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Chakoda Bhaji: छतरपुर जिले में मिलने वाली चकौड़ा भाजी बारिश में खेतों और जंगलों में अपने आप उग जाती है. इसे संस्कृत में चक्रमर्द और वैज्ञानिक नाम कैसिया टोरा कहा जाता है. इसमें औषधीय गुण होते हैं और इसका उपयोग …और पढ़ें
क्या है चकौड़ा?
छतरपुर जिले में चकौड़ा बहुतायत में मिलता है. इसे संस्कृत में चक्रमर्द के नाम से जाना जाता है. वैसे चकौड़ा को अलग-अलग क्षेत्रों अलग-अलग नामों से जाना जाता है. जैसे चकउरा, चिरौठी, चाकुंदा, ऐसे कई नाम हैं. इसका वैज्ञानिक नाम कैसिया टोरा है. बारिश की पहली फुहार जैसे ही धरती पर पड़ती है, चकौड़ा का पौधा अपने-अपने आप उग जाता है और पूरे इलाके को हराभरा कर देता है. हालांकि, ये पौधा अब विलुप्ति की कगार पर है.
छतरपुर की रहने वाली 80 वर्षीय शरीफन बताती हैं कि बरसात के मौसम में चकौड़ा की पत्तियां जब मुलायम होती है. तभी इसकी भाजी बनाई जाती है.
चकौड़ा भाजी तभी बनाई जाती है जब इसके पौधे छोटे होते हैं और इसमें फूल न खिले हो. तभी इसकी पत्तियां तोड़ी जाती हैं. इसके बाद पत्तियों को पानी में धो लेना है. फिर इसे काट लेना है. साथ ही प्याज और मिर्च भी काट लें.
औषधीय गुण मौजूद
छतरपुर जिले में जिस चकौड़ा के कोमल पत्तियों की भाजी लोग सदियों से खाते आ रहे हैं. आज उस चकौड़ा की आयुर्वेद कंपनियों में अच्छी खासी डिमांड है, क्योंकि इस भाजी में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं. इसका दवाइयों में उपयोग होता है.

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digital), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked a…और पढ़ें
Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digital), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked a… और पढ़ें
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