Tuesday, September 23, 2025
27 C
Surat

सिर्फ खेतों में नहीं, अब थालियों में भी राज कर रही है ये जंगली भाजी, स्वाद के साथ सेहत का भी खजाना


Last Updated:

Chakoda Bhaji: छतरपुर जिले में मिलने वाली चकौड़ा भाजी बारिश में खेतों और जंगलों में अपने आप उग जाती है. इसे संस्कृत में चक्रमर्द और वैज्ञानिक नाम कैसिया टोरा कहा जाता है. इसमें औषधीय गुण होते हैं और इसका उपयोग …और पढ़ें

Chakoda Bhaji. छतरपुर जिले में भाजी तो बहुत सी खाई जाती हैं लेकिन एक ऐसी भी भाजी खाई जाती है जो बारिश के मौसम में ही देखने को मिलती है. दरअसल, चकौड़ा का पौधा बरसात के मौसम में अपने आप खेत, खलियान और जंगलों में उग आता है. हालांकि, ज्यादातर लोगों को इस बारे में पता नहीं होता है. जिले में हर जगह बिना उगाये ही बारिश के मौसम में खेत-खलिहानों में ये मिल जाती है. कहा जाता है कि यह औषधीय गुणों से भरपूर होता है.‌ बिना पैसा लगाए ही ये प्रोटीन का खजाना मिल जाता है. बता दें, इस चकौड़ा पौधे में जुलाई से सितंबर तक फ्लॉवरिंग होती है और अगस्त से नवंबर तक फ्रुटिंग होती है.

क्या है चकौड़ा?
छतरपुर जिले में चकौड़ा बहुतायत में मिलता है. इसे संस्कृत में चक्रमर्द के नाम से जाना जाता है. वैसे चकौड़ा को अलग-अलग क्षेत्रों अलग-अलग नामों से जाना जाता है. जैसे चकउरा, चिरौठी, चाकुंदा, ऐसे कई नाम हैं. इसका वैज्ञानिक नाम कैसिया टोरा है. बारिश की पहली फुहार जैसे ही धरती पर पड़ती है, चकौड़ा का पौधा अपने-अपने आप उग जाता है और पूरे इलाके को हराभरा कर देता है. हालांकि, ये पौधा अब विलुप्ति की कगार पर है.

ऐसे बनाएं चकौड़ा भाजी
छतरपुर की रहने वाली 80 वर्षीय शरीफन बताती हैं  कि बरसात के मौसम में चकौड़ा की पत्तियां जब मुलायम होती है. तभी इसकी भाजी बनाई जाती है.

चकौड़ा भाजी तभी बनाई जाती है जब इसके पौधे छोटे होते हैं और इसमें फूल न खिले हो. तभी इसकी पत्तियां तोड़ी जाती हैं. इसके बाद पत्तियों को पानी में धो लेना है. फिर इसे काट लेना है. साथ ही प्याज और मिर्च भी काट लें.

भाजी या साग बनाने से पहले चकौड़ा की पत्तियों को उबाला जाता है. फिर इसे तेल, प्याज और मिर्च  के साथ बघार लें. इस भाजी को बनाना बहुत आसान है.

औषधीय गुण मौजूद 
छतरपुर जिले में जिस चकौड़ा के कोमल पत्तियों की भाजी लोग सदियों से खाते आ रहे हैं. आज उस चकौड़ा की आयुर्वेद कंपनियों में अच्छी खासी डिमांड है, क्योंकि इस भाजी में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं. इसका दवाइयों में उपयोग होता है.

authorimg

Anuj Singh

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digital), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked a…और पढ़ें

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digital), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked a… और पढ़ें

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
homelifestyle

सिर्फ खेतों में नहीं, अब थालियों में भी राज कर रही है ये जंगली भाजी


.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.

https://hindi.news18.com/news/lifestyle/recipe-chakoda-bhaji-recipe-and-health-benefits-know-from-an-80-year-old-grandmother-local18-9591550.html

Hot this week

हैदराबाद सरस मेला 2025: भारत की कला और महिला कारीगरों का उत्सव.

हैदराबाद. पूरे भारत की कला, शिल्प और संस्कृति...

काले जादू के लक्षण और उपाय । Symptoms of negative energy

Black Magic Effects: कभी-कभी ज़िंदगी में ऐसे दौर...

Topics

हैदराबाद सरस मेला 2025: भारत की कला और महिला कारीगरों का उत्सव.

हैदराबाद. पूरे भारत की कला, शिल्प और संस्कृति...

काले जादू के लक्षण और उपाय । Symptoms of negative energy

Black Magic Effects: कभी-कभी ज़िंदगी में ऐसे दौर...
spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img