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Shraddha Paksha Imarti Importance: श्राद्ध पक्ष में जालौर की मिठाई दुकानों पर इमरती की विशेष मांग देखी जाती है. यह मिठाई धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितरों को अर्पित की जाती है और यदि उपलब्ध न हो इसे अधूरे भोग का प्रतीक माना जाता है.उड़द दाल से बनी इमरती आयुर्वेदिक रूप से सात्त्विक मानी जाती है और इसका गोल आकार जीवन-मृत्यु के चक्र को दर्शाता है. स्थानीय हलवाइयों के अनुसार, इस समय इमरती की बिक्री आम दिनों से कई गुना बढ़ जाती है.

जालौर में श्राद्ध पक्ष आते ही मिठाइयों की दुकानों पर रौनक बढ़ जाती है. इन दिनों हलवाई सुबह से ही तवे पर इमरती बनाने में जुट जाते हैं. इमरती का स्वाद और इसका धार्मिक महत्व, दोनों मिलकर इसे इस मौसम की सबसे ज्यादा बिकने वाली मिठाई बना देते हैं. स्थानीय पंडित बताते हैं कि श्राद्ध पक्ष में अगर घर में इमरती का भोग नहीं लगे तो अधूरा सा लगता है.

इमरती उड़द की धुली दाल से तैयार होती है. उड़द दाल को आयुर्वेद में सात्त्विक आहार बताया गया है, जो शरीर को हल्का और सुपाच्य बनाती है. यही कारण है कि पितरों को भोग लगाने में इसे खास महत्व दिया जाता है. घी और शुद्ध चीनी से बनी इमरती स्वाद में तो लाजवाब होती ही है, साथ ही सात्त्विक और शुद्ध भोजन के प्रतीक के रूप में मानी जाती है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, श्राद्ध पक्ष में पितरों को इमरती अर्पित करना आवश्यक माना गया है. यह विश्वास है कि यदि किसी कारणवश पितरों को यह प्रिय मिठाई नहीं चढ़ाई गई तो भोग अधूरा रह जाता है. ऐसी स्थिति में उपाय स्वरूप परिवारजन को पितरों के नाम पर इमरती अर्पित करनी चाहिए. इससे पितर प्रसन्न होकर अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.

इमरती का गोल और घुमावदार आकार भी अपने आप में खास महत्व रखता है. इसे जीवन और मृत्यु के चक्र का प्रतीक माना जाता है. जैसे यह मिठाई बार-बार गोलाई में घूमकर बनती है. वैसे ही यह संसार और आत्मा के निरंतर प्रवाह का संदेश देती है. श्राद्ध पक्ष में इमरती अर्पित करना इस बात का प्रतीक है कि हम पितरों की अनंत यात्रा में शांति और मोक्ष की कामना कर रहे हैं.

जालौर के परिवारों में पीढ़ियों से यह परंपरा चली आ रही है कि श्राद्ध भोज में इमरती का होना अनिवार्य है. पिंडदान के समय या ब्राह्मण भोजन में भी इमरती को विशेष स्थान दिया जाता है. कई परिवार इसे पितरों के साथ-साथ देवताओं को भी अर्पित करते हैं, जिससे भोजन की शुद्धता और अधिक बढ़ जाती है.

श्राद्ध पक्ष में हलवाइयों की दुकानों पर इमरती की मांग आम दिनों से कई गुना बढ़ जाती है. स्थानीय हलवाई चंदनपुरी ने बताया कि इस समय खास ऑर्डर मिलने लगते हैं और वे बड़ी मात्रा में इमरती तैयार करते हैं. बाजार में ग्राहकों की भीड़ रहती है और घर-घर में भोग व प्रसाद की थालियों में इमरती जरूर सजाई जाती है.

श्रद्धा, आस्था और परंपरा से जुड़ी इमरती अब केवल मिठाई नहीं रह गई, बल्कि यह पितरों की शांति और परिवार की समृद्धि का प्रतीक बन चुकी है. जालौर में श्राद्ध पक्ष की पहचान के रूप में यह मिठाई हर साल नए उत्साह और विश्वास के साथ खरीदी और अर्पित की जाती है. यही कारण है कि इमरती ने धार्मिकता और स्वाद दोनों में अपनी विशेष जगह बनाई हुई है.
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