Saturday, September 27, 2025
31 C
Surat

मसूर दाल: उत्तराखंड की पारंपरिक थाली का स्वाद और सेहत का अनोखा संगम.


बागेश्वर: उत्तराखंड की पारंपरिक थाली में मसूर दाल का खास महत्व है. पहाड़ों की रसोई का यह अनमोल स्वाद न सिर्फ खाने में लाजवाब है, बल्कि सेहत के लिए भी वरदान माना जाता है. स्थानीय लोग इसे रोजाना अपने भोजन में शामिल करते हैं और पर्यटक भी इस दाल का स्वाद चखकर इसके दीवाने हो जाते हैं. मसूर दाल की खासियत यही है कि यह स्वाद और पोषण का अनोखा संगम है.

मसूर दाल प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम से भरपूर 

बागेश्वर के आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. ऐजल पटेल ने Bharat.one को बताया कि मसूर दाल प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम और फाइबर से भरपूर होती है. यह शरीर को ऊर्जा देने के साथ खून की कमी को दूर करने में बेहद मददगार है. यही नहीं, इसके नियमित सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, और कई तरह की बीमारियों से बचाव होता है. खासकर जिन लोगों को एनीमिया की समस्या है, उनके लिए मसूर दाल किसी प्राकृतिक औषधि से कम नहीं है.

हल्की और जल्दी पचती है दाल

इस दाल की सबसे बड़ी खूबी है कि यह हल्की और जल्दी पचने वाली होती है. चिकित्सक भी इसे पाचन तंत्र के लिए लाभकारी मानते हैं. मसूर दाल में मौजूद पोषक तत्व हड्डियों को मजबूत बनाते हैं. कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करते हैं, और हृदय रोगों से बचाव में सहायक होते हैं. यही कारण है कि पहाड़ों के बुजुर्ग आज भी अपने भोजन में मसूर दाल को प्राथमिकता देते हैं और स्वस्थ जीवन जीते हैं.

क्या है रेसिपी

कुशल गृहिणी सुनीता टम्टा ने Bharat.one को बताया कि मसूर दाल बनाने का तरीका भी आसान है. सबसे पहले दाल को अच्छी तरह धोकर करीब 20 मिनट तक भिगो दिया जाता है. इसके बाद इसे कुकर में हल्दी, नमक और पर्याप्त पानी डालकर उबाला जाता है. जब दाल अच्छी तरह पक जाए, तो तड़के की बारी आती है. तड़का लगाने के लिए कढ़ाई में घी या सरसों का तेल गर्म किया जाता है. उसमें जीरा, बारीक कटा लहसुन, प्याज, टमाटर और हरी मिर्च डालकर सुनहरा होने तक भुना जाता है. यही तड़का पकी हुई दाल पर डाल दिया जाता है. ऊपर से हरी धनिया पत्ती से सजाने के बाद यह दाल खाने वालों का दिल जीत लेती है.

उत्तराखंड में मसूर दाल को चावल और रोटी के साथ बड़े चाव से खाया जाता है. गांव हो या शहर, यह दाल हर घर की पहचान है. पर्यटक जब पहाड़ों की यात्रा पर आते हैं, तो स्थानीय व्यंजनों में मसूर दाल का स्वाद चखना नहीं भूलते. यही वजह है कि यह दाल धीरे-धीरे उत्तराखंड की पहचान बन चुकी है.

यह दाल सिर्फ पेट भरने के लिए नहीं, बल्कि सेहत बनाने के लिए भी जरूरी है. बाजार में मौजूद मसालेदार और तैलीय व्यंजनों की तुलना में मसूर दाल एक हल्का, पौष्टिक और स्वादिष्ट विकल्प है. यही कारण है कि इसे खाने के बाद भी बार-बार खाने का मन करता है. स्वाद और सेहत का ऐसा संगम कम ही देखने को मिलता है, जैसा कि मसूर दाल में मिलता है. पहाड़ की इस पारंपरिक दाल ने न सिर्फ लोगों का दिल जीता है, बल्कि सेहत के लिहाज से भी अपना अलग ही मुकाम बनाया है. इसलिए अगर आप भी एक बार इस दाल का स्वाद चख लेंगे, तो इसे अपनी थाली से कभी दूर नहीं कर पाएंगे.


.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.

https://hindi.news18.com/news/lifestyle/recipe-high-in-iron-protein-and-fiber-this-dal-is-healthier-than-non-veg-masoor-daal-ki-recipe-local18-ws-kl-9560175.html

Hot this week

darbhanga 100 year old elephant tusk durga idol

Last Updated:September 27, 2025, 18:53 ISTDurga Puja 2025:...

Topics

darbhanga 100 year old elephant tusk durga idol

Last Updated:September 27, 2025, 18:53 ISTDurga Puja 2025:...
spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img