Rewa News: विंध्य क्षेत्र में अगर आप किसी के घर मेहमान बनकर जाएं, या किसी खास अवसर पर किसी को बुलाया गया हो, तो वहां बाफले न हो, ऐसा बहुत कम होता है. यह सिर्फ एक व्यंजन नहीं, बल्कि विंध्य क्षेत्र की परंपरा, संस्कृति और मेहमाननवाज़ी की पहचान है. खासकर बघेलखंड क्षेत्र में बाफले को बड़े चाव से बनाया और परोसा जाता है.बाफला दरअसल एक पारंपरिक भोजन है, जिसमें ‘बाफले’ गेहूं के आटे से बने होते हैं और इन्हें खास तरीके से उबालकर फिर देसी घी में डुबोया जाता है. इसके साथ अरहर की तड़के वाली दाल या चोखा बूंदी का रायता परोसा जाता है. अब बात करते हैं असली रेसिपी की जो पीढ़ियों से चली आ रही है. इसे बनाना थोड़ा समय ज़रूर लेता है, लेकिन स्वाद ऐसा कि उंगलियां चाटते रह जाते हैं लोग.
बाफले के लिए:
गेहूं का आटा – 500 ग्राम
सूजी – 100 ग्राम
अजवाइन – 1 छोटा चम्मच
नमक – स्वादानुसार
घी – 2 बड़े चम्मच (मालिश के लिए + परोसने के लिए अलग)
बेकिंग सोडा – चुटकीभर
पानी – जरूरत के अनुसार.
बाफले बनाने की फहली विधि?
1.गेहूं के आटे में सूजी, अजवाइन, नमक और थोड़ा सा बेकिंग सोडा मिलाएं.
2. थोड़ा घी मिलाकर पानी से सख्त आटा गूंथ लें और इसे 15 मिनट के लिए ढककर रख दें.
3. अब इस आटे से मुठ्ठी के आकार की लोइयां बना लें और अंगूठे से थोड़ा दबा दें.
4. इन बाफलों को खौलते पानी में 15-20 मिनट तक उबालें जब तक ये ऊपर तैरने न लगें.
5. उबलने के बाद इन बाफलों को छानकर एक तवे या ओवन में धीमी आंच पर सेंकें. चाहें तो कोयले की अंगीठी पर सेकें तो स्वाद दोगुना हो जाता है.
6. सेंकने के बाद इन बाफलों को गर्म देसी घी में डुबो दें — यही असली स्वाद का राज है.
कैसे परोसें?
एक प्लेट में गरम बाफले रखें, ऊपर से घी डालें. साथ में तड़के वाली दाल और चोखा बूंदी का परोसें, अगर हरी चटनी हो तो बात और भी मजेदार हो जाती है.विंध्य क्षेत्र के गांव में बनने वाला बाफला कोयले या गोबर के कुण्डें की अगेठी में ही सेंका जाता है.
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