धनबाद. लिट्टी-चोखा भले ही बिहार की पहचान के रूप में जाना जाता हो, लेकिन कभी बिहार का ही हिस्सा रहे झारखंड में भी इसका उतना ही गहरा असर है. झारखंड के हर शहर, हर मोहल्ले में इसके स्वाद के दीवाने मिल जाते हैं. राज्य के अलग होने के 24 साल बाद भी यह पारंपरिक खाना यहां के लोगों की जुबान और ज़ायके में उसी तरह शामिल है.
फेमस है लक्की की लिट्टी
धनबाद शहर में भी लिट्टी-चोखा का शौक कम नहीं है. यहां बेकार बांध पर स्थित लक्की की लिट्टी नाम की दुकान लोगों के बीच बहुत मशहूर है. सुबह से देर शाम तक यहां ग्राहकों की भीड़ लगी रहती है. चाहे स्थानीय लोग हों या आसपास के जिले से गुजरने वाले यात्री, हर कोई इस दुकान की लिट्टी का स्वाद लेने पहुंच जाता है.
वकालत पढ़ रहे हैं लकी
इस दुकान को चला रहे हैं 20 साल के लकी जिनकी कहानी उतनी ही प्रेरणादायक है जितना उनकी लिट्टी का स्वाद. मूल रूप से बिहार के नवादा जिले के रहने वाले लकी अपने पिता का साया बचपन में ही खो चुके थे. इसके बाद वे धनबाद के बेकार बांध इलाके में अपने नाना के घर पले-बढ़े.
पढ़ाई भी यहीं हुई यूकेजी से 10वीं तक की शिक्षा राजकमल शिशु विद्या मंदिर से और 11वीं-12वीं पीके रॉय मेमोरियल कॉलेज से. अभी वे धनबाद लॉ कॉलेज से वकालत की पढ़ाई कर रहे हैं.
संभाल रहे नाना की दुकान
पढ़ाई के साथ-साथ लकी पिछले 7 साल से अपने नाना की लिट्टी दुकान संभाल रहे हैं. दुकान पर बढ़ती भीड़ और स्वाद की बढ़ती पहचान इसी बात का सबूत है कि युवा लकी अपने काम में कितनी मेहनत से जुटे हुए हैं. वे बताते हैं कि साफ-सफाई और हाइजीन पर उनकी खास नजर रहती है. हम कोशिश करते हैं कि ग्राहकों को सबसे अच्छा स्वाद मिले, इसलिए हर काम ध्यान से किया जाता है.
सुबह से बनने लगती हैं लिट्टी
उनके मुताबिक लिट्टी बनाने का काम सुबह से ही शुरू हो जाता है. आटे को पहले कई घंटों तक सेट होने के लिए छोड़ दिया जाता है. जब आटा पूरी तरह तैयार हो जाता है, तो उसमें सत्तू भरकर गोल लिट्टी बनाई जाती है. फिर इन गोलों को तेज धधकती आग में सेंका जाता है, जब तक कि वे कुरकुरी न हो जाएं.
इतनी है कीमत
इसके बाद इन्हें चोखा और टमाटर की चटनी के साथ परोसा जाता है. चोखा भुने बैंगन, उबले आलू, प्याज, हरी मिर्च और मसालों के मिश्रण से तैयार किया जाता है. सर्दियों में ग्राहक मूली के साथ परोसी गई लिट्टी-चोखा को और भी पसंद करते हैं. लकी ने बताया कि उनकी दुकान पर एक प्लेट लिट्टी की कीमत ₹30 है, जबकि घी लगी लिट्टी की कीमत ₹50 है. एक प्लेट में दो पीस लिट्टी, चोखा, टमाटर की चटनी, प्याज और मूली परोसी जाती है.
पढ़ाई के साथ कमाई
दैनिक खपत की बात करें तो दुकान में रोजाना लगभग 25 से 30 किलो आटा, 30 किलो आलू, 10 किलो बैंगन, 6 किलो प्याज और 20 किलो टमाटर इस्तेमाल होते हैं. इतनी सामग्री से हर दिन सैकड़ों ग्राहकों के लिए लिट्टी-चोखा तैयार होता है. लक्की की लिट्टी सिर्फ स्वाद का स्थान नहीं, बल्कि एक युवा की मेहनत और संघर्ष की कहानी भी बताती है. पढ़ाई के साथ व्यवसाय संभालना आसान नहीं होता, लेकिन लकी ने यह दिखा दिया है कि मेहनत और लगन हो तो हर रास्ता आसान हो जाता है.
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