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पहले दादा, फिर अब्बा… अब अनीश घर-घर बेच रहें ये अनोखा हलवा-पराठा, कमाई भी है तगड़ी



सुल्तानपुर: स्वाद के शौकीनों के लिए हलवा पराठा किसी परिचय का मोहताज नहीं है. लगभग 60 वर्षों से यह खास रेसिपी एक ही परिवार की पहचान बनी हुई है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होती आ रही है. यह स्वाद न केवल सुल्तानपुर के लोगों की जीभ पर राज कर रहा है, बल्कि इसकी खुशबू दूर-दूर तक फैली हुई है.

कैसे बनता है हलवा-पराठा?
पाराठा बनाने के लिए सबसे पहले मैदे को अच्छी तरह गूंथकर रखा जाता है. इसमें पानी की मात्रा अधिक रखी जाती है ताकि पराठा मुलायम और स्वादिष्ट बने. पराठे को धीमी आंच पर सेककर सुनहरा बनाया जाता है. वहीं हलवा बनाने के लिए सूजी को धीमी आंच पर तब तक भूना जाता है, जब तक वह लाल न हो जाए. फिर इसमें काजू, बादाम, किशमिश और इलायची की कतरन मिलाई जाती है, जिससे इसका स्वाद और भी लाजवाब बनता है.

गांव-गांव तक हलवा-पराठा की पहुंच
हलवा पराठे को बनाने वाले अनीश अहमद अपनी बाइक पर फेरी लगाकर इसे गांव-गांव पहुंचाते हैं. अनीश बताते हैं कि यह व्यापार उनके दादा ने शुरू किया था. उनके पिता ने इसे संभाला और अब यह जिम्मेदारी अनीश के कंधों पर है.

कमाई का राज
प्रतिदिन 10-12 किलो सूजी का हलवा बेचने वाले अनीश इस व्यवसाय से अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं. हलवा और पराठा ₹50 प्रति प्लेट में बेचा जाता है. अनीश बताते हैं कि उन्होंने सिर्फ कक्षा 7 तक पढ़ाई की है. इसके बाद उन्होंने अपने परिवार के इस पारंपरिक व्यवसाय को पूरी तरह अपना लिया.

पारिवारिक व्यवसाय की सफलता
हलवा पराठा न केवल सुल्तानपुर की पहचान बन चुका है, बल्कि यह इस परिवार के संघर्ष और समर्पण की कहानी भी बयां करता है. तीन पीढ़ियों से यह स्वाद लोगों के दिलों और जीभ पर राज कर रहा है, और अनीश इसे और भी ऊंचाई तक ले जाने के लिए पूरी मेहनत लगा रहे हैं.


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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/recipe-sultanpur-famous-halwa-paratha-taste-remains-intact-third-generation-local18-8877193.html

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