुबह का समय निकाल कर यहां पहुंचते हैं, ताकि ठेला बंद होने से पहले स्वाद का मज़ा लिया जा सकें.

हर मौसम में खुला रहता है दुकान 
रामानंद प्रसाद की उम्र करीब 55 साल हो रही है, लेकिन उनके उत्साह में आज भी जरा सी कमी नहीं आई है. वे हर दिन तय समय पर अपने स्थान पर पहुंच जाते हैं. चाहे ठंड का कोहरा हो या गर्मी की तपिश या बारिश की बौछार, चटपटी का ठेला कभी बंद नहीं होता.
उनका कहना है कि ग्राहक इंतजार करते हैं. इसलिए, मौसम जैसा भी हो, दुकान जरूर लगती है.

25 पैसे से शुरू हुई थी चटपटी की कीमत
इस दुकान की शुरुआत में एक प्लेट चटपटी केवल 25 पैसे में मिलती थी. धीरे-धीरे समय बदला, महंगाई बढ़ी और स्वाद में भी नई चीज़ें जुड़ीं. अब यहां तीन से चार तरह की चाट मिलती हैं, जिनकी कीमत 20, 25 और 30 रुपए तक है. दूर दूर से लोग यह चाट खाने आते हैं.

स्वाद जो खींच लाता है बार-बार
ग्राहकों ने बताया कि इस ठेले की चटपटी का स्वाद अनोखा और लाजवाब है. कोई भी एक बार खा लिया तो दोबारा यहां आना जरूरी हो जाता है. क्योंकि स्वाद ही ऐसा होता है. यही कारण है कि सालों बाद भी चाट का ठेला जिला में सबसे मशहूर ठिकाना बना हुआ है.
रामानंद प्रसाद का मानना है कि यह ठेला सिर्फ एक छोटी दुकान नहीं, बल्कि विरासत है. इसे हमने अपने पूर्वजों से पाया है और अब आने वाली पीढ़ी को सौंपना चाहते हैं. यही परंपरा जहानाबाद की गलियों में ठेले को आज भी ज़िंदा रखे हुए है.

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जहानाबाद में कायम है 100 साल पुरानी चाट दुकान का जादू, स्वाद के हो जाएंगे फैन


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