चिंता मत किजीए. कबाब का नाम भर है. आपको दीपावली पर ये नाम नहीं जमता तो टिक्की कह लीजिए. बस रिवायती ओल या सूरन को एक नया कलेवर देकर इसे बनया जा सकता है. अपने आकार की वजह से इसे अंग्रेजी में एलीफेंट फ्रूट भी कहते है. उबड़ खाबड़ सा बड़े आकार वाले इस जिमिकंद को दीपावली के दिन घरों में पकाया और खाया जाता है. वैसे तो इसकी सब्जी भी बहुत स्वादिष्ट बनती है लेकिन ज्यादेतर घरों में उबाल कर भर्ता बनाने का ही रिवाज है.
गलौटी का जलवा
नवेज के शौकीन जानते हैं कि लखनऊ के गलौटी कवाब कितने जायकेदार और मशहूर हैं. वही जायका आप इस वेज डिश से हासिल कर सकते हैं. नॉनवेज के शौकीनों के लिए गलौटी लफ्ज़ ही बेहद लजीज है. ये अलग बात है कि सूरन के कवाब बनाने के लिए किसी चीज की गलावट करने की दरकार नहीं है. लखनऊ की रसोई से निकला ये कबाब बहुत से लोगों को इस कदर पसंद है कि बहुत से लोग तो इसे खाने के लिए लखनऊ तक का सफर कर लेते हैं. वैसे आजकल बहुत सारी जगहों पर ये बिकने और मिलने लगा है, लेकिन लखनऊ की बात निराली है. तो आइए तैयार करते हैं सूरन का वेज गलौटी कवाब.
सूरन के वेज कबाब बनाने की तैयारी
सबसे पहले सूरन को रनिंग वाटर से खूब धो लें. इसमें बहुत सारी मिट्टी लगी रहती है. छील कर इसके थोड़े बड़े टुकड़े कर लें. चार-चार इंच के ठीक रहेंगे. इसे थोड़ी सी दालचीनी, बड़ी इलाइची और हल्का नमक डाल कर उबाल लें. उबलने के बाद पानी निथारने के लिए किसी छलनीनुमा बर्तन का इस्तेमाल करें. अगर न हो तो थाली को टेढ़ा करके थोड़ी देर के लिए रख दें. चाहें तो फ्रिजर में थोड़ी देर रख कर नमी को खत्म कर सकते हैं. वैसे जरूरी नहीं है.
बाइंडिंग के लिए पिसी दाल
इधर थोड़ी सी चना दाल भून लें. किलो भर सूरन के लिए एक कप का पर्याप्त होगी. भूनी दाल को मिक्सर में पीस लें. अगर मिक्सर की सुविधा न हो तो पहले से दाल को पानी में तर करके फुला लें. इस तरह से उसे पीसना आसान हो जाएगा. बेसन का इस्तेमाल भी कर सकते हैं लेकिन उसमें अंदेशा ये रहता है कि अगर बेसन में कोई अशुद्धि हो तो जायका बिगड़ जाएगा.
वेज कबाब के मसाले
अब मसालों की तैयारी करनी होगी. मसालों के तौर पर दाल चीनी, स्याह जीरा, कबाब चीनी, जावित्री, छोटा टुकड़ा जायफल, पिप्पल, काली और सफेद इलाइची के दाने, स्टार फूल, लवंग और पत्थर के फूल को हल्का गरम करके बारीक पीस लें. कपड़छन कर लेंगे तो कोई टुकड़ा कबाब में हड्डी नहीं बनेगा. कबाब के मसालों में पान की जड़ जरूरी होती है, लेकिन हर जगह इसका मिलना मुमकिन नहीं होता. फिर भी मिल जाए तो एक छोटा सा टुकड़ा लेकर उसे भी कपड़छन से पहले ही मसालों में शामिल कर लें. लहसुन पाउडर मिल जाय तो उसे और प्याज के रस को भी इसमें शामिल कर सकते है. चाहें तो तले हुए प्याज का चूरा बना कर उसे भी मिला सकते हैं.
कड़ाही में हल्का तेल लेकर उसमें लहसुन अदरक के बारीक पेस्ट को भून लें. इसी में मसाले मिलाने और दाल का कच्चापन खत्म करने भर के लिए सूरन और दाल दोनों को मिला भून लें. अगर हरी धनिया अच्छी लगती हो तो उसे भी काट कर इसमें मिला लें. अपने जायके के हिसाब से नमक और मिर्च भी इसी दौरान मिला लें. हां, सूरन में खटाई मिलाना जरुरी होता है. अब ये खुद तय कर लें कि कितने से ये पूरा मसाला बगैर खट्टा हुए सूरन की गर्दन में चुभने वाली तल्खी को खत्म कर सकता है. हां, आजकल बाजार में जो सूरन मिल रहा है वो गले में बहुत नहीं लगता, लिहाजा हल्की खटाई से काम चल सकता है. आखिर में चाहें तो हल्का केवड़ा भी इसमें मिला सकते हैं.
मन करे तो स्मोक भी कर लें
अब इस मिश्रण को किसी बर्तन में रख लें. फिर कटोरी में जलता हुआ कोयला रख कर उसमें घी या तेल डाल कर मिश्रण को स्मोकी फ्लेवर भी दे सकते हैं. ये भी ऐसा जरुरी नहीं है. मन में आए तो करें नहीं तो कबाब का मसाला तैयार है.
सेकें और परोसें
किसी भी तरह का छिछला पैन लेकर उसमें घी गरम कर लें. गलौटी कबाब गोल तो दिखते है, लेकिन बिल्कुल टिक्की की तरह नहीं होते. लिहाजा जैसे भी मन में आए छोटे-छोटे टिक्की के बराबर का पूरा मिश्रण गर्म घी पर दोनों तरफ से हल्का ब्राउन होने तक सेंक लें. सूरन के वेज कबाब तैयार है. धनिया, टमाटर, खटाई, मिर्च की चटनी के साथ इसका लुत्फ़ ले सकते हैं. प्याज के छल्ले अगर रुचते हों तो इसका मजा और बढ़ा सकते हैं.
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