Last Updated:
Arwa Rice: महापर्व छठ आते ही किसान लालाजी के खेतों का अरवा चावल याद आने लगता है. इस चावल तैयार करने के दौरान नशा करके या खैनी, गुटका आदि खाकर मिल में किसी को भी जाने पर पाबंदी होती है. इसलिए इसकी शुद्धता को देखते हुए इसकी मांग बढ़ जाती है.
गया जिले के आमस प्रखंड क्षेत्र के महूआवां गांव के प्रसिद्धि के पीछे किसान लाला सुदामा प्रसाद और उनके पुत्र राजीव कुमार श्रीवास्तव हैं. लाला सुदामा प्रसाद लगभग 10 बीघा खेत पर छठ पर्व के लिए विशेष रूप से धान की खेती करते हैं. फिर उसको पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ शुद्धता का ख्याल रख कर अपनी मील में ही अरवा चावल तैयार कराते हैं, ताकि छठ पूजा में इसका प्रयोग बिना किसी संकोच के हो.
1970 से कर रहे चावल की खेती
गौरतलब है कि किसान लाला सुदामा प्रसाद साल 1970 से लगभग 10 बीघा में खेती कर रहे हैं. हर साल एक से 5 जून तक खेतों में बिचड़ा गिरा देते हैं, जुलाई के प्रथम सप्ताह में रोपाई शुरू कर अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में धान की फसल काट लेना लालाजी की पहचान है. लाला जी महापर्व छठ को ध्यान में रख कर धान की रोपनी और कटनी समय पर करते है, ताकि लोगों को छठ में निराश न होना पड़े.
लालाजी के पुत्र राजीव कुमार श्रीवास्तव कहते हैं कि खेत का अरवा चावल छठ के अवसर पर गया, औरंगाबाद और झारखंड के विभिन्न गांव, शहरों के अलावा विदेशों में भी जाता है जिससे खीर बनाई जाती है. लोग यहां से दूसरे देशों और प्रदेशों में रह रहे अपने परिजन को छठ करने के लिए अरवा चावल भेजते हैं, क्योंकि पूरे इलाके में इतना जल्दी कहीं चावल तैयार नहीं होता है.
लाइन लगाकर बिकता है चावल
लालाजी के पुत्र राजीव श्रीवास्तव ने बताया कि छठ को ध्यान में रखते हुए अक्टूबर के पहले सप्ताह में ही धन कटनी कर खलिहान से थ्रेसिंग करके धान को अपने राइस मिल में चावल तैयार करने के लिए पहुंचा दिया गया है. दो तीन दिनों से चावल तैयार किया जा रहा है और जिले के विभिन्न क्षेत्र लोग जो छठ पर्व करते हैं यहां से अरवा चावल ले जाते हैं. इन्होंने बताया कि इस चावल की डिमांड इतनी है कि लोग लाइन लगाकर इस चावल की खरीदारी करते हैं.
पवित्रता और शुद्धता का रखते हैं ध्यान
राजीव श्रीवास्तव ने बताया कि अरवा चावल को पूरी पवित्रता और शुद्धता के साथ तैयार किया जाता है. चावल तैयार करने के दौरान नशा करके या खैनी, गुटका आदि खाकर मिल में किसी को भी जाने पर पाबंदी होती है. लोगों को चप्पल जूते पहन कर जाने की भी इजाजत नहीं होती है. यहां तक की खेतों में भी जिस में छठ पर्व के लिए धान लगाया जाता है उस खेत में भी चप्पल जूते पहन कर वे खुद नहीं जाते हैं.
राजीव कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि गया, औरंगाबाद और झारखंड के विभिन्न गांवों शहरों में जाता है. जो दूसरे देशों में रह रहे हैं और वहां वह छठ कर रहे है, उनके परिजन छठ मनाने के लिए चावल लेकर जाते हैं. क्योंकि पूरे क्षेत्र में इतनी जल्दी कहीं चावल तैयार नहीं होती है. इस बार 60 रुपये किलो लोगों को चावल उपलब्ध करा रहे हैं.

with more than 4 years of experience in journalism. It has been 1 year to associated with Network 18 Since 2023. Currently Working as a Senior content Editor at Network 18. Here, I am covering hyperlocal news f…और पढ़ें
with more than 4 years of experience in journalism. It has been 1 year to associated with Network 18 Since 2023. Currently Working as a Senior content Editor at Network 18. Here, I am covering hyperlocal news f… और पढ़ें
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
https://hindi.news18.com/news/lifestyle/recipe-chhath-puja-paddy-arwa-rice-people-have-to-queue-up-to-buy-rice-local18-9769365.html







