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सर्दियों का मौसम आते ही हर घर में साग की खुशबू फैलने लगती है, लेकिन कई बार वही साग कड़वा या किरकिरा हो जाता है. असल में साग का स्वाद मसालों से नहीं, बल्कि बनाने के तरीके से तय होता है. दादी-नानी के देसी नुस्खों में नाप-तौल नहीं होती थी, फिर भी साग हमेशा लाजवाब बनता था. सही तरीका अपनाएं तो साग हर बार खुशबूदार और स्वाद से भरपूर बनता है.

साग का स्वाद सबसे पहले वहीं तय हो जाता है जहां से आप उसे खरीदते हैं. सरसों, पालक या मेथी लेते समय बहुत ज्यादा पीले, मुरझाए या सड़े हुए पत्तों से बचें. दादी-नानी हमेशा कहती थीं कि साग जितना ताजा होगा, उतना ही स्वादिष्ट और खुशबूदार बनेगा. साथ ही, बहुत ज्यादा गीला साग भी न लें, क्योंकि वही जल्दी खराब होता है और पकने में स्वाद बिगाड़ देता है.

अक्सर लोग साग को एक-दो बार धोकर सीधे पकाने रख देते हैं या धोने से पहले ही काट लेते हैं, और यही सबसे बड़ी गलती हो जाती है. सबसे पहले साग को अच्छे से साफ कर लें ताकि उसमें कोई घास-बगैरा न रह जाए. पत्तेदार सब्जियों में मिट्टी पत्तों की नसों में छुपी रहती है, इसलिए साग काटने से पहले ही 4-5 बार पानी में धोना बहुत जरूरी है. जब तक पानी एकदम साफ न दिखे, तब तक धोते रहें. ऐसा करने से साग में न किरकिरापन आएगा और खाने का मज़ा भी खराब नहीं होगा.

कई घरों में साग को इतना उबाल दिया जाता है कि उसका रंग और स्वाद दोनों ही खत्म हो जाते हैं. दादी-नानी का तरीका था कि साग को बस इतना पकाया जाए कि वह गल जाए, लेकिन उसका रंग हरा रहे. ज्यादा उबालने से साग कड़वा भी हो सकता है. इसलिए हमेशा धीमी आंच पर साग पकाएं और बीच-बीच में देखें ताकि जरूरत से ज्यादा न पक जाए.
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साग को पकाते समय कढ़ाही या पैन को ढककर रखना बहुत जरूरी है. इससे भाप अंदर रहती है और साग अपने ही पानी में अच्छे से गल जाता है. दादी कहती थीं कि ढककर पकाने से साग की खुशबू उड़ती नहीं है और पोषक तत्व भी ज्यादा सुरक्षित रहते हैं. अगर साग खुला पकाया जाए, तो यह सूख सकता है और उसका स्वाद फीका पड़ जाता है.

बहुत लोग शुरुआत में ही साग में नमक और मसाले डाल देते हैं, जिससे उसका स्वाद बिगड़ जाता है. साग पकने के बाद ही नमक और तड़का लगाना सबसे सही तरीका माना जाता है. ऐसा करने से साग ज्यादा दिन तक खराब नहीं होता. यही वजह है कि कई घरों में साग को बिना तड़का रखकर, खाने के समय ताजा तड़का लगाया जाता है.

साग का असली स्वाद उसके तड़के में छुपा होता है. देसी घी में लहसुन, लाल मिर्च, अदरक और थोड़ा सा हींग डालकर लगाया गया तड़का साग को जानदार बना देता है. दादी-नानी हमेशा कहती थीं कि तड़का ऊपर से लगे तो खुशबू और स्वाद दोनों दोगुना हो जाते हैं. जरूरत भर तड़का लगाएं, इससे साग हल्का भी रहेगा और मजेदार भी.

अगर साग ज्यादा बन जाए तो उसे बिना तड़का फ्रिज में रख सकते हैं. 2–3 दिन तक साग आराम से चलता है. खाने से ठीक पहले उसे हल्का गर्म करें और ताजा तड़का लगाएं. इससे साग बासी नहीं लगेगा. यही पुराना घरेलू तरीका है, जिससे साग हर बार ताजा जैसा स्वाद देता है और सेहत के लिए भी नुकसान नहीं करता.
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https://hindi.news18.com/photogallery/lifestyle/recipe-saag-pakane-ke-tips-taza-swaad-recipe-local18-9959022.html







