Friday, October 3, 2025
24 C
Surat

विदेशों तक हैं इन कचौड़ियों की डिमांड! 1951 में खुली थी दुकान, जायके के दीवाने ग्राहकों का लगता है मेला


Agency:Bharat.one Uttar Pradesh

Last Updated:

Aligarh: अलीगढ़ आएं तो जय शिव कचौड़ी भंडार की कचौड़ी खाना न भूलें. ये दुकान 1951 में खुली थी जिसे अब तीसरी पीढ़ी चला रही है. यहां के स्वाद के लोग दीवाने हैं और विदेशों तक इनकी डिमांड रहती है.

X

अगर

अगर आप अलीगढ़ आए और शिब्बोजी की कचौड़ी नहीं खाईं तो क्या खाया

हाइलाइट्स

  • जय शिव कचौड़ी भंडार 1951 में खुला था.
  • शिब्बोजी कचौड़ी की डिमांड विदेशों तक है.
  • कचौड़ी शुद्ध देसी घी में बनाई जाती है.

अलीगढ़. उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में कचौड़ियां बेहद प्रसिद्ध हैं. शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जिसे करारी कचौड़ियों का स्वाद दीवाना न बना दे. कचौड़ी की खुशबू आते ही चुंबक की तरह हर कोई इसकी तरफ खिंचा चला आता है. खासकर जब कोई अलीगढ़ में हो, तब यह तलब और भी ज्यादा बढ़ जाती है. अगर आप यूपी के अलीगढ़ आएं और हरिओम शर्मा शिब्बोजी की कचौड़ियों का स्वाद नहीं लिया, तो समझिए यहां आना बेकार है.

1951 में खुली थी दुकान
खाई डोरा निवासी शिव नारायण शर्मा ने 1951 में कचौड़ी की दुकान की शुरुआत की थी. पिछले करीब 75 सालों से परिवार की चार पीढ़ियां इसे आगे बढ़ा रही हैं. मौजूदा वक्त में शिव नारायण शर्मा के पुत्र हरिओम शर्मा शिब्बोजी दुकान संभाल रहे हैं.

कैसे पड़ा दुकान का नाम शिब्बोजी
Bharat.one से बात करते हुए हरिओम शर्मा बताते हैं कि उनके पिताजी को प्यार से घर में शिब्बो कहा जाता था. वही नाम आज ब्रांड बन चुका है. दादा और पिता के बाद पुत्र हरिओम शर्मा ने 1982 से कमान संभाली थी. इसके बाद से आज तक स्वाद और साख गिरने नहीं दी. शिब्बोजी कचौड़ी एक ब्रांड बन गया है, जिसकी पहुंच सिर्फ देश ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में है.

फिर चाहे अलीगढ़ के लोग हों या फिर अमेरिका, इंग्लैंड, कनाडा, जापान और सिंगापुर के. उनकी कचौड़ी का स्वाद सभी को खींच ही लाता है. विदेश में रहने वाले लोग जब भी अलीगढ़ आते हैं, तो कचौड़ी खाए बिना नहीं जाते. वहीं, देश से लौटते समय कचौड़ी लेकर जाना भी नहीं भूलते हैं.

कैसे तैयार होती है पूड़ी-कचौड़ी?
शिब्बोजी कचौड़ी की खास बात इसकी शुद्धता है. शिब्बोजी कचौड़ी के मालिक हरिओम शर्मा शिब्बो बताते हैं कि कचौड़ी शुद्ध देसी घी में निकाली जाती है, जिसे लैब में टेस्ट कराकर इस्तेमाल किया जाता है. वहीं, सब्जी के लिए मसाले घर पर ही तैयार किए जाते हैं. इसके लिए खड़े मसाले को पहले खल्लर-मूसर में कूटा जाता है फिर उसकी पिसाई होती है. मसाले में जरा भी मिलावट नहीं होती, इसलिए जब इसे सब्जी में मिलाया जाता है, तो वह लोगों को अपना दीवाना बना देती है.

मीठा भी मिलता है यहां
हरिओम शर्मा शिब्बोजी कहते हैं कि दादाजी और पिताजी के समय से ही ग्राहकों का विशेष ध्यान रखा गया है. कचौड़ी और सब्जी खाने के बाद अक्सर लोगों का मन कुछ मीठा खाने का करता है. यहां इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है. इसलिए ग्राहकों के लिए गर्मागर्म जलेबी तैयार रहती हैं. साथ ही, बेसन के लड्डू भी बनाए जाते हैं, ताकि ग्राहक चाहें तो तीखेपन को दूर कर सकें. जय शिव कचौड़ी भंडार अलीगढ़ की पुरानी कोतवाली के पास सर्राफा बाजार में है.

homelifestyle

विदेशों तक हैं इन कचौड़ियों की डिमांड! 1951 से परोसा जा रहा है जबरदस्त जायका


.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.

https://hindi.news18.com/news/lifestyle/recipe-shibboji-kachauri-jai-shiv-bhandar-shop-opened-in-1951-people-come-from-far-places-for-taste-local18-9004506.html

Hot this week

Topics

Shukra Gochar Kanya Rashi 2025 9 october | Shukra Gochar positive negative zodiac impact on mesh to meen rashi | venus transit effects |...

Shukra Gochar Kanya Rashi 2025: प्रेम, सौंदर्य, रिश्तों...

This sag chutney – Jharkhand News

Last Updated:October 03, 2025, 07:19 ISTFutkal Saag Recipe:...
spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img